तो क्या करवाई की जगह हरबार केवल कड़े निर्देश ही मिलने से लापरवाही बनी पीएचईडी की कार्यशैली!
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तो क्या जलसंकट पर पीएचईडी की लापरवाह कार्यशैली के सामने डीएम की सख्ती भी है बेअसर!
दरभंगा। अभिषेक कुमार
हमेशा बाढ़ग्रस्त जिला रहने वाला इसबार सूखाग्रस्त घोषित हो चुका है। शहर के साथ साथ पूरे जिले में भीषण जलसंकट उतपन्न हो चुका। जलस्तर काफी नीचे जा चुका है और अधिकांश चापाकल सूख चुके हैं। नलजल योजना का कार्य किसी से छिपा नही है। आये दिन शिकायते आती रहती हैं। पीएचईडी विभाग को जो कार्य शहरी क्षेत्र केलिए मिला है, उसमे लगातार कमी और शिकायतो के बाद बैठकों में जिलाधिकारी द्वारा कई बार विभाग के कार्यपालक अभियंता को कड़ा निर्देश भी दिया गया है। परंतु लगता है जिलाधिकारी के कड़े निर्देश भी विभाग के लापरवाह कार्यशैली के सामने बेअसर साबित हो रहे हैं। और सबसे बड़ा प्रश्न यह भी सामने आता है कि जिलाधिकारी द्वारा भी हर निर्देश के बाद शिकायत रहने पर भी केवल निर्देश ही दिया जाता है, कोई ठोस करवाई होती नजर नही आई है अबतक। इसतरह विभाग भी शायद कड़े निर्देश मिलने की खबर समाचार माध्यमों में आने तक की बात से शायद निश्चिंत होकर कड़े निर्देशों का अभ्यस्त हो चुका है।
ताजा उदाहरण देखने केलिए कहीं दूर जाने की जरूरत नही है। विभाग के बेखौफ लापरवाह कार्यशैली का नमूना इसी से समझा जा सकता है कि लापरवाही की हिमाकत जिला मुख्यालय से करीब 500 मीटर की दूरी पर भी करते समय कोई करवाई का कोई खौफ नही होता है। विभाग द्वारा गोद लिए बहादुरपुर देकुली पंचायत का हाल तो जगजाहिर हो ही चुका था, अब मुख्यालय के बगल में बसे वार्ड 48 के हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी में भी लगे नल में टोटी के जल की बर्बादी भी जिलाधिकारी के कड़े निर्देशों को मुंह चिढ़ाती नजर आ रही है। बुधवार को स्थानीय लोगो द्वारा सूचना देने पर जब वॉयस ऑफ दरभंगा के संवाददाता ने पहुँच कर पड़ताल की तो नजारा सामने था। जो नल लगा था, उस पर क्रमांक संख्या 76 अंकित था। जल की अविरल धारा सड़कों पर बहती नजर आ रही थी। स्थानीय निवासी रौशन कुमार सिंह ने बताया कि पिछले तीन दिनों से यह नल चालू हुआ है । प्रतिदिन सुबह एवं शाम दो-दो घण्टे पानी निकलता है जो सड़को पर बहता रहता है। नल लगाते ही उसी समय नल में टोटी भी लगा दिया जाता तो जल की बर्बादी नही होती। प्रतिदिन चार घण्टे जलसंकट के दौड़ में पानी सड़क पर बर्बाद हो रहा है।
अब सवाल यह उठता है कि जहां इतने तैयारी से नल लगाये जाते हैं, उसी समय एक छोटी सी टोटी हर जगज क्यों नही लगा दी जाती ताकि शुरू से ही जल का संरक्षण हो। यह केवल एक जगह की बात नही, बल्कि जहां भी नल चालू होते हैं, अधिकांश जगह बिना टोटी के ही कई दिनों पर पानी को बर्बाद करते नजर आते हैं।
इन लापरवाहियो के सामने आने के बाद और जिला मुख्यालय के समीप जिला प्रशासन के नाक के नीचे भी लापरवाही प्रस्तुत करने के बाद भी विभाह को पुनः एक और कड़ा निर्देश ही जारी होगा, या कड़े निर्देशो की श्रृंखला को कोई ठोस में भी परिणत किया जाएगा।
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