ये कैसी जागरूकता! क्या हेलमेट की जगह मुकुट पहन कर बाइक चलाना होगा सेफ़?
दरभंगा: यातायात नियमों का पालन करना अपनी सुरक्षा केलिए भी आवश्यक होता है। नियम तोड़ने वालों केलिए दंड प्रावधान के साथ साथ अक्सर जागरूकता कार्यक्रमो का आयोजन भी किया जाता है। पर आजकल यह जागरूकता कार्यक्रम कई संस्थानों केलिए अपना चेहरा चमकाने और प्रशसनिक अधिकारियों के बीच पहचान बनाने का जरिया भी बनता जा रहा है।
अक्सर देखा जाता है कि जागरूकता के नाम पर निजी संस्थानों द्वारा विशेष कर हेलमेट चेकिंग पर जोर दिया जाता है। लोगों को आकर्षक तरीकों से जागरूक करने की जगह अक्सर उन्हें बेज्जत करने का मौका मिल जाता है। यदि कोई व्यक्ति बिना हेलमेट के बाइक चलाते दिखे तो उनसे जुर्माना वसूली की विधिवत प्रक्रिया अपनायी जाती है, न कि मानवाधिकार का उलंघन कर उनके आत्मसम्मान को ठेस पहुंचाया जाता है।
गुरुवार की सुबह प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के तत्वावधान में लहेरियासराय स्थित सेवा केंद्र से सुरक्षित भारत, सुरक्षित बिहार सड़क सुरक्षा अभियान के तहत मोटरसाइकिल यात्रा निकाली गई और फिर जागरूकता अभियान निकाला गया। यात्रा का मुख्य संदेश था गाड़ी चलाते समय परिवहन विभाग द्वारा जारी सभी आवश्यक निर्देशों का अक्षरश पालन करें ताकि सड़क दुर्घटनाओं से बचा जा सके। परंतु यहां नजारा कुछ अलग ही दिखा।
बताते चलें कि यात्रा में बाइक चलाते एक व्यक्ति फैंसी ड्रेस कॉम्पिटिशन की ड्रेसअप दिखे। उनके माथे पर हेलेमेट की जगह मुकुट दिखा। वे खुद को धर्मराज की भूमिका में बता रहे थे। कई उम्रदराज व्यक्ति धोती और चप्पल में इस यात्रा में दिखे। कई बाइक ऐसे दिखे, जिनमे आगे और पीछे मानकों को पूरा करने वाले नम्बर प्लेट भी नही थे।
आश्चर्य की बात कि जागरूकता के नाम पर मोटरसाइकिल यात्रा लोहिया चौक, लाइट हाउस, नाका पांच होते हुए दरभंगा सेवा केंद्र, मिर्जापुर, कादिराबाद सेवा केंद्र होते हुए कटहलबाड़ी, रेलवे स्टेशन, दोनार चौक, अल्लपट्टी, बेंता चौक होते हुए पुन लहेरियासराय सेवा केंद्र पहुंची। पर किसी पुलिस कर्मी ने उन्हें रोककर चालान नहीं काटा, उल्टे उनके सहयोग में ही दिखे।
साथ ही यात्रा से पूर्व लहेरियासराय थाने के पास बिना हेलमेट वाले वाहन चालकों को रोका जाता था और धर्मराज की भूमिका में उपस्थित सेवा केंद्र के सहयोगी संजीव उन्हें जीवन की महत्ता को बताते हुए हेलमेट की उपयोगिता समझाते थे। या यूं कहें कि समझाने के नाम पर कईयों की बेज्जती भी करते थे।
ऐसे में सवाल यह उठता है कि ऐसे जागरूकता कार्यक्रमो का उद्देश्य वास्तव में लोगों में जागरूकता पैदा करना होता है या केवल खुद के चेहरे को चमकना! साथ ही क्या जागरूकता कार्यक्रम का संदेश देने वाले खुद जागरूक हैं या नहीं, क्या इसकी चेकिंग होनी चाहिए या नही, यह भी बड़ा सवाल है।
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