राजनीतिक लाभ के लिए भी होता है शोध प्रयोग : डॉ पंकज।
दरभंगा: ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के समाजशास्त्र विभाग में चल रहे 10 दिवसीय कार्यशाला के 8वें दिन महात्मा गांधी केन्द्रीय विश्वविद्यालय, मोतिहारी के राजनीतिशास्त्र विभाग के डॉ. पंकज कुमार ने कहा कि सामान्य शोध प्रस्तावों से तात्पर्य ऐसे प्रस्ताव से होता है, जिसमें शोधकर्ता किसी समस्या समाधान के लिए विशेष कार्यविधि संभावित समय एवं संभावित धन आदि का उल्लेख करता है। डॉ. कुमार शोध छात्रों के समक्ष शोध प्रस्ताव को परिभाषित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि विभिन्न सरकारी व गैर सरकारी संस्थानों द्वारा शोध कार्य से पूर्व शोध प्रस्ताव आमंत्रित किया जाता है। इसके गुणवत्तापूर्ण होने से शोध को महत्त्व बढ जाता है। उन्होंने कहा कि शोध प्रस्ताव में शोध का शीर्षक, समस्या का प्रकथन, शोध का उद्देश्य, संबंधित साहित्य की समीक्षा, उपकल्पना, अध्ययन का महत्त्व, संकल्पना की परिभाषा, अध्ययन की समीओं का परिसीमन, आंकड़े संग्रह की प्रकिया, निदर्शन, उपकरण, आंकड़ा विश्लेषण के तरीके, संभावित अध्याईकरण, संदर्भ पुस्तकें आदि होते हैं। दूसरे सत्र में शोध की राजनीति विषय पर प्रकाश डालते हुए डॉ. पंकज कुमार ने कहा कि शोध का राजनीति से और राजनीति का शोध से अंतसम्बंध है। उन्होंने कहा कि शोध का प्रयोग राजनीति लाभ हेतु किया जाता है। सरकार द्वारा समय-समय पर अपने नीति आधारित विषय पर शोध को बढावा देना शोध की राजनीति का अंग है। उन्होंने यह भी कहा कि चुनाव के समय मीडिया सर्वे के द्वारा राजनीति लाभ हेतु आंकड़ों को सरकार के पक्ष में दर्शाना भी शोध की राजनीति है। उन्होंने कहा कि इसमें शोध और शोध निष्कर्ष का प्रसार अपने फायदे के लिए होता है। इस मौके पर बिहार राज्य एड्स नियंत्रण समिति के सहायक निदेशक आलोक कुमार ने एड्स विषय पर विभागीय जानकारी दी। सत्र की जानकारी समाजशास्त्र विभाग की लक्ष्मी कुमारी ने दी। इस मौके पर प्रो. गोपीरमण प्रसाद सिंह, डॉ. मंजू झा, डॉ. शंकर कुमार लाल, डॉ. सारिका पांडेय, प्राणतारती भंजन आदि उपस्थित थे।
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