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September 2, 2020

सीएम साइंस कॉलेज के ऐतिहासिक आर्यभट्ट छात्रावास के पुनर्निर्माण को मिली हरी झंडी।

दरभंगा: वर्ष 1988 में आए भीषण भूकंप में क्षतिग्रस्त हो चुके सी एम साइंस कॉलेज के ऐतिहासिक आर्यभट्ट छात्रावास के पुनर्निर्माण का कार्य पावर ग्रिड कारपोरेशन ऑफ़ इंडिया लिमिटेड अपने कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी (सीएसआर) योजना के तहत जल्दी ही शुरु करेगा। इस प्रोजेक्ट पर कार्य की शुरुआत करने से पहले कारपोरेशन के क्षेत्रीय कार्यालय के जीएम (एचआर) एस के मांझी, सीजीएम (सीएसआर) रमेश कुमार, चीफ मैनेजर श्रीमंत चौधरी, सहायक अभियंता राजीव कुमार एवं आर्किटेक्ट कन्सल्टेंट विभाष कुमार ने मंगलवार को स्थल का मुआयना किया एवं छात्रावास निर्माण के लिए तैयार किए गये नक्शा पर प्रधानाचार्य डॉ प्रेम कुमार प्रसाद से गहन विचार-विमर्श किया। इस दौरान महाविद्यालय के बर्सर डॉ अशोक कुमार झा, जंतु विज्ञान विभागाध्यक्ष डॉ अरविंद कुमार, अंग्रेजी विभागाध्यक्ष प्रो कौशल कुमार सिन्हा, प्रधान सहायक कृष्ण कुमार चौधरी, आईक्यूएसी सहायक प्रवीण कुमार झा, शिक्षकेत्तर कर्मचारी संघ के अध्यक्ष राधेश्याम झा, उमेश कुमार ठाकुर एवं चेतकर झा आदि भी उनके साथ थे।
महाविद्यालय पहुँचने पर निरीक्षण दल के सभी सदस्यों का स्वागत मिथिला की गौरवशाली परंपरा के अनुरूप प्रधानाचार्य डॉ प्रेम कुमार प्रसाद एवं बर्सर डॉ अशोक कुमार झा के हाथों मिथिला पेंटिंग की कलाकारी से युक्त पाग, चादर एवं मास्क भेंट कर किया गया। मौके पर जीएम (एचआर) एस के मांझी, सीजीएम (सीएसआर) रमेश कुमार ने संयुक्त रूप से कहा कि करीब साढे सात करोड़ की लागत से 150 बिस्तर वाले आर्यभट्ट छात्रावास के पुनर्निर्माण का कार्य जल्दी ही शुरू कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि कार्य प्रारंभ किए जाने से पहले कारपोरेशन द्वारा तैयार किए गए नक्शे पर छात्रों की मूलभूत जरूरत के मद्देनजर महाविद्यालय के प्रधानाचार्य से चर्चा किए जाने के साथ ही स्थल का मुआयना किया जाना जरूरी था। जिसे आज पूरा कर लिया गया और निकट भविष्य में ही छात्रावास के पुनर्निर्माण का कार्य शुरू कर दिया जाएगा।
सनद रहे कि बीते साल सीएम साइंस कॉलेज के 1972 बैच के छात्र रहे पावर ग्रिड कारपोरेशन ऑफ़ इंडिया लिमिटेड के तत्कालीन मुख्य प्रबंधक इंदु शेखर झा ने महाविद्यालय में आगमन के दौरान महाविद्यालय के प्रधानाचार्य डॉ प्रेम कुमार प्रसाद एवं रसायन विज्ञान विभाग के वरीय शिक्षक डॉ अशोक कुमार झा की ओर से कारपोरेशन की सीएसआर योजना के तहत इस ऐतिहासिक छात्रावास के पुनर्निर्माण संबंधी लाए गये प्रस्ताव पर संकेत देते कहा था कि यह उनके लिए गौरव की बात होगी कि जिस महाविद्यालय में उनका छात्र जीवन बीता, उसके छात्रों की सुविधा के लिए पीजीसीआईएल छात्रावास का निर्माण कर सकेगा। इसके साथ ही, उन्होंने महाविद्यालय परिसर के सौंदर्यीकरण एवं समुचित प्रकाश व्यवस्था बहाल किए जाने संबंधी लाए गए प्रस्ताव पर भी अपनी सहमति जाहिर करते हुए अपने साथ आए अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए थे।
पीजीसीआईएल के आला अधिकारियों के मंगलवार को महाविद्यालय का दौरा करने एवं निर्माण स्थल के निरीक्षण के बाद अब यह निश्चित हो गया है कि वर्षों से क्षतिग्रस्त इस छात्रावास के जल्दी ही दिन बहुरेंगे। गौरतलब है कि वर्ष 1938 में मिथिला कॉलेज के नाम से इस काॅलेज की स्थापना के साथ ही स्थानीय व्यवसायी एवं बुद्धिजीवियों के सहयोग से न्यू हॉस्टल के नाम से इस छात्रावास का निर्माण कराया गया था। वर्ष 1974 में विज्ञान संकाय के रूप में सी एम साइन्स कालेज के नाम से इस महाविद्यालय के स्वतंत्र अस्तित्व में आने के बाद न्यू हॉस्टल का नाम महान वैज्ञानिक आर्यभट्ट के नाम पर रखा गया। जानकारों की मानें तो पूर्व रेल मंत्री स्व ललित नारायण मिश्र, पूर्व मुख्यमंत्री स्व कर्पूरी ठाकुर, पूर्व शिक्षा मंत्री स्व नागेन्द्र झा सरीखे अनेक महान व्यक्ति इस छात्रावास में रहकर शिक्षा ग्रहण कर चुके हैं।

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