प्रमाण दिखाने के वाबजूद लॉकडाउन के नाम पर पुलिस लोगो को कर रही है परेशान।
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दरभंगा: लगता है लॉकडाउन का अनुपालन करवाने के चक्कर मे दरभंगा पुलिस मानवता को पूरी तरह तार तार कर चुकी है। आवश्यक कार्य को छोड़िए, गम्भीर अवस्था मे अस्पताल से लौट रही महिला पर भी तरस नही खाती। चालान किये बिना उसे भी नही छोड़ती। उसे लेकर लौट रहे परिजन कारण बताये, डॉक्टर का उसी दिन का पर्ची भी दिखाये, फिर भी महज स्कूटी में आगे नम्बर नहीं रहने के कारण चालान भरना पड़ा।
महिला ने जो चिकित्सीय समस्या बतायी, उसे सुनने के बाद दानव हृदय भी शायद द्रवित हो जाय, पर दरभंगा पुलिस नही हुई। ऐसे शब्दों को समाचार में संप्रेषित करने में भी कठिनाई हो, वैसे शब्दों पर भी पुलिस का दिल नही पिघला।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, सोमवार को लोहिया चौक के निकट गुदरी बाजार की रहने वाली एक महिला गर्भपात होने के उपरांत बंगाली टोला स्थित एक अस्पताल से सफ़ाई करवा कर अपने परिजन के साथ लौट रही थी। वाहन के अभाव में नजदीक होने कारण स्कूटी पर ही अपने पति एवं ननद के साथ चल दी। ऐसी चिकित्सा के बाद सामान्यतया हॉस्पिटल में एडमिट होने की जरूरत होती है। पर लॉकडाउन और घर नजदीक होने के कारण वह घर ही लौट रही थी। लौटते समय दिन के करीब ढाई बजे लहेरियासराय थाना के सामने तैनात पुलिसकर्मियों ने महिला को रोका। उन्होंने डॉक्टर का पुर्जा दिखाया और वस्तुस्थिति बतायी। स्कूटी का सारा पेपर और हेलमेट रहने के वाबजूद महज आगे नम्बर न रहने के कारण 2500 का फाइन उन्हें बताया गया। अंत मे काफी मिन्नत के बाद 500 का फाइन करके छोड़ा गया।
एकतरफ कोरोना के कारण चिकित्सीय सेवाओं में वैसे ही लोगों को समस्या हो रही है। ऐसे में यदि इसप्रकार के गम्भीर स्थितियों में भी पुलिस अपना रौब दिखाये, तो सहज समझा जा सकता है कि पुलिस जनता की मदद केलिए सड़क पर है, या किसी अन्य उदेश्य से!
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