जीर्णोद्धार केलिए बना प्राक्कलन संचिकाओं में दबने के कारण ऐतिहासिक राजेन्द्र भवन मिटने के कगाड़ पर। Voice of Darbhanga
दरभंगा: देश के प्रथम राष्ट्रपति देशरत्न डॉ. राजेन्द्र प्रसाद की नगर भवन स्थित प्रतिमा पर कालिख पोतने की घटना को लेकर नगर भवन इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है। अन्यथा विभागीय उपेक्षा के शिकार नगर भवन के खस्ताहाल के कारण अब इस भवन की ओर अब कोई नजर तक नहीं डालता। आवारा पशुओं का आरामगाह व आस-पड़ोस में बन रहे भवनों के बालू-गिट्टी रखने की जगह बनकर रह गया है।
चहारदीवारी होने के बावजूद सुरक्षा के इंतजाम नहीं होने के कारण असमाजिक तत्वों का अड्डा बनकर रह गया है। दशकों से उत्तर बिहार के सर्वोत्तम नगर भवन के रूप में ख्यात दरभंगा नगर भवन विभागीय उपेक्षा का शिकार हो ढहने के कगार पर है। दरभंगा महाराज की ओर से गठित ‘दरभंगा इम्प्रूवमेंट ट्रस्ट द्वारा वर्ष 1938 में इसकी स्थापना हुई थी। शहर के मध्य में उत्कृष्ट वास्तु कला के तहत निर्मित इस नगर भवन के जीर्णोद्धार के लिए आधा दर्जन बार से अधिक कई घोषणाएं हुई, प्राक्कलन बना, लेकिन मरम्मत कार्य शुरू नहीं हो सका।
आठ वर्ष पूर्व नगर विकास एवं आवास विभाग के तत्कालीन सचिव ने इस परिसर का मुआयना कर इसके जीर्णोद्धार का प्राक्कलन भेजने का निर्देश दिया था। इस आलोक में 1.10 करोड़ का प्राक्कलन भी भेजा गया, जो अब तक सचिवालय की संचिकाओं में दबा है। हाल के वर्षों में निगम के अधिकारियों ने नगर भवन के इस बदनुमा स्वरूप पर पैबंद लगाने के लिहाज से बाहरी परिसर का सौंदर्यीकरण कराया है। चहारदीवारी के साथ उसके ऊपर ग्रिलिंग और परिसर में पीसीसी सड़क का भी निर्माण कराया गया। लेकिन नगर भवन की छत दरककर लगातार गिर रही है।
स्थानांतरण पर एडीजे प्रथम अविनाश कुमार को दी गई विदाई।
दरभंगा: व्यवहार न्यायालय बेनीपुर परिसर में प्रथम अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश अविनाश कुमार …