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December 20, 2020

खानकाही रस्म चादर पोशी और दुआ के साथ उर्से मौलाना समरकंद का समापन

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लहेरियासराय। दरभंगा के प्रसिद्ध दरगाह हजरत मौलाना सैयद फिदा मो. अब्दुल करीम अलमारूफ हुजूर मौलाना समरकन्दी रहमतुल्ला अलेह का 4 रोजा उर्स पाक का भटियारीसराय स्थित हजरत की दरगाह पर आखिरी रस्म चादर पोशी और फातिहा दुआ के बाद उर्से पाक का समापन हुआ। पीरे तरीकत हजरत अल्लामा मौलाना अलहाज सैयद शमसुल्लाह जान मिस्बाही बाबू हुजूर उर्स ए-पाक की अध्यक्षता कर रहे थे। इस मौके पर खुसूसियत के साथ बाबू हुजूर के साहबजादे हजरत मौलाना सैयद नुरुल अमीन साहब भी मौजूद थे। उर्स-ए-पाक के मौके पर दो रात जलसे का भी आयोजन किया गया। मंच संचालन मौलाना अब्दुल रहमान साहब कर रहे थे। जलसे को संबोधित करते हुए मुफ्ती महफिल अशरफ ने कहा कि खानकाह उसे कहते है। जहां बुजुर्गोंनेदिन बैठकर लोगों को कुरान और हदीसशरीफ की अच्छी बातों की नसीहत करते हैं और सज्जादा नशीन उसे कहा जाता है। जिनके खानदान में पीरी मुरीदी का सिलसिला खानदानी चला आ रहा हो हर मजार खानकाह नहीं हो सकता। हर मुजाबिर सज्जादा नहीं हो सकता। जलसे को संबोधित करते हुए कोलकाता से तशरीफ लाए मौलाना कारी निसार अहमद रिजवी ने कहा के अल्लाह के नबी ने हमें यह पैगाम दिया कि जिस रास्ते से हम गुजरे तो अपनी नजरों को नीचे करके चले किसी औरत पर बुरी नजर ना डालें यह सख्त गुनाह है। मौलाना नासिर रजा खान बेंगलुरु, मौलाना डॉ. जाकिर हुसैन गयावी, मौलाना रजा उल मुश्तफा मिस्बाही, मौलाना अख्तर रजा मिस्बाही, मौलाना अब्दुल अल्लाम मिस्बाही, कारी मोहम्मद अनवर कारी, अब्दुल अहद कारी, इमाम हसन मौलाना, मुफ्ती फूल, मो. मौलाना शमीम अख्तर, नूरी हाफिज नियाजउद्दीन, नूरी मौलाना अशरफ रजा कादरी, मुफ्ती अब्दुल गफ्फार, शाकिब मुफ्ती, कुतुबुद्दीन मिस्बाही, कारी हाफिज, सदरे आलम ,मौलाना वारिस अली, मौलाना महबूब अख्तर के अलावा जिगर इलाकाई ओलेमा ने भी जलसे को संबोधित करते हुए बुजुर्गों ने दीन की शान बयान किया। बुलबुले दरभंगा रियाज खान कादरी, शाहिद कमर बंगाल, मौलाना अमन नवाज खान, डॉ. अहमद रहमानी, मोहम्मद शाहिद, जीशान कादरी के अलावा दीगर नातखां ने नात शरीफ और मनकबत पढ़कर लोगों से खूब वाहवाही हासिल की। 17 दिसंबर से शुरू होकर 20 दिसंबर तक चले इस उर्स-ए-पाक में इस मर्तबा कोविड-19 लॉकडाउन की वजह से और मुल्क के हालात को देखते हुए बाहर से हजारों हजार की संख्या में जो जायरीन मुरीदिन आते थे। वह नहीं आए खानकाही रवायत को कायम रखते हुए मोखतसर अंदाज में इस बार उर्स मनाया गया। भटियारीसराय स्थित हजरत मौलाना समरकंदी रहमतुल्ला अलैह के दरगाह पर आखरी रस्म कुल शरीफ फातिहा और बाबू हुजूर की दुआ के बाद उर्स का समापन हो गया। अराकिने रबीउल आरास खानकाहे समरकंदिया कमेटी चार रोजा चलने वाले उर्स को कामयाब करने के लिए काफी मेहनत करती है। 10 महीने से मदरसा बंद होने कि वजह से इस बार बच्चों की दस्तारबंदी भी नहीं हो सकी। जितने भी लोग इस मर्तबा उर्स में आए उनके खाने का रहने का इंतजाम खानकाह की जानीब से किया गया था।

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