रिमाइंडर के बाद भी अनुसंधानक को नहीं मिला जख्म प्रतिवेदन तो कोर्ट ने लिया कड़ा एक्शन।
दरभंगा: एक तरफ जहां पुलिस को घटनाओं के अनुसंधान में तेजी लाने का निर्देश लगातार एसएसपी जगुनाथ रेड्डी देते रहते हैं, वहीं कोर्ट द्वारा लगातार पुलिस के विरुद्ध एक्शन लिया जाता है। पर गंभीर आपराधिक मामलों डीएमसीएच द्वारा समय पर जख्म प्रतिवेदन उपलब्ध नहीं करवाने के कारण अनुसंधान की गति धीमी पड़ जाती है। पुलिस पदाधिकारी द्वारा लगातार मांग किये जाने पर भी जख्म प्रतिवेदन में देरी किया जाना कहीं न कहीं विभाग की मंशा पर भी प्रश्नचिन्ह खड़ा करता है।
ऐसे ही एक मामले में दरभंगा में न्यायालय द्वारा कड़ा एक्शन लिया गया है। इस एक्शन के बाद चौबीस घंटे के अंदर डीएमसीएच द्वारा जांच पदाधिकारी को उनके व्हाट्सएप पर जख्म प्रतिवेदन उपलब्ध करवा दिया गया।
दरअसल, एडीजे तृतीय एस के दिवाकर द्वारा लहेरियासराय थाना कांड संख्या 302/24 के अनुसंधानक से जख्म प्रतिवेदन की मांग की गयी। पर स्मार पत्र देने के वाबजूद करीब दो महीने बाद भी डीएमसीएच द्वारा अनुसंधानक साजिद हुसैन को जख्म प्रतिवेदन नहीं दिया गया। उन्होंने यह सूचना न्यायालय को दे दी।
इसके बाद एडीजे तृतीय श्री दिवाकर द्वारा डीएमसीएच के हेड क्लर्क अमर कुमार प्रसाद एवं डाटा ऑपरेटर के विरुद्ध वारंट जारी कर दिया गया। वांरट के आलोक में दोनों को गिरफ्तार कर बुधवार को न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया गया। दोनों करीब ढाई घंटे तक इजलास में खड़े रहे। अंततः शीघ्र प्रतिवेदन उपलब्ध करवाने की बात स्वीकारने पर उन्हें मुक्त किया गया। इसके बाद अगले ही दिन केस के अनुसंधानक को डीएमसीएच के डॉ0 राजेश कुमार द्वारा उनके व्हाट्सएप पर जख्म प्रतिवेदन उपलब्ध करवाया गया।
इस पूरे मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए लहेरियासराय थानाध्यक्ष दीपक कुमार ने बताया कि गंभीर आपराधिक मामलों में जख्म प्रतिवेदन नहीं मिलने के कारण 307 जैसी धाराओं को सत्य अथवा असत्य करार देने में परेशानी होती है। यदि जख्म प्रतिवेदन सही समय पर मिल जाये तो कांडों के निष्पादन स्वतः तेजी आएगी।
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