Home Featured कृषि के कारण पूरी दुनिया में थी मिथिला की प्रधानता : विजय प्रकाश।
February 26, 2022

कृषि के कारण पूरी दुनिया में थी मिथिला की प्रधानता : विजय प्रकाश।

दरभंगा। सीएम साइंस कालेज में आयोजित विज्ञान सप्ताह के पांचवें दिन आगामी 25 वर्ष के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी विषय पर पूर्व आईएएस विजय प्रकाश ने कहा कि कृषि क्रांति के समय भारत आत्मनिर्भर था। प्रौद्योगिकी क्रांति के आते ही भारत के कृषि क्षेत्र में उदासीनता आती गई। मिथिला की प्रधानता कृषि के कारण भी पूरी दुनिया में थी। कृषि में प्रौद्योगिकी की शुरुआत मिथिला में भी हुई थी। अब ये रिसर्च का विषय है कि प्रौद्योगिकी क्रांति के आते ही भारत के कृषि क्षेत्र में क्यों उदासीनता छाती गई। कहा कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी के सदुपयोग से मिथिला क्षेत्र में बाढ़ पर नियंत्रण किया जा सकता है। बाढ़ पर नियंत्रण होने से मिथिला क्षेत्र में फिर से कृषि क्रांति आएगी। प्राचीन भारतीय वैज्ञानिक विषय पर कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के वेद विभागाध्यक्ष डा. विद्येश्वर झा ने कहा कि बराह मिहिर और आर्यभट्ट के काल विज्ञान पुस्तक संस्कृत में विज्ञान की महत्ता को दर्शाती है। कार्यक्रम का संचालन डा. सत्येंद्र कुमार झा व डा. नेहा वर्मा ने संयुक्त रूप से किया। किया। सेमिनार में विज्ञान सप्ताह महोत्सव के संयोजक डा. सुजीत कुमार चौधरी, डा. जीएम मिश्रा, डा. दिलीप कुमार झा, डा. दिनेश प्रसाद साह, डा. कुमार मनीष, डा. पांशु प्रतीक, डा. आरती कुमारी, डा. पूजा अग्रहरि, डा. निधि झा, डा. रश्मि रेखा, डा. अभय सिंह, डा. सुषमा रानी, नरेंद्र भी मौजूद थे.। विज्ञान सप्ताह महोत्सव के अध्यक्ष प्रो. दिलीप कुमार चौधरी ने सभी अतिथियों का स्वागत किया।

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लघु विज्ञान चलचित्र निर्माण कार्यशाला एवं वैज्ञानिक आविष्कार पर आधारित लघु चलचित्र विषय पर मैथिली फिल्म निर्देशक रुपक शरर ने कहा कि फिल्म उद्योग एक खुला बाजार है। ओटीटी प्लेटफार्म ने फिल्म की दुनिया बदल दी है। ड्रोन कैमरे का उपयोग अब फिल्म के अलावा कृषि क्षेत्र में भी होने लगा है। कहा कि फिल्म निर्माण के क्षेत्र में सोच, जुनून और जज्बा वाले व्यक्ति काफी महत्व रखते हैं। वहीं महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय के प्रो. देवदत्त चतुर्वेदी ने आजादी के पूर्व विज्ञान के क्षेत्र में योगदान देने वाले वैज्ञानिकों के बारे में विस्तार से चर्चा की। नैनो तकनीक एवं उसके अनुप्रयोग विषय पर बीएआरसी के वैज्ञानिक डा. रघुमणि सिंह ने प्रकाश डालते हुए इसे वर्तमान समय की मांग बताया।

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कार्यक्रम के दूसरे सत्र में प्रतिभागियों के बीच माडल निर्माण प्रतियोगिता आयोजित आयोजित किया गया। प्रतियोगिता में महात्मा गांधी शिक्षण संस्थान, मारवाड़ी कालेज, सीएम साइंस कालेज और एमआरएसएम कालेज सहित विभिन्न अन्य विद्यालयों के प्रतिभागियों ने अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया। प्रतियोगिता में सफल हुए प्रतिभागियों को 28 फरवरी को सम्मानित किया जाएगा।

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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय की स्वायत्त संस्थान विज्ञान प्रसार द्वारा संचालित इंडिया साइंस चैनल के संपादक मानवर्धन कंठ ने बताया कि विज्ञान सप्ताह के छठे दिन रविवार को विज्ञान साहित्य संगोष्ठी, कोविड-19 प्रबंधन में आयुष की भूमिका, कोविड-19 महामारी मनोवैज्ञानी प्रभाव आदि विषय पर सेमिनार का आयोजन किया जाएगा। इसके अलावा मैथिली विज्ञान कवि सम्मेलन, सांस्कृतिक कार्यक्रम और कविता लेखन प्रतियोगिता मुख्य आकर्षण के केंद्र होंगे।

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