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January 31, 2022

सरकारी जमीन में केशर-ए-हिन्द एवं खास महाल की जमीन को किसी को नहीं दिया जा सकता।

दरभंगा: प्रमंडलीय आयुक्त कार्यालय के सभागार में सोमवार को राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग, बिहार सरकार के अपर मुख्य सचिव विवेक सिंह की अध्यक्षता में प्रमंडल स्तरीय समीक्षा बैठक हुई। बैठक में भूमि विवाद से संबंधित 11 बिन्दुओं पर समीक्षा की गयी। अपर मुख्य सचिव ने कहा कि सरकारी जमीन में केशर-ए-हिन्द एवं खास महाल की जमीन को किसी को नहीं दिया जा सकता है। यदि किसी ने उस पर कब्जा कर रखा है तो वह अवैध है।

उन्होंने दरभंगा, समस्तीपुर एवं मधुबनी के अपर समाहर्ता को ऐसी जमीनों की सूची जिला स्तर पर बना लेने का निर्देश दिया तथा डीएम को इसकी समीक्षा करने को कहा। उन्होंने कहा कि बड़े भूभाग के

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सीमांकन की समस्या भी कई जगहों पर है। बिना जमीन की मापी और समुचित सीमांकन के पर्चा दे दिया गया। पर्चाधारी को यह पता नहीं है कि उस विस्तृत भू-भाग में उसकी जमीन कहां है। भू माफिया इसका लाभ उठाकर ऐसी जमीनों पर धीरे-धीरे कब्जा कर लेता है। इसलिए ऐसी जमीनों का सीमांकन एवं मापी कराकर नामवार पर्चाधारियों को चौहद्दी के साथ भूमि आवंटित की जाए।

उन्होंने कहा कि जिन भूमि विवाद के मामलों में भूमि सुधार उप समाहर्ता, जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी द्वारा आदेश पारित किया गया है, उसका अनुपालन कराया जाए। राजस्व न्यायालय के आदेश का वहीं महत्व है, जो सिविल न्यायालय का है। इसलिए ऐसे आदेशों का अक्षरश: अनुपालन कराया जाए। उन्होंने कहा जमाबंदी रद्द करने एवं अतिक्रमणवाद के आदेश का शत-प्रतिशत अनुपालन कराया जाए। यदि किसी भूमि विवाद के मामले में सिविल

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न्यायालय से कोई आदेश पारित है तो उसका क्रियान्वयन कराया जाए। उन्होंने कहा कि अब अमीन की कोई कमी नहीं है। लंबित भूमि मापी के मामले में अतिशीघ्र भूमि मापी कराकर समाधान कराएं। यदि भूमि मापी निर्धारित समय सीमा के अंतर्गत नहीं करायी जाती है तो संबंधित अमीन, सीओ के विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि भूमि मापी का मामला विवाद नहीं है, बल्कि यह वैधानिक निष्पादन का मामला है और इसमें एक माह से अधिक का समय नहीं लगना चाहिए। रैयती जमीन में सड़क को लेकर अक्सर विवाद होता है। इसका निष्पादन कराने का निर्देश दिया।

उन्होंने दाखिल-खारिज के लंबित मामलें की समीक्षा की और जिन अंचलों में लंबित मामले अधिक पाये गये, उन्हें चेतावनी देते हुए कहा कि यदि 31 दिसम्बर 2020 तक के दाखिल खरिज के मामलों का निष्पादन 15 फरवरी तक व 30 जून 2021 तक के मामले का

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निष्पादन 28 फरवरी तक नहीं किया जाएगा तो संबंधित सीओ के विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी। दाखिल-खारिज निष्पादन के मामले में 75 प्रतिशत से कम निष्पादन स्वीकार योग्य नहीं होगा। वैसे कर्मचारी जिनके हल्के में दाखिल-खारिज के वाद का निष्पादन नहीं हो रहा है, उन्हें दूरस्थ क्षेत्र में स्थानांतरित किया जाए। यदि पुराने मामले लंबित हैं और नये मामले का निष्पादन हो रहा है तो इस पर प्रश्नचिन्ह खड़ा होता है। ऐसे कर्मचारियों के विरुद्ध जांच करायी जानी चाहिए। जमीन की एलपीसी के मामले में निष्पादन शत-प्रतिशत होना चाहिए।

अपर मुख्य सचिव ने जल जीवन हरियाली योजना के अन्तर्गत मौजावार जल निकाय की संख्या एवं अतिक्रमण हटाने के मामलें पर समीक्षा की। वैसे लोग जिन्हें रहने के लिए जमीन नहीं है उन्हें जमीन खरीदकर देने को कहा।

बैठक में प्रमंडलीय आयुक्त मनीष कुमार, आईजी ललन मोहन प्रसाद, दरभंगा डीएम राजीव रौशन, समस्तीपुर डीएम योगेन्द्र सिंह, मधुबनी डीएम अमित कुमार, दरभंगा एसएसपी अशोक प्रसाद, समस्तीपुर एसपी हृदय कान्त, मधुबनी एसपी डॉ. सत्य प्रकाश, आयुक्त के सचिव देवेन्द्र प्रसाद तिवारी, दरभंगा, समस्तीपुर व मधुबनी के अपर समाहर्ता, भूमि सुधार उप समाहर्ता, उप निदेशक, जनसम्पर्क नागेन्द्र कुमार गुप्ता एवं अन्य अधिकारी उपस्थित थे।

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