ग्रामीणों द्वारा सामूहिक रूप से तीन दिवसीय भुइयां पूजा का किया गया आयोजन।
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दरभंगा: अनादिकाल से मिथिला ऋषियों, मुनियों, तपस्वियों एवं वीरों की भूमि रही है। देवी देवताओं के अलावा कई जातियों के अलग अलग लोक देवता की पूजा भी इस भूमि पर होती है। इन्ही में से एक हैं भुइयां बाबा। इनका काल 14वीं शताब्दी में बताया गया है।
भुईंया बाबा की पूजा विशेषकर किसान एवं पशुपालक करते हैं। ऐसी लोकोक्ति है कि महावीर प्रतापी भुइयां बाबा ने बाघों से पशुओं की रक्षा की थी। इनकी पूजा से पशु स्वस्थ एवं पशुपालक खुशहाल रहते हैं।
इसी कड़ी में जिले के बहादुरपुर प्रखंड के उघड़ा पंचायत के पनसिहा गांव में तीन दिवसीय भुइयां बाबा की पूजा कब बड़ी धूम धाम से आयोजन किया गया। गुरुवार को शुरू हुए इस तीन दिवसीय पूजा आयोजन में शुक्रवार को मुख्य पूजा हुई। शनिवार को इसका विसर्जन होगा।
इस पूजा के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए उघड़ा पंचायत के पंचायत समिति सदस्य गंगा प्रसाद साहू ने बताया कि करीब तीस वर्षों बाद इलाके के लोगों द्वारा इस पूजा का आयोजन गुरुवार से ही शुरू किया गया। पूजा के प्रथम दिन रात्रि जागरण एवं ग्राम बंधन कार्यक्रम का आयोजन किया गया। वहीं शुक्रवार को बड़ी धूम धाम से दूर दराज से आए भगतों द्वारा भुइयां बाबा का आह्वान एवं हवन किया गया। साथ ही शनिवार को सूर्य अर्घ्य के साथ तीन दिवसीय पूजा का समापन हो जायेगा।
पूजा के आयोजन में भिखारी यादव, फुलेश यादव, जयराम यादव, कमलेश यादव एवं संजय दास आदि की भूमिका प्रमुख रही।
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