Home Featured विश्लेषण: पूजा को आका ने दिया धोखा या पार्षदों ने की गद्दारी! जीनत को क्यों मिले केवल 8 मत!
January 12, 2022

विश्लेषण: पूजा को आका ने दिया धोखा या पार्षदों ने की गद्दारी! जीनत को क्यों मिले केवल 8 मत!

दरभंगा: जिप अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के चुनाव की तरह ही मेयर और डिप्टी मेयर के चुनाव का भी नजारा बुधवार को दरभंगा में दिखा। यूँ तो ये चुनाव दलगत आधार पर होता नहीं है, पर फिर भी दल के समर्थित उम्मीदवार बना दिए जाते हैं। ऐसे ही दलगत समर्थित उम्मीदवारों में महागठबंधन की तरफ से मेयर केलिए मुन्नी देवी और डिप्टी मेयर केलिए जीनत प्रवीण ने नामांकन कराया। वहीं एनडीए खेमे से मेयर केलिए पूजा मंडल और डिप्टी मेयर केलिए भरत साहनी ने नामांकन कराया।

मेयर पद केलिए महागठबंधन समर्थित मुन्नी देवी को 21 और एनडीए समर्थित पूजा मंडल को 17 मत मिले। जीत महागठबंधन

समर्थित मुन्नी देवी की हुई। अब इसके बाद उन्ही पार्षदों ने उसी समय डिप्टी मेयर केलिए भी वोटिंग किया। इस वोटिंग में एनडीए समर्थित भरत सहनी को 29 मत मिले जबकि महागठबंधन समर्थित जीनत प्रवीण को केवल 8 मत मिले।

अब यहां पहला सवाल यह उठता है कि मेयर के वोटिंग में 21 महागठबंधन समर्थक थे तो क्या डिप्टी मेयर के वोटिंग में 8 को छोड़

Advertisement

वे सब एनडीए समर्थक बन गए! ऊपर से यदि मुस्लिम समीकरण की बात भी करें तो 10 मुस्लिम पार्षदों के रहते हुए भी जीनत प्रवीण को कुल 8 मत ही मिले, इसका मतलब क्या दो मुस्लिम पार्षदों ने भी भाजपा नेता भरत साहनी को मत दिया!

वहीं दूसरी तरफ यही बात पूजा मंडल केलिए कहें तो उनके साथ भी कहीं न कहीं बड़ा धोखा हुआ। एनडीए के डिप्टी मेयर प्रत्याशी को जो आका 29 मत दिलाने की क्षमता रखते हैं, वे मेयर में केवल 17 मत ही दिला सके। क्या यह पूजा मंडल के जिद के सामने झुकने और मधुबाला सिन्हा को किनारा करने पर मजबूर होने की सजा के तौर पर सबक तो नही दिया गया!

बताते चलें कि मेयर पद केलिए चर्चित समाजसेवी नवीन सिन्हा की धर्मपत्नी मधुबाला सिन्हा का नाम मंगलवार की शाम तक सबसे आगे था। पर रातोंरात मैनेजमेंट का खेला ऐसा हुआ कि मेयर पद की दावेदारी मधुबाला सिन्हा को छोड़नी पड़ी। इसमें भाजपा के एक

Advertisement

कद्दावर जनप्रतिनिधि द्वारा हस्तक्षेप कर उन्हें पीछे हटने केलिए मजबूर करने की बात सामने आ रही है।

मधुबाला सिन्हा द्वारा चुनाव सम्पन्न होने के पूर्व ही मीडिया को मैसेज दे दिया गया कि रात भर में छल बल का खेला हुआ और उनके साथ केवल दर्जन भर पार्षद ही बचे। इसलिए उन्होंने उम्मीदवारी छोड़ दी। अगली बार सीधे जनता द्वारा मेयर और डिप्टी मेयर का चुनाव होने की संभावना है। अतः वे उसी चुनाव में सीधे जाएंगी, जहां जनता के हाथ में सीधे चुनने की शक्ति होगी।

ऐसे में सवाल तो बहुत से हैं। पर जवाब शायद यही होगा कि पार्टी और विचारधारा के नाम पर जनता को लड़ाकर वोट लिया जाता है। पर वोट लेने के बाद जनप्रतिनिधियों की एक ही विचारधारा रह जाती है, व्यक्तिगत नफा और नुकसान। व्यक्तिगत नफा और नुकसान के सामने न धर्म, न जाति, न पार्टी और न कोई विचारधारा मायने रखती है। ये केवल चुनाव में जनता को दिखाकर बांटने केलिए ही उपयोग में रहता है शायद।

Share

Check Also

जेईई मेंस के रिजल्ट में एकबार फिर सर्वश्रेष्ठ रहा ओमेगा का प्रदर्शन, संस्कृति को मिला 232वां रैंक।

देखिये वीडियो भी दरभंगा: मिर्जापुर स्थित शिक्षण संस्थान ओमेगा स्टडी सेंटर के बच्चों ने जेई…