Home Featured कभी कांग्रेस का गढ़ रहे दरभंगा मे पिछले सात बार से संघी और समाजवादियों बीच रहा है सीधा मुकाबला।
March 24, 2019

कभी कांग्रेस का गढ़ रहे दरभंगा मे पिछले सात बार से संघी और समाजवादियों बीच रहा है सीधा मुकाबला।

देखिये 2014 की स्थिति का वीडियो भी।

देखिये 2014 की स्थिति का वीडियो भी।

विशेष संवाददाता:
मिथिलांचल की महत्वपूर्ण सीट दरभंगा संसदीय क्षेत्र में पिछले सात लोकसभा चुनावों में राष्ट्रीय जनता दल और भाजपा के बीच सीधा मुकाबला होता रहा है। चार बार राजद के अली अशरफ फातमी ने दरभंगा फतह किया और क्रिकेटर कीर्ति झा आजाद ने तीन बार जीत हासिल की। कभी कांग्रेस के गढ़ रहे दरभंगा में पिछले सात चुनावों से लगातार संघ और समाजवादियों के बीच मुकाबला होता रहा है। इस बार भी एनडीए और महागठबंधन के बीच आमने-सामने भिड़ंत होनी है, लेकिन दोनों गठबंधनों के समीकरण बदलने से रोमांचक मुकाबले के कयास लगाए जा रहे हैं।

गत लोकसभा चुनाव में भाजपा के कीर्ति आजाद ने राजद के अली अशरफ फातमी को लगातार दूसरी बार शिकस्त दी। जेडीयू 2014 में एनडीए से अलग होकर चुनाव लड़ा। दरभंगा में जेडीयू प्रत्याशी संजय झा ने एक लाख से अधिक वोट काटकर लड़ाई को त्रिकोणीय बनाया, लेकिन भाजपा ने 2009 की तुलना में 75 हजार ज्यादा वोट जुटाकर बाजी मार ली।
पिछले दो-ढाई दशकों से दरभंगा की संसदीय राजनीति भाजपा (कीर्ति आजाद) और राजद (मो. अली अशरफ फातमी) के बीच घूमती रही है। गरीबी, बेरोजगारी और पलायन के साथ जातीय गोलबंदी की समस्याओं से जूझ रहे दरभंगा संसदीय क्षेत्र में किस गठबंधन का दांव सफल होगा, यह आने वाला वक्त ही बता पाएगा।

इस बार दरभंगा के चुनावी जंग की तस्वीर बदल गई है। जेडीयू एक बार फिर एनडीए के रथ पर सवार है, लिहाजा भाजपा के आधार वोट में विभाजन का खतरा नहीं है। यह सीट एक बार फिर भाजपा के हिस्से में आयी है। लेकिन बीजेपी प्रत्याशी बदल गए हैं। भाजपा ने पूर्व विधायक गोपाल जी ठाकुर को अपना उम्मीदवार बनाया है। वहीं भाजपा से निलंबित कीर्ति आजाद कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं। एनडीए के सामने नई चुनौती बनकर उभरे वीआईपी पार्टी के अध्यक्ष मुकेश सहनी भी हैं। पिछले बिहार विधानसभा चुनाव में वे एनडीए के साथ थे। अब वीआईपी पार्टी राजद-कांग्रेस महागठबंधन में शामिल है।

लगातार आठ चुनावों में :
वर्ष 1989 से 2014 तक आठ लोकसभा चुनावों में दरभंगा की जंग में मुस्लिम लड़ाके सीधे मुकाबले में जोरदार टक्कर देते रहे हैं। आठ में से चार लड़ाई राजद के अली अशरफ फातमी ने, एक जनता दल के शकीलुर्रहमान ने और तीन लड़ाई भाजपा के कीर्ति आजाद ने जीती। दरभंगा में सामाजिक समीकरणों के आधार पर व्यापक गोलबंदी होती रही है। अति पिछड़े समाज के वोटर निर्णायक भूमिका निभाते रहे हैं। अपने आधार वोट के अलावा अति पिछड़े समाज का समर्थन हासिल करने वाली पार्टी दरभंगा की जंग जीतती रही है।

ललित बाबू की कर्मभूमि:
प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी एवं कांग्रेसी दिग्गज ललित नारायण मिश्र की कर्मभूमि के रूप में दरभंगा की राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनी। ललित बाबू दरभंगा से दो बार सांसद बने। दरभंगा ने स्वतंत्रता सेनानी एवं कांग्रेस नेता श्यामनंदन मिश्र को भी संसद भेजा था। दिग्गज कांग्रेसी विनोदानंद झा ने भी दरभंगा का नेतृत्व किया। कांग्रेस का यह गढ़ 1984 के चुनाव में ध्वस्त हुआ। अंतिम बार 1980 में कांग्रेस टिकट पर हरिनाथ मिश्र सांसद बने। इंदिरा गांधी के निधन के बाद कांग्रेस के पक्ष में सहानुभूति लहर के बावजूद 1984 में कांग्रेस प्रत्याशी हरिनाथ मिश्र चुनाव हार गए। उन्हें ललितनारायण मिश्र के पुत्र विजय कुमार मिश्र ने लोकदल के टिकट पर शिकस्त दी। इसके बाद कांग्रेस दरभंगा में कभी इस हार से उबर नहीं पाई।

लोकसभा क्षेत्र: दरभंगा
कुल वोटर: 26 लाख 94 हजार 78
पुरुष मतदाता: 14 लाख 27 हजार 871
महिला मतदाता: 12 लाख 66 हजार 164
उभयलिंग वोटर: 43

कौन जीते, कौन हारे

2014
जीते : कीर्ति आजाद, भाजपा,   314949
हारे: मो. अली अशरफ फातमी, राजद, 279906

2009
जीते : कीर्ति आजाद, भाजपा,   239268
हारे: मो. अली अशरफ फातमी, राजद, 192815

2004
जीते :  मो. अली अशरफ, राजद,   427672
हारे: कीर्ति आजाद, भाजपा, 284209

1999
जीते : कीर्ति आजाद, भाजपा,   395549
हारे: मो. अली अशरफ फातमी, राजद, 340001

मतदान केंद्रों की संख्या- 2755
चुनाव- 29 अप्रैल (चौथा चरण)

वर्तमान सांसद:
बिहार के कद्दावर कांग्रेसी नेता और पूर्व मुख्यमंत्री भागवत झा आजाद के पुत्र तथा मशहूर क्रिकेटर कीर्ति आजाद पहली बार भाजपा के टिकट से 1999 में सांसद बने। उन्होंने राजद के मो. अली अशरफ फातमी को पराजित किया। इसके बाद कीर्ति आजाद ने 2009 और 2014 में भी जीत हासिल की। दोनों चुनावों में भी उन्होंने मो. अली अशरफ फातमी को पराजित किया। कीर्ति आजाद 2004 में मो. अली अशरफ फातमी से पराजित हुए थे। बाद में भाजपा नेतृत्व से कीर्ति आजाद की ठन गई। अब वे कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं।

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