Home Featured दीक्षांत में मिथिला की हृदयस्थली दरभंगा आना मेरे लिए तीर्थायात्रा से कम नहीं: राज्यपाल।
March 12, 2019

दीक्षांत में मिथिला की हृदयस्थली दरभंगा आना मेरे लिए तीर्थायात्रा से कम नहीं: राज्यपाल।

दरभंगा कार्यालय:-ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के 9 वें वार्षिक दीक्षांत समारोह में नागेंद्र झा स्टेडियम में आयोजित राज्य के राज्यपाल सह कुलाधिपति लालजी टंडन ने अपने अध्यक्षीय संबोधन में कहा कि ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के 9 वें दीक्षांत समारोह के अवसर पर मिथिला की हृदयस्थली दरभंगा आना मेरे लिए किसी तीर्थ यात्रा से कम नहीं है। सारस्वत साधना के लिए प्रसिद्ध इस भूमि को जनक, याज्ञवल्क्य, कपिल, कणाद, गौतम, गार्गी, मैत्रीय आदि ने कृतार्थ किया है। वाचस्पति मिश्र, मंडन मिश्र, भारती मिश्र और उदयनाचार्य जैसे दार्शनिकों ने मिथिला की गरिमा बढ़ाई है। मैथिल कोकिल विद्यापति और राष्ट्रकवि दिनकर की वाणी यहां निरंतर गुंजायमान रहती है। ज्ञान ,कर्म और साधना से परिपूर्ण इस पावन भूमि में स्थापित ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के गौरव में दीक्षांत समारोह में भाग लेकर मैं अपने आपको गौरवान्वित महसूस करता हूं। आज के दीक्षांत समारोह में डिग्री और पदक देकर मुझे हार्दिक प्रसन्नता हुई है।भविष्य आपके कंधों पर है। स्वामी विवेकानंद ने युवाओं को संबोधित करते हुए कहा था की यदि तुम अपने जीवन को उत्कृष्ट बनाना चाहते हो तो सबसे पहले एक विचार या संकल्प लो उसे जीवन का एक अंग बना लो उसी का चिंतन मनन करना ,उसी का स्वप्न देखना और उसी संकल्प को मन मस्तिष्क सहित सभी अंगों में भरना होगा, तब यह संकल्प तुम्हारे जीवन को सफल बनाएगा। हम भूमंडलीकरण के दौर से गुजर रहे हैं। क्षेत्र और देश की सीमाएं विलुप्त होती जा रही है। संचार माध्यमों में क्रांति आई है। हम किताबी दुनिया से निकल कर इंटरनेट और वेबसाइट की दुनिया में आ गए हैं ।रोजगार का स्वरूप बदल रहा है और उसकी संभावनाएं देश देशांतर तक परिव्याप्त है। शिक्षण प्रविधि बदल गई है। एकेडमिक कैलेंडर, बायोमेट्रिक उपस्थिति प्रणाली, चॉइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम एवं यूनिवर्सिटी मैनेजमेंट इनफॉरमेशन सिस्टम का कार्यान्वयन तथा चांसलर अवॉर्ड दिए जाने का निर्णय यह सब गुणात्मक शिक्षा की दिशा में हमारे द्वारा उठाए गए कुछ महत्वपूर्ण कदम है। आज आपके विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में सत्र 2015 -17 एवं 2016- 18 के लिए वितरित हुए कुल 51 स्वर्ण पदकों में 31 स्वर्ण पदक छात्राओं को मिले हैं ।यह प्रसन्नता और गौरव की बात है कि ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय सहित बिहार के सभी विश्वविद्यालय आज महिला सशक्तिकरण की दिशा में नित्य नूतन इतिहास का सृजन कर रहे हैं। वस्तुतः हम उस गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा के लिए प्रयत्नशील हैं जो नई पीढ़ी की आंखों में नया सपना और होठों पर मुस्कान लाने में सक्षम है। ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय हमारी संकल्प  के अनुरूप काट कर रहा है ।नेट सी मूल्यांकन के संदर्भ में या राज्य में सबसे आगे है। विश्वविद्यालय द्वारा तैयार कराया जा रहा है विजन 2030 एक व्यापक संकल्पना है विश्वविद्यालय में निरंतर संघ गोष्ठियों और कार्यशालाओं का आयोजन इसकी जीवंतता के प्रमाण हैं इस विश्वविद्यालय के छात्रों का नियमित होना भी हमें गौरवान्वित करता है मुझे विश्वास है आप सब के सम्मिलित प्रयास से विश्वविद्यालय का चौमुखी गुणात्मक विकास होगा आइए हम सब मिलकर वर्तमान समय और समाज की आशाओं और सपनों को साकार करने का दृढ़ संकल्प लें । ललित नारायण विश्वविद्यालय के संसाधनों की कमी नहीं संसाधनों की वर्षा होगी। इस अवसर पर विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष डॉ डीपी सिंह ,विश्वविद्यालय कुलपति डॉक्टर सुरेंद्र कुमार सिंह ,पूर्व मंत्री डॉ सीपी ठाकुर, राज्यपाल के प्रधान सचिव विवेक कुमार सिंह ,प्रति कुलपति डॉक्टर जय गोपाल, कुलसचिव डॉ एनके राय, विधायक संजय सरावगी, भोला यादव, डॉ फ़राज फातमी ,विधान परिषद सदस्य डॉ दिलीप कुमार चौधरी ,पूर्व विधान परिषद सदस्य डॉ विनोद कुमार चौधरी ,वैद्यनाथ चौधरी बैजू ,मेयर बैजन्ती खेरिया एवं अन्य मंच पर मौजूद थे।

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