आमजन के परिसर में मिलने पर मालिक जिम्मेवार तो डीईओ कार्यालय में दारू की बोतल मिलने पर कौन जिम्मेवार!
दरभंगा: नीतीश कुमार शराबबंदी को पूर्ण सफल बनाने केलिए जितने भी प्रयास कर लें, पर उनका प्रयास अबतक विफल ही साबित हो रहा है। कारोबारियों की बात तो दूर, लगातार सरकारी कार्यालयों में भी शराब की बोतलें मिल रही हैं।
ऊपर से कानून भी दो तरह का दिखता है। यदि किसी आमजन के परिसर से शराब की बोतलें मिले तो परिसर का मालिक जिम्मेवार माना जाता है। पर यदि सरकारी पदाधिकारी के कार्यालय परिसर में मिले तो अधिकारी पर कोई कारवाई नही होती।
हाल ही में बिहार सरकार के शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव द्वारा पत्र जारी कर सभी प्रकार के शिक्षकों को शराब का पता लगा कर मद्य निषेध विभाग को सूचित करने की जिम्मेवारी दी गयी। पर शिक्षकों को इसकी जवाबदेही मिलते ही शनिवार को जिला शिक्षा पदाधिकारी कार्यालय परिसर में ही शराब की खाली बोतलें मिल गयीं। इसकी खबरें मीडिया में आने और प्रशासनिक पदाधिकारियों को जानकारी मिलने के बाद भी कोई कारवाई 24 घण्टा बीत जाने पर भी नहीं हुई।
दरअसल, मीडियाकर्मियों की नजर शराब की बोतलों पर पड़ने के बाद उनके द्वारा जिला शिक्षा पदाधिकारी विभा कुमारी को फोन पर इसकी जानकारी दी गयी। खुद को अनभिज्ञ बताते हुए डीईओ विभा कुमारी ने कार्यालय कर्मी रंजीत मिश्रा को बोतल हटाने को कहा।
कार्यालय कर्मी रंजीत मिश्रा ने कहा कि 26 जनवरी को पूरे परिसर की सफाई करवायी गयी थी। इस परिसर में लोगों का आना जाना लगा रहता है।
वहीं उन्होंने बड़ा आरोप लगाते हुए कहा कि बगल में परिवहन विभाग का कार्यालय है। परिवहन कार्यालय के दलाल वहां बैठे रहते हैं। उन्हीं दलालों ने बोतल फेंक दिया होगा।
बताते चलें कि उक्त स्थल व्यवहार न्यायालय परिसर से मुश्किल से 20 कदम की दूरी पर अवस्थित है। साथ ही जिला से लेकर प्रमंडल स्तर के पुलिस एवं प्रशासनिक पदाधिकारियों के कार्यालय से महज 100 मीटर की दूरी है। फिर भी शराब की बोतलें मिलने पर कोई कारवाई नहीं होना, कारवाई में भी दोहरापन दिखाता है।
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