Home Featured तो क्या फातमी-शकील की सेटिंग से डूबेगी बद्री की नाव या बुझ सकता है सिद्दीकी का लालटेन भी!
April 14, 2019

तो क्या फातमी-शकील की सेटिंग से डूबेगी बद्री की नाव या बुझ सकता है सिद्दीकी का लालटेन भी!

देखिये फातमी के बयान का विश्लेषण सहित वीडियो भी।

देखिये फातमी के बयान का विश्लेषण सहित वीडियो भी।👆

दरभंगा। अभिषेक कुमार
लोकसभा चुनाव 2019 मधुबनी एवं दरभंगा में भीतरघात की बढ़ती संभावनाओं के साथ रोमांचक बनता जा रहा है। एनडीए में दरभंगा में जहां थोड़ी बहुत नाराजगी बॉउंड्री लाइन के अंदर ही दिखी वहीं मधुबनी में मृत्युंजय झा के रूप में बगावत भी खुलकर कर दिख रहा है। परंतु बात यदि महागठबन्धन की करें तो यहां बगावत सीधे सामने से जारी है। जहाँ एकतरफ राजद नेता दरभंगा के पूर्व सांसद अली अशरफ फातमी पहले से बिदके हुए थे, वहीं अब उन्होंने अपने साथ साथ कॉंग्रेस नेता शकील अहमद की नाराजगी को मर्ज करके बगावत को और मजबूत करने का प्रयास किया है।
शनिवार को पटना में एक निजी चैनल से वार्ता के दौरान उन्होंने फिर अपना स्टैंड कायम रखते हुए बगावती सुर जारी रखा है। 18 अप्रैल तक इंतजार करके उसी दिन नामांकन का संकल्प दुहराया है। साथ ही साथ इशारों में किसी पार्टी से भी उनकी बात हो चुकने का संदेश देते हुए उन्होंने कहा कि यदि वो किसी दूसरी पार्टी में जाते हैं तो पहले राजद से इस्तीफा देंगे। पार्टी छोड़ने का सदमा तो उन्हें होगा क्योंकि उन्होंने जीवन के 30 साल से अधिक पार्टी को दिया है। जब उनसे यह पूछा गया कि वे किसी पार्टी के सिम्बोल पर मधुबनी से लड़ेंगे या निर्दलीय, तो इसपर भी उन्होंने 18 को ही फाइनल होने की बात कही। जब उनसे कांग्रेस नेता शकील अहमद के मधुबनी से चुनाव लड़ने पर सवाल पूछा गया तो उन्होंने स्पष्ट कहा कि उनकी बात हो चुकी है। यदि शकील अहमद कांग्रेस का सिंबल लेकर आते हैं तो फातमी चुनाव नही लड़ेंगे और शकील अहमद का समर्थन करेंगे।
अली अशरफ फातमी के इस रुख से स्पष्ट प्रतीत हो रहा है कि उनकी सेटिंग शकील अहमद से हो चुकी है और दोनो असंतुष्ट नेता अपने ही गठबंधन के उम्मीदवार को हराने केलिए कमर कस चुके हैं। एक तरफ जहां महागठबन्धन से भीआईपी पार्टी के उम्मीदवार बद्री पूर्वे की नैया मधुबनी में डोलते नजर आ रही है, वहीं फातमी की नाराजगी और फातमी समर्थकों की सिद्दीकी से दूरी दिखने के कारण दरभंगा में लालटेन की लौ भी फफकाते नजर आ रही है।
हालांकि यह परिस्थिति वर्तमान परिदृश्यों के आकलन पर आधारित है और चुनाव में अंतिम समय तक कई समीकरण बनते बिगड़ते हैं। इसलिए कोई भी अंतिम परिस्थिति का दावा वर्तमान परिस्थितियों पर ही पूरी तरह करना मुश्किल होगा। परंतु इतना तो तय है कि यदि इसी तरह इनका बगावती तेवर बरकरार रहा तो जहां मधुबनी में बद्री पूर्वे को डूबती नैया को पार लगाना और दरभंगा में अब्दुलबारी सिद्दीकी को फकफकाते लालटने को बुझने से बचाना एक बड़ी चुनौती जरूर होगी।

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