Home Featured मिथिला साक्षरता अभियान के नौवें स्थापना दिवस समारोह का हुआ शुभारंभ।
September 26, 2022

मिथिला साक्षरता अभियान के नौवें स्थापना दिवस समारोह का हुआ शुभारंभ।

दरभंगा: वरिष्ठ साहित्यकार व भारत निर्वाचन आयोग के दरभंगा जिला स्वीप आईकॉन मणिकांत झा ने कहा कि वर्तमान समय में मिथिला, मैथिली और मिथिलाक्षर के सूरत-ए-हाल पर हमें आत्मावलोकन करने की जरूरत है। यदि हम अपनी मातृ लिपि मिथिलाक्षर का प्रयोग दैनिक कार्यों में नहीं करेंगे तो वह पुन मृतप्राय हो जाएगी।

वे सोमवार को मिथिलाक्षर साक्षरता अभियान के नौवें स्थापना दिवस पर वर्चुअल मोड में आयोजित पाक्षिक समारोह के शुभारंभ पर अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। शहर के शुभंकरपुर स्थित श्मशान काली मंदिर परिसर में समारोह का शुभारंभ हुआ। इसमें लनामि विवि के पीजी मैथिली विभागाध्यक्ष प्रो. रमेश झा ने कहा कि संविधान में शामिल अधिकतर भाषाओं को अपनी स्वतंत्र लिपि नहीं है। ऐसे में हमारी धरोहर लिपि मिथिलाक्षर मैथिली को विशिष्टता प्रदान करती है। उन्होंने कहा कि उनका प्रयास होगा कि स्नातक व पीजी मैथिली के पाठ्यक्रम में मिथिलाक्षर को यथोचित स्थान मिलने के साथ मिथिलाक्षर में मैथिली की उत्तर पुस्तिका लिखने वाले अभ्यर्थियों के सभी तरह के शिक्षण शुल्क माफ किए जाएं।

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युवा समाजसेवी परमानंद झा ने कहा कि धरोहर लिपि मिथिलाक्षर का पुनर्जागरण आह्लादित करने वाला है। कार्यक्रम का संचालन करते हुए अभियान के वरिष्ठ संरक्षक प्रवीण कुमार झा ने 25 सितंबर से नौ अक्टूबर तक देश-विदेश में आयोजित होने वाले स्थापना दिवस के वर्चुअल पाक्षिक समारोह की विस्तृत जानकारी दी। अशोक कुमार चौधरी ने दरभंगा एयरपोर्ट का नामपट्ट अन्य भाषाओं के साथ मिथिलाक्षर में भी लिखे जाने की बात रखी। इसका सभी ने ध्वनि मत से स्वागत किया।

मौके पर नीलम झा द्वारा मैथिली में रचित श्री दुर्गा चालीसा का विमोचन भी किया गया। अध्यक्षीय संबोधन में मिथिलाक्षर साक्षरता अभियान के संस्थापक पं. अजयनाथ झा शास्त्रत्त्ी ने अभियान की गतिविधियों की विस्तार से चर्चा की।

गंधर्व कुमार झा ने वेद ध्वनि प्रस्तुत किया। डॉ. सुषमा झा, दीपक कुमार झा एवं जया के गाए गोसाउनि गीत एवं अभियान गीतों को दर्शकों ने काफी पसंद किया। कार्यक्रम के आयोजन में दीपक आनन्द मल्लिक, धर्मेन्द्र कुमार झा, अनिल कुमार मिश्र, रुनू मिश्रा, पंकज कुमार कर्ण, कृष्ण कान्त झा, शंभु नाथ झा, उग्रनाथ झा, सुधा झा, जगतरंजन झा, संजय मिश्रा, साकेत कुमार झा आदि की उल्लेखनीय भूमिका रही। धन्यवाद ज्ञापन डॉ. सुषमा झा ने किया। कार्यक्रम में देश-विदेश से बड़ी संख्या में लोग जुड़े थे।

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