Home Featured सिंबल वाले दल से उपेक्षित होने वाले गठबंधन के कार्यकर्ताओं के सम्मान केलिए दिया इस्तीफा: गामी।
April 30, 2019

सिंबल वाले दल से उपेक्षित होने वाले गठबंधन के कार्यकर्ताओं के सम्मान केलिए दिया इस्तीफा: गामी।

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दरभंगा: लगातार सोशल मीडिया में पोस्ट करके खुल कर नाराजगी जता चुके अमरनाथ गामी ने आखिरकार मंगलवार को इस्तीफे की घोषणा कर दी। उन्होंने मीडिया को बताया कि उन्होंने विधायक पद से इस्तीफा लिखकर मुख्यमंत्री को भेज दिया है। अब मुख्यमंत्री जिसे भेजें या भेजने को कहें, वे उनके मार्गदर्शन अनुसार काम करेंगे। श्री गामी ने कहा कि उनका इस्तीफा गठबन्धन में काम करने वाले उन कार्यकर्ताओं के सम्मान की लड़ाई केलिए है जो गठबन्धन दल में सीट चले जाने के कारण सिम्बोल वाले दल से उपेक्षित होते हैं। दलों का गठबन्धन ऊपरी स्तर पर तो नेता कर लेते हैं, पर निचले स्तर पर कार्यकर्ताओं में समन्वय नही हो पाता है। सिम्बल वाले दल के कार्यकर्ता तो चुनाव लड़ते हैं पर सहयोगी दल के दल के कार्यकर्त्ता उपेक्षित हो जाते हैं। इसलिए वे अनुरोध करेंगे कि ऊपर में गठबन्धन करने के साथ साथ कम से कम जिले स्तर पर भी समन्वय बनायें।
श्री गामी ने कहा कि प्रधानमंत्री की तरह वे भी अतिपिछड़ा का बेटा हैं, सूरी समाज से आते हैं। और सूरी का बेटा स्वाभिमान से समझौता नही कर सकता। साथ ही साथ श्री गामी ने कहा कि इस्तीफे का डीएनए उनका मुख्यमंत्री जैसा ही है। चाहे रेल दुर्घटना हो या चुनाव में हार हो, मुख्यमंत्री ने इस्तीफा दिया। उसी तरह वे भी लोकसभा चुनाव में अपने विधायकी वाले क्षेत्र से क्षेत्रबदर रखे गए क्योंकि गठबन्धन का सीट है। ऐसे में वे चुने हुए प्रतिनिधि हैं और चुप रहते तो उनके वोटरों के बीच उनका अस्तित्व समाप्त हो जाता। 29 तक चुनाव था और एनडीए को नुकसान नही हो, इसकारण जहर का घूँट पीकर वे चुप रहे। परंतु उनके क्षेत्र में न रहने का कारन उन्हें आज जनता को बताना जरूरी था। इसलिए प्रेस के माध्यम से बता रहे हैं। लोजपा सांसद के कारण उन्हें क्षेत्र में कार्य करने में परेशानी होती है। प्रधानमंत्री सड़क शिलान्यास में लोजपा सांसद ये भी भूल जाते हैं कि वे विधायक हैं उस क्षेत्र के और शिलापट्ट पर अपने दल के पराजित प्रत्याशी का नाम लिखवा देते हैं। श्री गामी ने कहा कि फिर भी एनडीए के हित मे 27 अप्रैल के प्रेसवार्ता में उन्होंने झूठ बोला कि सांसद ने शिलापट्ट बदलवा कर उनका नाम लिखवा दिया। यदि गठबन्धन के कारण नीतीश जी को हायाघाट का सीट लोजपा के हाथों भरना लगाना पड़ा है तो पूरी तरह ही दे दें। गठबन्धन हित और देश की जरूरत नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाने केलिए विधायक पद छोटी चीज है, वे इससे बड़ी कुर्बानी भी देनी पड़ती तो वे दे देते।
वहीं शहरी विधानसभा क्षेत्र के विषय मे कहा कि उनका गृह क्षेत्र है और उनके परिवार का आधार क्षेत्र है। उनके परिवार के लोग 32 हजार वोट निर्दलीय लड़कर ले आते हैं। फिर भी उन्हें किनारा किया जाता है प्रतिनिधि के इशारे पर। परंतु शीर्ष नेतृत्व के सामने बात पहुँचने पर प्रत्याशी केलिए उन्हें सक्रिय भार दिया गया और वे जमकर ईमानदारी से कार्य किये।

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