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January 5, 2020

शराब रोकने में प्रशासन की विफलता से परेशान ग्रामीणों ने खुद कसी कमान।

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दरभंगा। आशीष महापात्रा

बिहार में शराबबन्दी लागू हुए तीन वर्ष से अधिक हो गए। पर शराबबन्दी कितनी सफल है, यह किसी से छिपी नही है। एक ओर जहां सरकार शराबबंदी को लेकर अपनी पीठ थपथपाती है और प्रशासनिक अधिकारी शराबियों एवं शराब कारोबारियों के खिलाफ बड़े-बड़े दावे करती है, वहीं जब ग्रामीणों द्वारा शराब व्यापारियों और शराबियों के आतंक से परेशान होकर प्रभातफेरी और सभा का आयोजन किया जाय, तो यह कहीं न कहीं प्रशासन और सरकार पर बड़ा सवालिया निशान खड़ी करती है।
रविवार को बहादुरपुर प्रखंड के उघरा गांव में सुदिष्ट चंद्र झा के नेतृत्व में शराब एवं नशा मुक्ति केलिए ग्राम के युवा, बच्चे एवं महिला पुरुष सभी वर्ग के लोगों द्वारा गांव में प्रभातफेरी का आयोजन किया गया। प्रभात फेरी के दौरान लोगों में जिला प्रशासन और सरकार के लिए काफी आक्रोश भी देखा गया। लोग सरकार और प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी भी कर रहे थे। तत्पश्चात गांव के ही बुनियादी विद्यालय में एक सभा का आयोजन किया गया। इस सभा में गांव के सभी प्रबुद्ध व्यक्ति, महिलाएं, पुरुष एवं स्कूली छात्र-छात्राएं सम्मिलित हुए। कार्यक्रम की शुरुआत छात्राओं द्वारा नशा मुक्ति पर गीतों की प्रस्तुति से किया गया। मंच संचालन शिक्षक हरीचंद्र झा द्वारा और कार्यक्रम की अध्यक्षता कृष्ण मोहन झा ने किया। कार्यक्रम में उपस्थित पूर्व मुखिया नारायण जी झा ने कहा नशा एक ऐसी बुराई है, जो हमारे समूल जीवन को नष्ट कर देती है। नशे की लत से पीड़ित व्यक्ति परिवार के साथ समाज पर बोझ बन जाता है। दिन प्रतिदिन शराबबंदी के बावजूद भी कारोबारियों की संख्या लगातार बढ़ रही है। और सरकार मौन बैठी है। लेकिन हम लोगों को समाज में एक संकल्प लेनी चाहिए, कि शराबियों एवं शराब कारोबारियों के विरुद्ध एक व्यापक अभियान छेड़ कर इस व्यवस्था के खिलाफ एक मजबूत कदम उठाना होगा।
वहीं अनिलेश झा ने कहा कि हमारे समाज में नशे को सदा बुराइयों का प्रतीक माना है। इनमें सर्वाधिक प्रचलन शराब का है। शराब सभी प्रकार की बुराइयों की जड़ है। शराब के सेवन से मानव के विवेक के साथ सोचने समझने की शक्ति नष्ट हो जाती है।
शिक्षक चंदन झा ने कहा नशे का आदी व्यक्ति समाज की दृष्टी से हेय हो जाता है और उसकी सामाजिक क्रियाशीलता शून्य हो जाती है, फिर भी वह व्यसन को नहीं छोड़ता है। ध्रूमपान से फेफड़े में कैंसर होता हैं, वहीं कोकीन, चरस, अफीम लोगों में उत्तेजना बढ़ाने का काम करती हैं, जिससे समाज में अपराध और गैरकानूनी हरकतों को बढ़ावा मिलता है। इन नशीली वस्तुओं के उपयोग से व्यक्ति पागल और सुप्तावस्था में चला जाता है। तम्बाकू के सेवन से तपेदकि, निमोनिया और साँस की बीमारियों का सामना करना पड़ता है। इसके सेवन से जन और धन दोनों की हानि होती है।
इस अवसर पर ओमप्रकाश झा, दिवाकर झा, हेमंत झा, सुरज पासवान, कामेश्वर पासवान, राजेश पासवान, योगेन्द्र पासवान, रितेश झा, शुभम्, ब्रिजनंद झा, राजेश पंजियार ,रघुवर जी, मुरारी मोहन, पंकज, गोविंद ठाकुर, जयदीप झा आदि सहित सैकड़ों ग्रामीण उपस्थित थे।

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