Home Featured बिना केमिस्ट्री के मानवीय जीवन की नहीं हो सकती कल्पना : डॉ एएम अंसारी।
September 2, 2021

बिना केमिस्ट्री के मानवीय जीवन की नहीं हो सकती कल्पना : डॉ एएम अंसारी।

दरभंगा: बिना केमिस्ट्री के मानवीय जीवन की कल्पना भी नहीं हो सकती है।असल में यह संसार ही रासायनिक क्रिएशन्स का परिणाम है। हमारा रसोईघर भी इससे इतर नहीं है।दूसरे शब्दों में कहे तो किचन एक रासायनिक प्रयोगशाला है।जहां ना सिर्फ हमारे पेट भरने का उत्पाद तैयार होता है बल्कि यह मेडिकल स्टोर की भी भूमिका निभाता है। अगर हम अपने किचन में इस्तेमाल होनेवाले अवयवों का सही तरीक़े से इस्तेमाल करते हैं तो हमें चिकित्सक के पास जाने की जरूरत नहीं होगी। ये बातें प्रसिद्ध रसायनशास्त्री डॉ ए.एम.अंसारी ने “ केमिस्ट्री इन किचन” विषयक सेमिनार को संबोधित करते हुए कहीं।

स्वयंसेवी संस्था डॉ प्रभात दास फाउण्डेशन एवं लनामिविवि के पीजी रसायन शास्त्र विभाग के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित सेमिनार में उन्होंने पावर-प्वाइंट के जरिए इस बात को स्पष्ट किया कि भोजन में प्रयुक्त होनेवाला प्याज, लहसुन, अदरक, हल्दी, काली मिर्च, दालचीनी, मेथी, धनिया, मंगरैला आदि स्वाद बढ़ाने के साथ-साथ हमारे सेहत को भी तंदुरूस्त रखते हैं। अगर इनका प्रयोग चिकित्सीय ढंग से किया जाए तो डायबिटीज, कैंसर, मोटापा, पीलिया आदि बीमारी से लोग सहज ही छुटकारा पा सकते हैं। रासायनिक संतुलन ही सफल जीवन की आधारशिला : डाॅ. कुमाेद | विभागाध्यक्ष डॉ कुमोद कुमार झा ने कहा कि रासायनिक संतुलन ही सफल जीवन की आधारशिला है।केमिस्ट्री की गड़बड़ी हर चीज को बर्बाद कर सकती है।जैसे खाने में नमक या हल्दी की अधिकता जायके को बिगाड़ देती है उसी तरह से केमिस्ट्री की गड़बड़ी मानवीय जीवन को तबाह कर देती है। इसलिए रसायनशास्त्रियों का सामाजिक दायित्व बढ़ जाता है।अगर रसायनशास्त्री अपने ज्ञान का समुचित प्रयोग करते हैं तो स्वास्थ्य और बेहतर समाज की परिकल्पना साकार हो सकती है।

इससे पूर्व सेमिनार का प्रारंभ विभाग की छात्राओं के स्वागत गान – किचन हमारा है प्रयोगशाला से हुआ। अतिथियों का स्वागत फाउण्डेशन के सचिव मुकेश कुमार झा ने पेड़ प्रदान कर किया। डॉ सीमांत श्रीवास्तव के संचालन में संपन्न सेमिनार में धन्यवाद वक्तव्य प्रो.संजय कुमार चौधरी ने दिया।वहीं प्रो विकास सोनू,शोधार्थी मधु वर्मा, पवन सदा और ओमप्रकाश ने भी ने भी रसोईघर में रसायन की महत्ता को रेखांकित किया। मौके पर फाउण्डेशन के अनिल सिंह, राजकुमार गणेशन,शशिशेखर झा,यास्मीन परवीन, रश्मि कुमारी, अंतरा पाठक, दीपाली कुमारी आदि मौजूद थे।

डॉ अभिषेक राय ने भारतीय खानपान में रासायनिक संयोग की विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि रोटी के साथ सब्जी,चावल के साथ दाल,डोसा के साथ सांभर आदि को हम यूं ही नहीं खाते हैं बल्कि इनके रासायनिक गुण हमें सेहतमंद बनाते हैं इसलिए हम इन्हें मिला कर खाते हैं। गलत खानपान से रासायनिक गड़बड़ी होती है और हमारा सेहत खराब हो जाता है। विभाग के वरीय प्रो.संजय चौधरी ने कहा कि स्वास्थ्य जीवन के लिए शरीर को सही पोषण की जरूरत होती है।समुचित मात्रा में वसा-खनिज की उत्पत्ति रासायनिक प्रक्रिया के पश्चात ही हो पाती है।शायद इसलिए ही किचन को मानवीय समाज की प्रथम प्रयोगशाला भी कहा जाता है।चिकित्सकों ने भी रासायनिक मिश्रणों के आधार पर ही संतुलित-आहार की परिकल्पना की है।

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