राजनीति से दूर ब्राह्मण वर्ग मे एकता की भावना विकसित करने केलिए कार्य कर रहे हैं उदय शंकर चौधरी!
दरभंगा। अभिषेक कुमार
चुनाव लोकतंत्र का सबसे बड़ा पर्व होता है और सभी अपने उम्मीदों पर खड़ा उतरने वाले प्रतिनिधियों को वोट के माध्यम से चुनकर लोकतंत्र के मंदिर में भेजते हैं ताकि उनके क्षेत्र के विकास का कार्य करें। प्रतिनिधि भी बड़े बड़े वादे कर के वोट लेते हैं, पर व्यवस्था ऐसी की वादे पूरा नही कर पाते हैं। ऐसे में जनता के सवालों से बचने का आसान तरीका जातिगत राजनीति लगती है जो उनका बहुत हद तक सुरक्षा कवच बन जाता है।अंत मे पूरा जातिगत माहौल बना कर जनता को मजबूर कर दिया कि हम बुरे भी हैं तो क्या हुआ, जात वाले दल या प्रतिनिधि हैं। क्षेत्र का विकास हो न हो, जात का विकास करेंगे। परंतु कमोबेश जात के नाम पर वोट लेने वाले नेता और उनका पूरा पारिवारिक कुनबा तो विकास कर जाता है, पर उनकी जाति का विकास फिर भी नही हो पाता है।
उपरोक्त तथ्य लगातार कथित रूप से दलित पिछड़ो आदि के नाम पर अक्सर दिखता था। परंतु पहली बार पिछले कुछ महीनों से सवर्ण जातियों में भी एकजुटता केलिए आह्वान लगातार दिख रहा है। दरभंगा और मिथिलांचल में सवर्णो में ब्राह्मण जाति की बहुलता मानी जाती है। ऐसे में अन्य सवर्ण जातियों के संगठनों के थोड़ा बहुत संगठित होने के बाद भी ब्राह्मण जाति का कोई संगठन संगठित नही था। इसे लेकर एक अभियान की शुरुआत कर चुके हैं बिहार प्रदेश के एक पूर्व भाजपा नेता उदय शंकर चौधरी। करीब तीन वर्ष पूर्व उन्होंने भाजपा किसान मोर्चा के प्रदेश उपाध्यक्ष पद से इस्तीफा देकर दलगत राजनीति को छोड़ने की घोषणा कर दी और सामाजिक एकता केलिए प्रयास किया। ऑल इंडिया ब्राह्मण फेडरेशन से जुड़े और बिहार में उसकी इकाई ऑल बिहार ब्राह्मण फेडरेशन की स्थापना कर गाँव गाँव मे जाकर ब्राह्मणों को एकजुट होने का संदेश देना शुरू किया। ब्राह्मण वर्ग राजनीति में बहुत ज्यादा सक्रियता रखने वाला वर्ग दरभंगा और मिथिलांचल में माना जाता है। ब्राह्मण का बच्चा बच्चा भी यदि राजनीति कहीं और नही कर पाता तो फेसबुक पर पूरे पके हुए राजनीतिक खुद को बताते सबसे ज्यादा नजर जरूर आ जाते हैं।
इसी सब पर नजर रखते हुए श्री चौधरी ने संगठन की बैठकों में चुनावी राजनीति पर चर्चा को छोड़ सामाजिक स्थिति में सुधार और एकता बनाये रखने का संदेश देते हैं। फिलहाल चुनाव में कौन जीत जाएगा और कौन हारेगा, इसकी चिंता करने से कोई फायदा नही जबतक यह वर्ग एकत्र नही हो जाता। क्योंकि एकत्रित होने के बाद ही यह वर्ग चुनाव परिणाम को प्रभावित करने की क्षमता बना पायेगा। अतः श्री चौधरी यही संदेश देते हुए गाँव गाँव मे साप्ताहिक बैठक कर एक दूसरे के सुखदुख बांटने का संदेश देते हैं। अपने समाज के किसी व्यक्ति के किसी लगन प्रयोजन, स्वास्थ, शिक्षा दीक्षा आदि में भी मदद की जरूरत हो तो सामाजिक एकजुटता से उनकी मदद की जाय।
श्री चौधरी का स्पष्ट संदेश है कि ब्राह्मण वर्ग को पूरी तरह एकत्र होने तक राजनीतिक माथापच्ची ज्यादा नही करनी चाहिए। बस समाज मे एकता के साथ यह वर्ग कैसे मजबूत हो, इसका प्रयास करना चाहिए।
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