महिलाओं ने पारंपरिक गीतों के साथ सामा-चकेवा को दी विदाई।
दरभंगा: जिले में कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर अवसर पर मिथिलांचल में मनाये जाने वाला भाई बहनों के अटूट प्रेम का पर्व सामा चकेवा शुक्रवार की रात्रि हर्षोल्लास से मनाया गया। इस अवसर पर गांव से लेकर शहर तक के घर-आंगनों में शुक्रवार की देर शाम तक सामा-चकेवा की गीत, सोहर, समदाउन आदि महिलाएं गाती रहीं। इस दौरान महिला एवं युवतियों में काफी हर्ष देखा गया।
महिलाओं ने पारंपरिक गीतों के साथ सामा-चकेवा को विदाई दी। सामा को अपने भाई के ठेहुना से फोड़वाकर आंचल में लिया और अपने भाई के दीर्घायु जीवन की कामना की। सामा-चकेवा, सतभइया, वृंदावन, चुगला, ढोलिया-बजनिया, बन तितिर, पंडित और अन्य मूर्तियों के खिलौने वाले डाला को लेकर महिलाएं घरों से बाहर निकली और चुगला को जलाया और उसका मुंह झुलसाया। इसके बाद उन्हें सामूहिक रूप से विसर्जित किया गया।
शहर के बंगालीटोला में इस पर्व को मनाते हुए महिला विचार मंच की प्रदेश संयोजक अर्पणा झा ने बताया कि सामा-चकेवा का पर्व सिर्फ भाई-बहन का प्रेम का ही पर्व नहीं, बल्कि अच्छी सीख भी देता है। सामा-चकेवा आधुनिक समाज में चुगलखोरों को यह सीख देती है कि चुगलपनी करने का अंजाम वहीं होता है, जो सामा-चकेवा के वर्णित पात्र चुगला का हुआ।
बतांते चलें कि भाई बहन के अटूट प्यार का त्योहार सामा चकेवा मिथिलांचल में वर्षों से हर्षोल्लास से मनाया जाता है।
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