सत, चित और आनंद से बना है भगवान का स्वरुप: डॉ0 जनक।
दरभंगा: मनीगाछी प्रखंड के टटुआर पंचायत अंतर्गत विशौल गांव के अति प्राचीन श्री श्री 108 सिद्धेश्वर नाथ मंदिर परिसर में चल रहे श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान प्रवाह के दूसरे दिन कथा वाचन करते हुए डॉ जयप्रकाश चौधरी जनक ने बताया कि 59 साल बाद महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर मकर राशि में चंद्रमा और शनि का बन रहा संयोग इस महापर्व की महत्ता को काफी बढ़ा रहा है। उन्होंने कहा कि ज्योतिषियों के अनुसार 21 फरवरी को शनि व चंद्रमा की मकर राशि में युति के साथ ही बृहस्पति धनु राशि में, बुध कुंभ राशि में तथा शुक्र अपनी उच्च राशि मीन में रहेगा, जो अत्यंत फलदायी है।
उन्होंने कहा कि भगवान का हो जाना, मनुष्य का सहज स्वभाव है, लेकिन जब तक वह भगवान से सीधा संबंध नहीं जोड़ लेता तब तक दुनिया के किसी कारखाने में बनने वाली दवा उसकी पीड़ा को दूर नहीं कर सकती। उन्होंने पीड़ा के चार प्रकारों क्रमशः रोग, शोक, बुढ़ापा और मृत्यु की व्याख्या करते हुए बताया कि ये चारों लाइलाज हैं। इन चारों पर विजय हासिल करने के लिए मनुष्य पद, पैसा और प्रतिष्ठा की चाहत में पाप के अंधे कुएं में गिर जाता है, लेकिन अज्ञानतावश उसे इस बात का भान नहीं होता कि भगवत भजन से वह इन सब पर सहज ही विजय विजय प्राप्त कर सकता है।
उन्होंने कहा कि भगवान यह कभी नहीं कहते की उन्हें दान दो, खेत लिखकर दो; बल्कि मुझे अपना मानकर प्रेम करो। जैसे किसी रोते हुए बच्चे को कोई कितना भी प्रयास क्यों न करे, वह चुप नहीं होता पर, माँ की एक थपकी मात्र से ही वह चुप हो जाता है क्योंकि माँ से दूरी के एहसास ने ही तो उसे रुलाया था। ठीक उसी प्रकार हमारे दुःख का कारण भी भगवान से दूरी ही है। हम शाॅर्ट-कट की अंधी दौड़ में शामिल होकर भगवान से दूरी और जड़ वस्तु से आसक्ति बढ़ा लेते हैं। जबकि जड़ वस्तु का स्वभाव ही है मिटना पर हम चाहते हैं कि वह हमेशा हमारे पास रहे। उन्होंने कहा कि दरअसल, मिटने वाली वस्तु से आसक्ति ही हमारे दुःख का कारण है। वस्तु या व्यक्ति से संबंध जितना ही घनिष्ठ हो, हमें उतना ही रुलाता है। यह शरीर जिसे हम अपना समझते हैं वो भी हमें एक दिन छोड़ना होगा। जिसे शरीर से आसक्ति नहीं होगी, उसे शरीर छूटने का भी भय नहीं होगा। उन्होंने कहा कि भगवान का स्वरुप सत, चित और आनंद से बना है। यदि हम आनदंरूप भगवान से नाता जोड़ लें तो दुखों पर विजय प्राप्त कर सदा के लिए आनंदमय हो जायेंगे।
महाशिवरात्रि की पूर्व संध्या पर आयोजित भक्तिमय सांस्कृतिक संध्या में आकाशवाणी, दरभंगा के गायक केदारनाथ कुमर के गाये नचारी एवं महेशवाणी भक्तों के विशेष आकर्षण में रहे। उनके साथ तबला पर मिथुन दास एवं इलेक्ट्रॉनिक बैंजो पर संत कुमार ने संगति दी। कथा ज्ञान प्रवाह में गोता लगाते स्थानीय तथा आसपास के गांवों से आनेवाले भक्तों का उत्साह देखते बनता है। श्री मद् भागवत कथा ज्ञान प्रवाह की यह भक्तिमय रस-धार 25 फरवरी तक बहेगी।
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