एकमात्र मिथिला की धरती में थी जानकी को अपने कोख में धारण करने की क्षमता: राजनजी महाराज।
दरभंगा: मिथिला की मिट्टी की रही है अपनी अलग पहचान। बौद्धिक उर्वरता के लिए प्रख्यात रहा है यह क्षेत्र। उक्त बातें बलभद्रपुर, लहेरियासराय अवस्थित पचाढ़ी छावनी परिसर में बन रहे भव्य दूल्हा-दुल्हिन मंदिर के फाउंडेशन ढलाई के अवसर पर अंतरराष्ट्रीय ख्यातिलब्ध श्रीराम कथावाचक राजनजी महाराज ने अपने उद्बोधन में कहीं।
महाराज ने कहा कि जानकी नवमी के पावन अवसर पर मिथिला की धरा पर पांव रखकर मैं अपने को भाग्यशाली समझता हूं। उन्होंने भावुक होते हुए कहा कि भगवान राम को अवतार लेने के लिए तो कौशल्या की कोख मिल गई परंतु जानकी को अपनी कोख में धारण करने की क्षमता एक मात्र मिथिला की पावन धरती को ही मिली जो अपने आप आप में वैश्विक महत्व रखता है।
सांसद डॉ. गोपालजी ठाकुर ने मौनी बाबा द्वारा किये जा रहे इस महायज्ञ में अपनी-अपनी सशक्त आहुति प्रदान करने की मिथिला के लोगों से अपील की। कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विवि के कुलपति प्रो. लक्ष्मी निवास पांडेय ने मिथिला और अवध के युगों-युगों से चले आ रहे प्रगाढ़ संबंधों पर विस्तार से प्रकाश डाला।
पचाढ़ी महंथ सह दुल्हा-दुल्हिन मंदिर के लिए संकल्पित मौनी बाबा ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए जानकी नवमी की शुभकामना दी। उन्होंने 48 घंटों तक निरंतर चलने वाले इस ऐतिहासिक ढलाई कार्य में श्रद्धालुओं से सहभागिता का आह्वान किया। डॉ. शिवकिशोर राय ने मौनी बाबा के इस संकल्प को पूरा करने में अपने सकारात्मक सहयोग की प्रतिबद्धता दोहराई।
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