Home Featured नोंक-झोंक बदला खून-खराबा में, पत्रकार के पुत्र की चाकू गोदकर हत्या।
January 4, 2024

नोंक-झोंक बदला खून-खराबा में, पत्रकार के पुत्र की चाकू गोदकर हत्या।

दरभंगा: सुपौल बाजार के खोड़ागाछी मैदान के सामने आपसी विवाद में चाकू से हमला कर 18 वर्षीय युवक सुदर्शन कुमार सहनी की हत्या कर दी गई। मृतक सुपौल बाजार निवासी शंकर सहनी का पुत्र बताया गया है। घटना की सूचना मिलते ही पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए हमलावर को हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू कर दी है।

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बताया जाता है कि खोड़ागाछी मैदान के सामने युवक घूम रहा था। इसी बीच कुछ युवकों से उसका विवाद हो गया। देखते ही देखते नोंक-झोंक खून-खराबा में बदल गया। इसी बीच सुपौल बाजार के खेवा टोल निवासी हरि सहनी के पुत्र ने सुदर्शन के पेट पर चाकू से कई वार किये। जिससे वह बुरी तरह जख्मी हो गया। जान बचाने के लिए वह वहां से भागा, हालांकि कुछ ही दूर आगे जाकर वह बेहोश होकर गिर गया। आनन फानन में स्थानीय लोग उसे उठाकर सीचसी ले गए। गंभीर स्थिति देख चिकित्सक ने उसे डीएमसीएच रेफर कर दिया। डीएमसीएच जाने के क्रम में रास्ते में ही एंबुलेंस पर सुदर्शन ने दम तोड़ दिया। वह शंकर सहनी के सात संतान में इकलौता पुत्र था। सुदर्शन स्थानीय हाई स्कूल में इंटरमीडिएट का छात्र था।

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इधर, थानाध्यक्ष सत्यप्रकाश झा ने घटना की पुष्टि करते हुए बताया कि त्वरित कार्रवाई करते हुए हमलावर को हिरासत में ले लिया गया है। घटना के सिलसिले में जानकारी ली जा रही है।
शंकर सहनी के इकलौते पुत्र की हत्या की खबर सुनते ही पूरे क्षेत्र में मातम छा गया। वहीं मृतक के घर से लेकर बाजार तक सन्नाटा पसरा हुआ था। सुदर्शन की मौत की सूचना मिलते ही घर में चीख व करुण पुकार सुनकर पूरे मुहल्ले के लोग जुट गए। सभी की आंखों से आंसू टपक रहे थे। मृतक की बहन व दादी की चीख पुकार से सबका दिल दहल रहा था। उपस्थित लोगों के गले भरी आवाज से यही निकलता था कि भगवान जुल्म कर दिए। शंकर के घर का दीपक बुझ गया।

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बताया जाता है छह बहनों में इकलौता भाई सुदर्शन पर सभी की आस टिकी हुई थी। बड़ी बहन अंजलि की शादी दो वर्ष पूर्व होने के बाद उससे छोटी बहन अर्चना बीए फाइनल कर प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी में जुटी है। तीसरी बहन से पहले सुदर्शन के जन्म के बाद उसके घर में खुशहाली छाई थी। 80 वर्षीय दादी उर्मिला का रोते-रोते हाल बेहाल था। करुण स्वर में ढांढस बांध रहे लोगों से बस इतना कहती कि बड़े अरमान से पोता को पढ़ा रहे थे कि कुल का नाम रौशन करेगा। पोता ओंकार उच्च विद्यालय में 12वीं में पढ़ रहा था। 12वीं पास करने के बाद अच्छे कॉलेज में उसको पढ़ाकर बड़ा ऑफिसर बनाते। देवा सब मनोरथ पर पानी फेर दिया। अब किसके आश पर जीएंगे। वहीं चार छोटी बहने भाई के खेल कर वापस आने की बाट जोह रही थी कि रोज की तरह एक थाली में सभी मिलकर भूंजा खाते अठखेली करेंगे। लेकिन देवा ने मौत की खबर सुना दी। अब किसके साथ मिलकर अठखेली करेंगे, किसको राखी बांधेंगे। वहीं पिता शंकर सहनी व माता आरती डीएमसीएच में पुत्र के शव के साथ हैं। घर पर बूढ़ी दादी मां के साथ सभी बहने बेसुध पड़ी थीं। अगल-बगल के लोगों के ढांढस बांधने व सांत्वना देने के बावजूद सभी बहनों का धैर्य भाई विहीन होने के गम में टूट गया है

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