दूर दूर तक फैली हुई है कसरौड़ के मां ज्वालामुखी भगवती की ख्याति।
दरभंगा: जिला मुख्यालय से करीब 50 किमी पूरब मिथिलांचल के विख्यात कसरौड़ के मां ज्वालामुखी भगवती की ख्याति दूर-दूर तक फैली हुई है। जिले के गौड़ाबौराम प्रखंड अंतर्गत कसरौड़ बसौली के उत्तरी कसरौड़ में मां भगवती का पुराना डीह है, जो शक्तिधाम उपासना का केंद्र बिंदू बना हुआ है। आदिकाल से गांव के सभी परिवार की एक मात्र कुलदेवी यह भगवती हैं।
मान्यता है कि माता मनोवांछित फल देकर भक्तों को वापस करती है। वर्षभर इस परिसर में भक्ति भावना की धारा प्रवाहित होती रहती है।
खासकर विवाह, मुंडन सहित कई मांगलिक कार्य भी यहां सपन्न कराए जाते हैं। नवरात्र में तो भक्तों की भीड़ उमड़ी रहती है। बिहार व झारखंड के साथ ही नेपाल से भी लोग यहां दर्शन को आते हैं।
यहां आदिकाल से गांव के सभी परिवार के एक मात्र कुलदेवी यह भगवती हैं। यह भी एक अनोखी बात है। क्योंकि, मिथिला के घर-घर में कुलदेवी या देवता की स्थापना कर पूजने का विधान है। अधिकांश मांगलिक कार्य गांव के सभी लोग यहीं आकर संपन्न करते हैं।
ग्रामीणों का कहना है कि 7 सौ वर्ष पहले आधारपुर पंचायत के ऊफरौल गांव निवासी बाबा लखतराज पांडेय जीवन-यापन की तलाश मे हिमाचल प्रदेश के नगरकोट पहुंचे थे। वहां मां ज्वाला की पूजा-अर्चना में समर्पित हो गए।
मंदिर परिसर में ही श्रद्धालुओं के ठहरने की है उत्तम व्यवस्था
इस गांव का नाम उसी समय से ज्वालामुखी कसरौड़ से विख्यात हुआ। मंदिर 6 एकड़ में निर्मित भव्य मंदिर परिसर में ही श्रद्धालुओं के ठहराव के लिए शेड, मनोरंजन के लिए नाटक कला मंच व भागवत कथा के लिए अलग स्थाई मंच है।
मंदिर की तीनों ओर से भव्य प्रवेश द्वार है। कमल फूलों का भार लेकर सीमावर्ती महिषी, सहरसा से भक्त आते हैं।
इस मंदिर की उत्तर दिशा में शंभू बाबा का आश्रम है। माता के साथ बाबा के आशीर्वाद लेने के लिए लोगों का तांता लगा रहता है। ये 25 सालों से अन्न-जल त्याग कर भगवती की सेवा में लगे हैं।
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