Home Featured बाल अधिकारों को सुरक्षित रखना हम सबों का दायित्व : जिला न्यायाधीश।।
November 8, 2020

बाल अधिकारों को सुरक्षित रखना हम सबों का दायित्व : जिला न्यायाधीश।।

दरभंगा: बच्चे राष्ट्र के भविष्य होते हैं। बाल अधिकारों को सुरक्षित रखना हम सबों का दायित्व है। इसको सुरक्षा प्रदान करने के लिए सरकार ने किशोर न्याय अधिनियम 2015 लाकर बच्चों को कानूनी अधिकार प्रदान किया है। उक्त बातें रविवार को दरभंगा व्यवहार न्यायालय प्रांगण में आयोजित लैंगिक अपराधों से बच्चों का संरक्षण और किशोर न्याय अधिनियम से संबंधित एक दिवसीय “संवेदीकरण सह जागरूकता कार्यशाला” को संबोधित करते हुए जिला एवं सत्र न्यायाधीश रुद्र प्रकाश मिश्रा ने कही।

उन्होंने कहा कि इसी प्रकार नावालिग के साथ लैंगिक अपराधों पर कारगर रोक के लिए अतिसंवेदनशील कानून पॉक्सो ऐक्ट बनाया गया। इसके कार्यान्वयन में हम सबों की भूमिका है कि ऐसे मामलों में जागरुक और संवेदनशील रहें। वहीं नगर पुलिस अधीक्षक अशोक कुमार ने कहा कि जागरूकता के अभाव में बाल अपराध के मामलों में पुलिस से भूल हो जाती है। जरुरत इस बात कि है कि दोनों संवेदनशील कानूनों का कार्यन्वयन के सन्दर्भ में जनजागरूकता के अतिरिक्त पुलिसकर्मियों को भी कार्यशाला के माध्यम से जागरूक किया जाय। बार एसोसिएशन के अध्यक्ष रविशंकर प्रसाद ने विषय प्रवेश कराते हुए उपरोक्त दोनो कानून विशेष की आवश्यकता, इसका शत प्रतिशत अनुपालन, इसके कार्यान्वयन में होने वाली भूल तथा इसके दुष्परिणामों को रेखांकित करते हुए इसके सही और समाज को होने वाले लाभों का विस्तृत जानकारी दी।

प्रोवेशनरी सिविल जज वन्दना मधुकर ने किशोर न्याय अधिनियम के उदेश्य और प्रावधानों पर प्रकाश डाला। किशोर न्याय वोर्ड के प्रधान सदस्य अश्विनी कुमार ने बाल अपराधों के स्वरूप, अनुसंधान की प्रक्रिया, संवेदीकरण और जागरूकता पर प्रकाश डाला। सदस्य कुमारी गुंजन ने जेजेवी के समक्ष बालकों को प्रस्तुत करने की विधि बताई। सदस्य अजीत कुमार ने बालकों की जमानत और कस्टडी प्रक्रिया की जानकारी दी। पैनल अधिवक्ता विष्णुकांत चौधरी ने कार्यशाला में बाल अपराधों पर नियंत्रण के लिए सातवीं कक्षा से बारहवीं कक्षा के सिलेवस में छोटे-छोटे सामान्य कानूनों को जोड़कर शिक्षित किये जाने का प्रस्ताव रखा।

सीजेएम ने बाल अपराधों में जमानत के प्रवधानों पर सारगर्भित विचार प्रस्तुत किये और कहा कि हमारी थोड़ी सी कोशिश किसी भी भटके बालकों की जिन्दगी बदल सकती है। प्रथम एडीजे संजय अग्रवाल ने बाल अपराधों में किशोर न्याय बोर्ड के अधिकारों एवं सेशन कोर्ट में अपील के प्रावधानों पर प्रकाश डाला। एडीजे हमबीर सिंह बघेल ने पॉक्सो से संबंधित मामलों में अनुसंधान में संवेदीकरण, ट्रायल की प्रक्रिया समेत इसके विभिन्न आयामों पर सुक्ष्मता से प्रकाश डाला। एडीजे सह पॉक्सो के विशेष न्यायाधीश विनयशंकर ने कांड के दर्ज करने में सावधानी, बयान कलमबद्ध करने का तरीका तथा पीड़िता के पहचान की गोपनीयता आदि को अनिवार्य बताया।

डीएमसीएच के अधीक्षक मनीभूषण शर्मा ने पीड़िता की चिकित्सकीय जांच की आवश्यकता और उसके देखरेख पर विस्तार से प्रकाश डाला। इस मौके पर पॉक्सो के स्पेशल पीपी विजय कुमार, सारांश परिवार न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश अजीत कुमार सिन्हा ने विचार रखे। वहीं कार्यशाला में एडीजे उदय प्रताप सिंह,मनोज कुमार द्विवेदी, संपत कुमार, अनायत करम संजीव कुमार सिंह,प्रभातकृष्ण, संजयप्रिय,एसीजेएम जावेद आलम ,प्राधिकार के सचिव दीपक कुमार, दीपांजन मिश्रा,रोहित कुमार, रोमी कुमारी, संदीप कुमार सिंह, गौतम कुमार,धीजेंद्र पातंजलि, सुधीर कुमार पासवान, ललन कुमार रजक ,बेनीपुर बार एसोसिएशन के अध्यक्ष, युवा अधिवक्ता सुशील कुमार समेत सभी न्यायिक पदाधिकारी तथा न्यायालयकर्मियों ने भाग लिया। धन्यवाद ज्ञापन संजय अग्रवाल तथा संचालन तान्या पटेल ने किया।

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