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February 27, 2022

कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के सीनेट की बैठक सम्पन्न।

दरभंगा: कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विवि के सीनेट की बैठक रविवार को दरबार हॉल में कुलपति प्रो. शशिनाथ झा की अध्यक्षता में हुई। कुलपति ने अपने अभिभाषण में विगत एक वर्ष की उपलब्धियों को गिनाते हुए भविष्य की योजनाओं की जानकारी दी।

अध्यक्षीय अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव उपस्थापित करते हुए अभिषद सदस्य नगर विधायक संजय सरावगी ने कहा कि संस्कृत देव वाणी है। इसके उत्थान के लिए हम सभी का प्रयास जरूरी है। संस्कृत जन्म से मृत्यु तक हमारे साथ रहती है। तमाम शुभ कार्य संस्कृत के बिना सम्भव नहीं है। बावजूद इसके बच्चे इस विषय में नामांकन लेने से कतराते हैं। छात्रों की कम संख्या चिंता का विषय है। उन्होंने सीनेट-सिंडिकेट के सदस्यों के साथ सभी प्रधानाचार्यों व शिक्षकों से अपील की कि सभी मिलकर मंथन करें कि आखिर बच्चे संस्कृत में पढ़ने क्यों नहीं आते हैं। उन्होंने इसे रोजगारपरक बनाने पर भी बल दिया तभी बच्चों का झुकाव इस ओर सम्भव बताया। उन्होंने अनुकम्पा पर बहाली की वकालत की।

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धन्यवाद प्रस्ताव के समर्थन में मदन प्रसाद राय ने कहा कि संस्कृत की उन्नति जरूरी है। उन्होंने बहाली में आरक्षण रोस्टर को लागू करने को कहा। ललितकला भवन को लता मंगेशकर के नाम करने का प्रस्ताव दिया। उन्होंने विवि के स्वास्थ्य केंद्र का नाम पद्मश्री स्व. डॉ. मोहन मिश्र के नाम पर रखने का प्रस्ताव दिया, जिसपर सभी सहमत रहे। डॉ. विनोदनंद झा ने विवि की प्रशासनिक व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए कहा कि मुख्य प्रशासनिक भवन में जीर्णोद्धार कार्य में घोर गड़बड़ी हुई है। इसको लेकर कमेटी ने रिपोर्ट भी सौंप दी है लेकिन इसका कार्यान्वयन अभी तक नहीं हुआ है। विवि प्रतिनिधि की अनुपस्थिति में कॉलेजों में हो रही बैठकों को विवि स्वीकार कर रहा है यह दुखद है। सुनील भारती ने भी व्यवस्था का सवाल उठाया और कहा कि विश्वविद्यालय प्रतिनिधि की कोई नहीं सुनता। दुर्गेश राय ने सुझाव दिया कि आंतरिक आय बढ़ाने के लिए एक कमेटी गठित होनी चाहिए और यही कमेटी कॉलेजों की सम्पति का आकलन कर खासकर सड़क के किनारे भूखंडों का व्यावसायिक उपयोग का तौर-तरीका निर्धारित करेगी।

सीनेट की बैठक में कुल चार अरब 46 करोड़ 41 लाख 17 हजार 534 रुपये के घाटे के बजट को स्वीकृति दी गई।

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विवि ने अपने वित्त सहित सम्बद्ध शास्त्रीय व उपशास्त्रीय कॉलेज कर्मियों की पेंशन व पारिवारिक पेंशन के लिए पहली बार वर्ष 2022-23 के बजट में विशेष प्रावधान किया है। 31 अगस्त 2010 के बाद सेवानिवृत्त हो चुके ऐसे कर्मियों के लिए अलग हेड में पेंशन मद में बकाया राशि की भी मांग की गई है। सीनेट की बैठक में चर्चा के लिए प्रस्तुत बजट चार अरब 46 करोड़ 41 लाख 17 हजार पांच सौ 34 रुपये घाटे का दिखाया गया है। कुल अनुमानित वार्षिक खर्च चार अरब 48 करोड़ 46 लाख सात हजार एक सौ 96 रुपये आंका गया है जबकि कुल अनुमानित आय मात्र दो करोड़ चार लाख 89 हजार छह सौ 62 रुपये है। इस तरह गैर योजना मद में चार अरब 25 करोड़ 80 लाख 22 हजार नौ सौ 20 रुपये दिखाया है। बता दें कि स्नातकोत्तर विभाग, 31 अंगीभूत कॉलेज, 24 शास्त्री कॉलेज व 15 उपशास्त्री कॉलेज, मुख्यालय कर्मियों व पदाधिकारियों के वेतन मद में कुल वार्षिक खर्च 84 करोड़ 10 लाख 77 हजार छह सौ 79 रुपये का बजटीय प्रावधान किया गया है। वहीं सेवांत लाभ मद में कुल एक अरब 34 करोड़ 59 लाख 21 हजार आठ सौ 11 रुपये खर्च का अनुमान है। इसी तरह वेतन व पेंशन की बकाया राशि कुल एक अरब 48 करोड़ 57 लाख 99 हजार पांच सौ 30 रुपये दर्शाया गया है।

सीनेट की बैठक में बजट प्रस्तुत करते हुए प्रतिकुलपति प्रो. सिद्धार्थ शंकर सिंह ने अपने अभिभाषण में कहा कि संपूर्ण बिहार में प्राच्य विद्या के पठन-पाठन के लिए यह इकलौता संस्कृत विश्वविद्यालय है। सर कामेश्वर सिंह ने प्राच्य भाषा को और विकसित करने के लिए हमें अपनी यह संपत्ति दान में दी। हम सब उनके इस कार्य से कृतज्ञ हैं।

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