कार्यों को करने का तरीका बदलकर चलें आगे-आगे: कुलपति।
दरभंगा: भीड़ में चलने से कुछ नहीं मिलेगा। कार्यों को करने का तरीका बदलकर आगे-आगे चलें। ये बातें लनामि विवि के कुलपति प्रो. एसपी सिंह ने कही। वे मंगलवार को बेहतर नैक ग्रेडिंग के उद्देश्य से जुबली हॉल में कॉलेजों के प्राचार्यों व आइक्यूएसी समन्वयकों की कार्यशाला का उद्घाटन करने के बाद बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के लिए छात्रहित सर्वोपरि है। उनकी बेहतरी के लिए हम सब निरंतर मिलकर कार्य कर रहे हैं। नैक में बेहतर ग्रेड पाने के लिए पढ़ाई के साथ ही सामाजिक, सांस्कृतिक व खेलकूद आदि कार्यक्रमों की काफी अहमियत है। इस दिशा में सभी कॉलेज कदम दर कदम आगे बढ़ाएं। यदि योजनाबद्ध रूप से काम करें तो बेहतर उपलब्धि सुनिश्चित है। उन्होंने नैक मूल्यांकन के महत्व की चर्चा करते हुए कहा कि यह छात्र और कॉलेज सब के हित में है। अत: उच्च प्राथमिकता देकर सभी महाविद्यालय इस दिशा में शीघ्र सार्थक कार्यारंभ करें, विश्वविद्यालय भरपूर सहयोग करेगा। यदि नैक में सी ग्रेड भी मिले तो भी नैक अनिवार्य रूप से कराएं, क्योंकि यह नैक न कराने से बेहतर है और दंडित होने से भी बच सकेंगे। उन्होंने दिसंबर तक विश्वविद्यालय का भी नैक मूल्यांकन कराने की प्रतिबद्धता व्यक्त की।
प्रति कुलपति प्रो. डॉली सिन्हा ने कहा कि अच्छे नैक ग्रेड के लिए कॉलेज शैक्षणिक गुणवत्ता सुधार के साथ ही एक्स्ट्रा करिकुलर एक्टिविटी पर विशेष ध्यान दें। उन्होंने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि बिहार में आज मात्र 18 प्रतिशत कॉलेजों ने ही नैक मूल्यांकन कराया है। वहीं मिथिला विश्वविद्यालय के आठ कॉलेजों ने अभी तक एक भी चरण का नैक नहीं कराया है। उन्होंने अपनी ओर से कॉलेज के प्रधानाचार्यों को नैक संबंधी हर तरफ की मदद देने की पेशकश करते हुए कहा कि कॉलेज चाहे तो दो वर्षों के लिए पैक ग्रेड ले सकते हैं, परंतु इस बीच पुख्ता तैयारी कर बेहतर नैक ग्रेड प्राप्त कर सकते हैं। प्रतिकुलपति ने कहा कि जो महाविद्यालय नैक में अच्छा करेगा, उसे विश्वविद्यालय की ओर से सम्मानित करने का प्रयास किया जाएगा। वित्त परामर्शी कैलाश राम ने कहा कि महाविद्यालयों के शैक्षणिक विकास के लिए नैक मूल्यांकन आवश्यक है। प्राचीन काल में बिहार का नालंदा और विक्रमशिला विश्वविद्यालय विश्वविख्यात था, जहां विदेशों से भी छात्र पढ़ने आते आते थे, परंतु आज कमियों के कारण ही नैक मूल्यांकन में हम काफी पीछे हैं। कॉलेजों में पुस्तकालयों, प्रयोगशालाओं तथा टीचिंग टूल्स आदि को बेहतर करने की जरूरत है। अतिथियों का स्वागत तथा विषय प्रवेश सीसीडीसी डॉ. महेश प्रसाद सिन्हा ने किया।
दो तकनीकी सत्रों में प्रतिकुलपति प्रो. डॉली सिन्हा, प्रो. एनके अग्रवाल, डॉ. गौरव सिक्का आदि ने नैक की बारीकियों से सदस्यों को अवगत कराया। साथ ही पूछे गए सभी प्रश्नों का संतोषजनक उत्तर भी दिया। धन्यवाद ज्ञापन विकास पदाधिकारी प्रो. सुरेन्द्र कुमार ने किया। कुलसचिव प्रो. मुश्ताक अहमद ने कहा कि राज्य सरकार के निर्देशानुसार नैक न करने वाले संस्थान दंडित होंगे, जबकि उनकी डिग्री भी मान्य नहीं होगी। नेक कार्य के लिए सभी प्राचार्य अपने शिक्षकों एवं कर्मियों से पूरा सहयोग लें।
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