Home Featured अर्थशास्त्र विभाग में अंतर्राष्ट्रीय महिला पखवाड़े के दौरान पुस्तक का हुआ विमोचन।
March 11, 2024

अर्थशास्त्र विभाग में अंतर्राष्ट्रीय महिला पखवाड़े के दौरान पुस्तक का हुआ विमोचन।

दरभंगा: अंतर्राष्ट्रीय महिला पखवाड़े के दौरान ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा के अर्थशास्त्र विभाग में डॉ शीला यादव की पुस्तक “रिडल ऑफ़ एंप्लॉयमेंट अपारचूनिटी फॉर रुरल वुमन” का विमोचन सामाजिक विज्ञान संकाय अध्यक्ष प्रोफेसर प्रभाष चंद्र मिश्रा, छात्र कल्याण अधिष्ठाता एवं पूर्व विभागअध्यक्ष प्रोफेसर विजय कुमार यादव, डॉ गजाला उरफ़ी अर्थशास्त्र विभागअध्यक्षा एम. आर. एम. कॉलेज और वर्तमान विभाग अध्यक्ष प्रोफेसर अम्बरीष कुमार झा द्वारा किया गया। पूर्वी उत्तर प्रदेश की महिलाओं को श्रम भागीदारी में होने वाले संरचनात्मक समस्या का विश्लेषण करती यह पुस्तक समूचे उत्तर प्रदेश व बिहार राज्य की महिलाओं के ग्रामीण जीवन यापन तथा सामाजिक आर्थिक संघर्षों पर प्रकाश डालती है । इस ज्वलंत मुद्दों को केंद्र में रख कर लिखी गई इस पुस्तक का विमोचन करते हुए प्रोफेसर पीसी मिश्रा ने प्राचीन और वर्तमान भारतीय महिलाओं के सामाजिक व आर्थिक परिदृश्य का विभिन्न दृष्टांतों द्वारा वर्णन किया।अपने विचार व्यक्त करते हुए डॉ गजाला उर्फी ने आर्थिक पहलुओं और रोजगार के लिए उपलब्ध ग्रामीण परिवेश के अवसरों का उल्लेख किया। प्रोफेसर विजय यादव ने कहा कि महिलाएं हर क्षेत्र में आगे निकल रही हैं। यह पुस्तक शोधर्थियों के लिए अत्यंत उपयोगी साबित होगी।प्रोफेसर अम्बरीष कुमार झा ने कहा की पुस्तक लेखन सराहनीय कार्य है एवं डॉ शीला यादव द्वारा लिखित पुस्तक विभाग के लिए गौरव की बात है। डॉ शीला यादव ने अपनी पुस्तक पर विचार व्यक्त करते हुए कहा कि, श्रम बाजार में समता मूलक भागीदारी महिला सशक्तिकरण का अनिवार्य अंग है। 21वीं सदी में दो दशक से अधिक समय बीत जाने के बाद भी कार्य विभाजन की चुनौती बरकरार है। यदि काम में भागीदारी हासिल भी कर ली जाए तो भी आर्थिक उत्पीड़न का मुख्य कारण लिंग के आधार पर असमान वेतन ही प्रतीत होता है। ग्रामीण भारतीय महिलाओं के लिए, रोजगार के दौरान उत्पन्न होने वाली जटिलताएँ नौकरी के अवसरों की उपलब्धता से भी अधिक समस्याएँ पैदा करती हैं। यदि इन जटिलताओं की निष्पक्षता से जांच की जाए, तो यह केवल असमान वेतन के बारे में नहीं है; बल्कि, सामाजिक, राजनीतिक, धार्मिक, लैंगिक और पारंपरिक आधार पर कई कारक उभरते हैं जो उपलब्ध अवसरों तक उनकी पहुंच को जटिल बनाते हैं। विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ नवीन कुमार ने बताया कि जिस देश में महिलाओं के कार्यों भागीदारी अधिक है, वहां पर विकास दर उच्च है।इस अवसर पर विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ मसरूर आलम एवं डॉ प्रनतारती भंजन ने भी अपने विचार व्यक्त किये। इस अवसर पर शोधार्थी गोविंद कुमार, रितेश कुमार, संजीव कुमार, नीलाभ कृष्णा एवं विभाग के समस्त छात्र छात्राएं उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन डॉ मशरूर आलम एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉक्टर शीला यादव द्वारा किया गया।

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