Home Featured गरीबों के निवाले की दिनदहाड़े लूट का भ्रष्टाचार भी पदाधिकारियों केलिए बना सामान्य शिष्टाचार!
February 6, 2019

गरीबों के निवाले की दिनदहाड़े लूट का भ्रष्टाचार भी पदाधिकारियों केलिए बना सामान्य शिष्टाचार!

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कैमरे में कैद भ्रष्टाचार का पूरा वीडियो

दरभंगा: सरकार की योजनाएं गरीबो केलिए नितदिन बनती रहती है। पर गरीब हमेशा गरीब ही बने रहते हैं। उनका हक बिचौलिए हमेशा से मारते रहे हैं।
खाद्यान के अनाजों के कालाबाजारी का मामला कोई नया नही है। पर दिनदहाड़े कैमरे में कैद जिला से लेकर प्रमंडलीय मुख्यालय तक से चंद दूरी पर हो रही कालाबाजारी को कोई पदाधिकारी छोटा मोटा मामला कह दे तो इसे बेशर्मी की हद या भ्रष्टाचार को शिष्टाचार मान लेना ही समझा जाएगा शायद।
जिला से लेकर प्रमंडलीय मुख्यालय से मुश्किल से दो किलोमीटर की दूरी पर अवस्थित है बहादुरपुर प्रखण्ड मुख्यालय। और वहां खाद्यान गोदाम से डीलर केलिए जाने वाले अनाजों के कालाबाजारी की खबरे मिलती रहती है। पर करवाई नही होती। बुधवार को तो हद हो गयी जब कालाबाजारी का सबूत कैमरे में कैद हो गया, फिर भी प्रखंड आपूर्ति पदाधिकारी इसे छोटा मोटा मामला कह कर करवाई की जगह मामले को ही हाईलाइट न करने की बात कहते हैं। दिन के करीब एक बजे प्रखण्ड मुख्यालय परिसर अवस्थित गोदाम से डीलर केलिए अनाज चला और चंद कदमो पर अवस्थित मनरेगा कार्यालय के पास गाड़ी रुकी। वहां गाड़ी में सवार मजदूर ने अनाज की तीन बोरी उतार कर एक मनरेगा कार्यालय के एक कमरे में रख दिया। स्थानीय लोगों में यह देख कर चर्चा का विषय बन गया। उन्होंने कुछ मीडियाकर्मियों को भी सूचना दी। सब जब उस कमरे के पास पहुँचे और अनाज की बोरी को देखने लगे। तभी कमरे में रहने वाला सुरक्षाकर्मी एक होमगार्ड का जवान वहां पहुंचा और सब को भगाने लगा।
बोरी के सम्बंध में पूछने पर उसने कैमरे पर भी स्वीकार किया कि उसने गोदाम मैनेजर से 500 की दर से तीन बोरी खरीदा है। इस सम्बन्ध में मीडिया कर्मियों ने दूरभाष पर प्रखण्ड आपूर्ति पदाधिकारी को सूचना देते हुए बात की तो उन्होंने कहा कि वे परीक्षा ड्यूटी में हैं। मामले की जानकारी लेकर करवाई की बात करेंगे। पर साथ ही साथ उन्होंने इसे छोटा मोटा मामला कह कर मीडिया में हाईलाइट न करने की बात भी कही।
दोपहर में हुई इस घटना की जानकारी के वाबजूद प्रखण्ड आपूर्ति पदाधिकारी द्वारा किसी प्रकार के करवाई की कोई जानकारी नही दी गयी। इससे स्पष्ट होता है कि गरीबो के निवाले की लूट का भ्रष्टाचार शायद ऐसे पदाधिकारियों केलिए शिष्टाचार बन गया है। अब देखने वाली बात होगी कि इस मामले के संज्ञान में आने के बाद वरीय अधिकारियों द्वारा संज्ञान लिया जाता है या वे भी इसे सामान्य शिष्टाचार मान मामले को गौण कर देते हैं!

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