Home Featured तिरहुत स्‍टेट रेलवे जैसी रेलपथ निर्माण की गति आज भी पाना मुश्किल : डीआरएम।
March 28, 2019

तिरहुत स्‍टेट रेलवे जैसी रेलपथ निर्माण की गति आज भी पाना मुश्किल : डीआरएम।

दरभंगा: समस्तीपुर रेल मंडल प्रबंधक आर के जैन ने कहा है कि भारत के रेल निर्माण के इतिहास में तिरहुत स्‍टेट रेलवे का इतिहास सुनहरे अक्षरों में लिखा गय है।
श्री जैन गुरुवार को स्‍थानी गांधी सदन में आचार्य रमानाथ झा हैरिटेज सीरीज के तहत कृष्ण प्रसाद बैरोलिया मेमोरियल लेक्चर दे रहे थे। आजादी के पहले मिथिला में रेल के विकास पर चर्चा करते हुए श्री जैन ने कहा कि समस्तीपुर रेलमंडल 1200 किमी रेल में फैला हुआ है। समस्तीपुर रेलमंडल में प्रतिदिन 50 हजार मैट्रिक टन की माल ढुलाई होती है। साल भर में करीब 4 से 5 करोड़ यात्री सफर करते है।
इतिहास पर चर्चा करते हुए जैन ने कहा कि इतिहास के पन्नों में मिथिला का रेल विकास में एक सुंदर कहानी जैसी है। उन्‍होंने कहा कि 10 फरवरी 1874 को विस्टर्न स्टिंग्सन के पास एक पत्र आया जिसमें लिखा था कि अपने इंजीनियर्स, घोड़े, आदमी और सभी सामान के साथ बाढ़ पहुंचे और 44 माइल लंबे दरभंगा तक रेलखंड का निर्माण करे। विस्टर्न स्टिंग्सन अगले दिन सभी अधिकारी के साथ बाढ़ के लिए निकले। 19 फरवरी को सभी अधिकारी और सामना करना के साथ गंगा पार कर पहुंच गए और उसके बाद इतिहास का नया अध्याय लिखा गया। गंगा पार करने के बाद मिस्टर स्टिंग्सन चलते गए और सर्वे कर एलिंगमेंट तय करते चले गए। उनके साथ करीब 1000 से ज्यादा मजदूर काम करते चले गए आगे बढ़ने पर उन्हें एहसास हुआ कि आगे 4 से 5 बड़ी नदियां है जहां ब्रिज का निर्माण करना जरूरी है। सेपर्स की दो कंपनी अगले चार दिनों के अंदर पहुंच ब्रिज का निर्माण कार्य शुरू दिया। रिकॉर्ड समय में 15 अप्रैल को पहली इंजन दरभंगा पहुंची। भारतीय रेल के इतिहास में इतने कम समय में 55 माइल रेलखंड का निर्माण इतिहास के पन्नों में दर्ज है।
इससे पूर्व समरोह के मुख्य अतिथि लनामिविवि के कुलपति प्रोफेसर एस. के. सिंह ने कहा कि मिथिला में हुए रेल विकास की प्रशंसा की। उन्‍हरेंने कहा कि मिथिला का इतिहास देखने पर लगता है कि यह इलाका किसी भी नजर से पिछडा हुआ नहीं था।
अपने अध्‍यक्षीय भाषण में रिटायर्ड आईएएस ऑफिसर गजानंद मिश्रा ने आजदी से पहले मिथिला कें रेल के विकास पर प्रकाश डाला। गजानंद मिश्रा ने कहा की अंग्रेजो के द्वारा कई पुल पुलियों का निर्माण गलत तरीके से किया गया जिससे मिथिला में बहने वाली कई नदियों ने अपना मार्ग बदल लिया। फिलहाल रेलवे और सरकार ने इतिहास की गलतियों को न दोहराते हुए लंबे पुलो का निर्माण करा रही है जिससे की नदियों की धारा में कोई रुकावट न हो सके। समरोह में रेलवे द्वारा कलर्स ऑफ मिथिला रेलवे जर्नी ऑफ द आर्ट डीआरएम समस्तीपुर आर के जैन के कुलपति प्रो एस के सिंह को भेंट किया। इस समरोह का संचालन संतोष कुमार ने किया, जबकि धन्‍यवाद ज्ञापन अभयअमन सिंह ने दी। इस मौके पर हिंदी के विभागाध्यक्ष डॉ चंद्रभानु प्रताप सिंह, कुलसचिव कर्नल निशीथ कुमार रॉय, दूरस्थ शिक्षा के उपनिदेशक डॉ विजय कुमार, सहायक निदेशक डॉ शंभू प्रसाद मिल्लत कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ रहमतुल्ला, विधान परिषद् के अवकाश प्राप्त सेक्शन ऑफिसर रमन दत्त झा, एमएलएसएम के प्रधानाचार्य विद्यानाथ झा, संगीत विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. लावण्या सिंह कृति ‘काव्या’, बैरोलिया परिवार के सदस्य एवं दरभंगा सिटी की समस्त टीम अभिनव, मृत्युंजय, कादिर और संतोष कुमार आदि मौजूद थे।

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