भगवान जो भी लीला करते हैं वह अपने भक्तों के कल्याण के लिए करते है : चैतन्य
दरभंगा: बचपन से ही बच्चों को सनातन संस्कार से संपोषित करते रहना चाहिए। सनातन व्यवस्था, संस्कृति, विज्ञान, वीरता एवं राष्ट्रवाद की बातें बच्चों के दिल में प्रारंभ से ही जगह बनाने लगती है। आप उसका परवरिश जिस परिवेश में करेंगे उसका प्रभाव बच्चों पर आने वाले समय में दिखेगा। सिंहवाड़ा बटेश्वरनाथ धाम परिसर में गणेश पूजन उत्सव के मौके पर आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के दौरान श्री कृष्ण जन्म के प्रसंग की कथा कहते हुए वृंदावन से आई कथा वाचिका संत चंचला चैतन्य गौड़जी ने उपस्थित श्रद्धालुओं से कहीं।
श्री कृष्ण जन्म के कथा के दौरान नंद घर आनंद भयो जय कन्हैया लाल की आदि भजन की प्रस्तुति के समय श्रद्धालु भक्ति भाव में झूमते रहे। कथा वाचिका ने कहा कि भगवान जो भी लीला करते हैं वह अपने भक्तों के कल्याण या उनकी इच्छापूर्ति के लिए करते हैं। गोपबालकों ने जाकर यशोदामाता से शिकायत कर दी मां कन्हैया ने माटी खायी है।
यशोदामाता हाथ में छड़ी लेकर दौड़ी आयीं। उन्होंने कान्हा का हाथ पकड़कर डांटते हुये कहा क्यों रे नटखट तू अब बहुत ढीठ हो गया है। श्रीकृष्ण ने मैया से कहा मेरा मुंह तुम्हारे सामने है। तुझे विश्वास न हो तो मेरा मुख देख ले। अच्छा खोल मुख। माता के ऐसा कहने पर श्रीकृष्ण ने अपना मुख खोल दिया। श्रीकृष्ण के मुख खोलते ही यशोदाजी ने देखा कि मुख में चर-अचर सम्पूर्ण जगत विद्यमान है
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