Home Featured आप अपने दिमाग को क्या खिला रहे हैं, इसको लेकर सचेत रहने की आवश्यकता: नूतन कंठ।
February 27, 2022

आप अपने दिमाग को क्या खिला रहे हैं, इसको लेकर सचेत रहने की आवश्यकता: नूतन कंठ।

दरभंगा: भारत में मानसिक स्वास्थ्य अनुसंधान के क्षेत्र में हुए अनेक शोधों के आधार पर यह सहज ही कहा जा सकता है कि क्रिएटिव एक्टिविटी मनुष्य की इम्युनिटी को बढ़ाने में बेहद मददगार है। ये बातें रविवार को सीएम साइंस कॉलेज में आयोजित विज्ञान सप्ताह के छठे दिन ‘कोविड महामारीक मनोवैज्ञानिक प्रभाव’ विषय पर विचार रखते हुए नैदानिक मनोवैज्ञानिक डॉ. नूतन कंठ ने कही।

उन्होंने कहा कि आप अपने दिमाग को क्या खिला रहे हैं, इसको लेकर सचेत रहने की आवश्यकता है। हम जैसा खाते हैं वैसा ही बनते हैं। यही बात हमारे दिमाग पर भी लागू होती है। मन खुद को उस सामग्री से आकार देता है, जिसे हम खाते हैं, जो हम देखते, पढ़ते और सुनते हैं। हमें उन सबके बारे में हमें बहुत सावधान रहने की जरूरत है।

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‘विज्ञान साहित्य संगोष्ठी’ विषय पर इग्नू के श्रेत्रीय निदेशक डॉ. शंभु शरण सिंह ने कहा कि भारत के लोग विज्ञान और भगवान दोनों पर विश्वास करते हैं। विज्ञान दोधारी तलवार है। विज्ञान से मुनष्य की रक्षा और विनाश दोनों होता है। विज्ञान को साहित्य का साथ मिले तो समाज का ज्यादा कल्याण होगा। साहित्य अकादमी से पुरस्कृत डॉ. अमलेंदु शेखर पाठक ने कहा कि विज्ञान कल्पना को यथार्थ में बदलता है। विज्ञान और साहित्य एक धरातल पर खड़े हैं, इसे अलग नहीं किया जा सकता है। ‘कोविड प्रबंधन में आयुष की भूमिका’ विषय पर डीएमसीएच के डॉ. आरके दास ने कहा कि कोरोना महामारी से काफी नुकसान हुआ है। अब चौथी लहर के आने की बात कही जा रही है। इससे बचाव के लिए सभी को सतर्क रहने की जरूरत है। सभी लोग कोरोना वैक्सीन जल्द ले लें।

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‘मैथिली विज्ञान कवि सम्मेलन’ में मैथिली काव्य रस फुहार में प्रतिभागी गोते लगाते रहे। कवि सम्मेलन की अध्यक्षता कर रहे लनामि विवि के कुलसचिव प्रो. मुश्ताक अहमद ने कविता पाठ करते हुए कहा ‘खुशी मिली तो खुशी की तरफ नहीं देखा…’। इसके साथ ही पूरा सभागार तालियों से गूंज उठा। दूरस्थ शिक्षा निदेशालय के निदेशक प्रो. अशोक कुमार मेहता ने ‘नित-नित सम्मान, घर-घर विज्ञान…’ का सस्वर पाठ किया, जिसे सभी ने खूब पसंद किया। डॉ. सत्येंद्र कुमार झा ने ‘भेल खंडित विश्वास, आस्था दरकल दरकल…’ पर कविता पाठ किया। शंकर देव झा ने ‘अहां आबी न आबी चंदा मामा, गाम अहांक एक दिन ऐबे करब…’ कविता पाठ किया। मणिकांत झा ने ‘विज्ञान समाज क विशिष्ठ अंग थीक…’ विषयक कविता पाठ किया। चंदना दत्त ने ‘जय मां भारती, जय मां विज्ञान…’ पर कविता पाठ किया। डॉ. दिनेश साह ने ‘उसने उलझाये रखा खुद को गणित के किताबों में…’ पर कविता पाठ किया। महोत्सव के अध्यक्ष प्रो. दिलीप कुमार चौधरी ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए उनके प्रति आभार जताया।

कार्यक्रम के दूसरे सत्र में प्रतिभागियों के बीच कविता लेखन प्रतियोगिता आयोजित की गई। प्रतिभागियों को 28 फरवरी को सम्मानित किया जाएगा। कार्यक्रम के अंतिम चरण में स्थानीय कलाकारों की ओर से सांस्कृतिक कार्यक्रम की प्रस्तुति दी गई। कार्यक्रम का संचालन डॉ. सत्येंद्र कुमार झा और डॉ. नेहा वर्मा ने किया।

मौके पर संयोजक डॉ. सुजीत कुमार चौधरी, डॉ. जीएम मिश्रा, डॉ. दिलीप कुमार झा, डॉ. दिनेश प्रसाद साह, डॉ. कुमार मनीष, डॉ. पांशु प्रतीक, डॉ. आरती कुमारी, डॉ. पूजा अग्रहरि, डॉ. निधि झा, डॉ. रश्मि रेखा, डॉ. अभय सिंह, डॉ. सुषमा रानी, नरेंद्र लाल आदि थे।

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