दरभंगा में पर्याप्त बारिश नहीं होने से धान की खेती हुई मुश्किल, किसानों में निराशा।
दरभंगा: लगतार घटते बारिश के कारण नदियों और तालाबों केलिए प्रसिद्ध मिथिला की हृदयस्थली दरभंगा जिला अकाल की तरफ बढ़ने लगा है। इस वर्ष भी औसत से बहुत कम बारिश होने के कारण किसानों में निराशा फैलने लगी है। यद्यपि दो दिन पहले हल्की बारिश हुई थी, जिसके चलते खेत में सूख रहे बिचड़ा को जीवन जरूर मिला है, लेकिन बुआई का कार्य शुरू नहीं हो सका है। कुछ उत्साहित किसानों ने दो दिन पहले बारिश के समय मेघ गर्जन के बीच खेत में जाकर ट्रैक्टर से कदबा जरूर करवाया, लेकिन अगले सुबह खेत सूख गया। परिणायम स्वरूप धान की बुआई नहीं हो सकी। ऐसे किसानों को दोहरी मार लगी।
किसान कृष्णकांत चौधरी बताते हैं कि उन्होंने बारिशकाल में खेत की जुताई करवाई। पानी भी खेत में था, लेकिन अगले दिन बिचड़ा और जुता हुआ खेत में पानी सूख गया, जिसके कारण बिचड़ा का उखाड़ा नहीं जा सका। अब उनपर दोहरी मार पड़ी है। पहली जोत में 80 रूपये प्रति कट्ठा ट्रैक्टर वाले को देना पड़ा था। अब पुन: जुताई करना पड़ेगा और पुन: 80 रूपये की दर प्रति कट्ठा का कीमत ट्रैक्टर वाले को देना पड़ेगा।
किसान कन्हैया झा बताते हैं कि उनके गांव होकर नहर जा रही है। इस बार मरम्मति के साथ-साथ उराही कराया गया। नहर में पानी तो आया है, लेकिन वह खेतों में अभी तक नहीं पहुंचा है। जिसका फायदा किसानों को नहीं मिल पा रहा है। इक्के-दुक्के किसान जिन्होंने उस पानी में ही बुआई कर ली, लेकिन उनका खेत भी सूख गया।
ऐसी स्थिति में किसानों को अब चिंता सता रही है कि खेत में पानी सूख जाने के कारण अब खर-पतवार ज्यादा आ जाएगा, जिसको निकलवाने के लिए लागत अधिक आएगी और फसल लगाना घाटे का सौदा होगा। दूसरी समस्या किसानों के समक्ष यह है कि बारिश हो भी गई, तो मजदूरों की काफी किल्लत है। जब तक लगातार बारिश नहीं होगी, तो खेत की बुआई संभव नहीं है।
बहरहाल बारिश का यही हाल रहा, तो खरीफ की रोपाई प्रभावित होगी। साथ ही किसनों के लिए धान की बुआई घाटे का सौदा साबित हो रहा है, इससे भी इनकार नहीं किया जा सकता।
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