जीवन मे प्रशिक्षण की महती भूमिका : कुलपति
दरभंगा: संस्कृत विश्वविद्यालय के शिक्षा शास्त्री सत्र 2024-26 के नव नामांकित छात्रों के लिए गुरुवार को आयोजित दीक्षारम्भ कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो0 लक्ष्मी निवास पांडेय ने कहा कि जीवन में प्रशिक्षण की महती भूमिका है। इसका सभी संजीदगी से लाभ उठाएं। उन्होंने सभी छात्रों को नियमित रुप से कक्षा में उपस्थित होकर दो वर्ष तक गम्भीरता से प्रशिक्षण प्राप्त करने की सलाह दी।
कुलपति ने कहा कि शिक्षा शास्त्र विभाग के सभी शिक्षक कुशल व ज्ञान प्रबंधन में निपुण हैं। छात्रों के सर्वांगीण विकास के लिए जिस प्रकार शिक्षा की आवश्यकता है उसी अनुरूप यहां ज्ञान दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि उत्तम शिक्षक निर्माण में कौशल आधारित प्रशिक्षण की महती उपयोगिता है।
उक्त जानकारी देते हुए पीआरओ निशिकान्त ने बताया कि नवागंतुक शिक्षाशास्त्री छात्रों को संस्कृत में सम्भाषण प्रशिक्षण प्राप्त कर परिसर में हमेशा संस्कृत में वार्तालाप करने का भी कुलपति ने आह्वान किया। इसके लिए वीसी ने दस दिवसीय संस्कृत सम्भाषण वर्ग को भी शुरू करने का निर्देश दिया।
वहीं, शिक्षा शास्त्र के निदेशक डॉ.घनश्याम मिश्र ने सभी पहलुओं पर फोकस करते हुए कहा कि त्याग एवं समर्पण के साथ मनोयोग से प्रशिक्षण प्राप्त करना है। आज का समेकित प्रशिक्षण ही आप सभी को कल का कुशल शिक्षक बना सकता है। इसलिए शुरू से ही साकांक्ष रहने की जरुरत है।
बता दें कि इस सम्भाषण प्रशिक्षण कार्य को सफल कराने के लिए दरभंगा संस्कृत अध्ययन केंद्र के शिक्षक अमित कुमार झा, शिक्षा शास्त्र के प्राध्यापक कुंदन कुमार को निदेशक डॉ. मिश्र ने अधिकृत किया है। साथ ही इस प्रशिक्षण वर्ग के पर्यवेक्षण के लिए डा.रामसेवक झा एवं डॉ.त्रिलोक झा को आमंत्रित भी किया गया है।
इस इंडक्शन प्रोग्राम में
प्रो.रेणुका सिंहा, डीन डॉ. शिवलोचन झा, सीसीडीसी डॉ.दिनेश झा, व्याकरण प्राध्यापक डॉ.रामसेवक झा, प्रशिक्षक अमित कुमार झा, कुंदन कुमार, डॉ.अमन कुमार राय, संजीव कुमार,पवन सहनी, गोपाल महतो, राकेश, अरुण के अलावा साहित्य विभाग के सभी प्राध्यापक उपस्थित थे।
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