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May 4, 2019

वेब मीडिया के बढ़ते प्रभाव से बौखला रहे हैं दरभंगा में मीडिया के पुराने ठेकेदार!

दरभंगा। अभिषेक कुमार
पहले अनपढ़ और बेरोजगारों की आसान भर्ती केलिए राजनीति को ही कोसा जाता था। पर आप दरभंगा आ जाईये तो यहां वही दर्शन आपको मीडिया के क्षेत्र में भी मिल जाएगा। यहां पत्रकार बनने केलिए किसी भी शैक्षणिक योग्यता नही, बल्कि कुछ अन्य योग्यताओं को प्राथमिकता भी मिल सकता है। बहुत से सीजनल अखबार, चैनल जो कभी कभार नाम मात्र खबर दिखाते हैं और जिनका नाम तक लोगों को पता नही होता, उनमे ऐसे महान अनपढ़ पत्रकारों की वैकेंसी सबसे ज्यादा रहती है। ऐसे मीडिया माध्यम आपको नजर भी मुश्किल से पड़ेंगे। अगर नजर पड़ेंगे भी तो उनका कटिंग और क्लिप भी व्हाट्सएप या फेसबुक पर मिलेगा। नमूना बता दें कि कोई कहेगा कि वे फलाने अखबार से हैं, यदि आपने नाम नही सुना तो पुछियेगा ही कि कहां मिलेगा! जवाब मिलेगा के हमसे आकर ले लीजियेगा नही तो व्हाट्सएप पर भेज देंगे।
कमोबेश कुछ ऐसे ही अपने आपको बड़े चैनल वाला भी बताने वाले मिल जाएंगे। उनसे पूछिये कि खबर कहाँ दिखेगी, वे भी कहेंगे कि Youtube पर देख लिजियेगा, नही तो वीडियो क्लिप व्हाट्सएप पर भेज देंगे।
अब ऐसे अखबारों और चैनलों की स्थिति तो आप समझ ही सकते हैं। खबर आप आकर इन्हें देते हैं, या प्रशासन से इन्हें मिलता है। महीने में दो चार बार इनका खबर शायद कहीं दिख जाए। पर इनके रिपोर्टर जिले के हर प्रखण्ड में होने के साथ जिला से लेकर शहरी क्षेत्रों एवं विभिन्न विभागों के भी होते हैं। मतलब एक जिले में कम से कम 25 से 30 रिपोर्टर। अब इन सीजनल मीडिया माध्यमो को पढ़े लिखे पत्रकार तो मिलेंगे नही फ्री में। तो फिर शुरू होता है दूसरे पात्रता की परीक्षा। कौन डीलर, आंगनबाड़ी, स्कूल आदि में सेटिंग गेटिंग करने और ब्लैकमेलिंग की क्षमता रखता है, उन्हें प्रधानता दिया जाता है। ये कथित पत्रकार शान से प्रेस लिखकर घूमते हैं और चारा की तलाश में रहते हैं। जहाँ चारा चुगा गया, चुग लेते हैं। जहां किसी कारणवश चारा हाथ नही लगा, इनके ऊपर बैठे दुकान खोले आका अधिकारी को फोन फान करके डराने और वसूली की कोशिश किये। सब नाकाम होने पर आरटीआई नामक अस्त्र का उपयोग किये। और फिर ब्लैकमेलिंग। असल मे खबर लिखकर केवल अपने अखबार या चैनल के माध्यम से असर दिखा दें, ये दम होता नही है, न ही मंशा होती है। मंशा तो बस मीडिया नाम की दुकान चलाने और प्रेस लिखे गाड़ियों की फौज खड़ी करने की होती है।
अब बात करते हैं सोशल मीडिया और वेब पोर्टल की। कुछ लोग इसे आसान जरिया बनाकर पत्रकार बन जाने का ठीकरा फोड़ते हैं। दरभंगा में भी कई वेब पोर्टल से जुड़े लोग हैं। वेब पोर्टल में अधिकांश एकल पद्धति पर चलता है क्योंकि ये खबर भी सीमित दिखाते हैं और संसाधन भी सीमित होता है। एकाध वेब पोर्टल यदि खबरों के संग्रह को नियमित दिखाते हैं तो भी वे ज्यादातर अपने संवादसूत्र पर ही कार्य करते हैं। दो तीन से ज्यादा लोगों की टीम नही होती। और नियमित रूप से जिले की कुछ खबरों का संग्रह प्रतिदिन दिखाने वाले दरभंगा के ऐसे वेबपोर्टल के रिपोर्टर या संपादक कभी गाड़ी पर प्रेस लिखे भी नही दिखते हैं। वे सिर्फ खबर से मतलब रखते हैं। उपरोक्त प्रकार के मीडिया की दुकान खोलकर ब्लैकमेलिंग केलिए अभी तक शायद ऐसे नियमित खबरों को दिखाने वाले वेबपोर्टल का नाम नही आया है।
ऐसे में फिर भी पुराने ठेकेदारों को तकलीफ वेव पोर्टल से ही होने का कारण स्पष्ट समझा जा सकता है। पहले कुछ दो-चार अखबार और दो चार चैनल ही खबरों के चलने या न चलने के ठेकेदार होते थे। वे जो खबर चाहते थे, वही चलता था। पर मैनेज हो जाने पर जो खबर नही चाहते थे, नही चलता था। पर डिजीटल मीडिया के कारण खबरों को दबाना या मैनेज करना मुश्किल हो गया है। वेब मीडिया के माध्यम से खबरों के सोशल मीडिया में छा जाने से अन्य समाचार माध्यमों को भी उसे चलाने का दवाब हो ही जाता है जिन्हें पहले वे शायद मैनेज कर सकते थे। इसी कारण पुराने ठेकेदारों की खुन्नस वेब मीडिया से देखने को मिल जाती है। भ्रष्टाचार का आरोप भी ढंग से वे वेब मीडिया पर फिलहाल नही लगा पाते, पर खुन्नस निकालने केलिए दिल को तसल्ली प्रेस कॉन्फ्रेंस आदि में कोस कर दे देते हैं। किसी खास कार्यक्रम या प्रेस कॉन्फ्रेंस की कवरेज में वेब मीडिया के पत्रकारों को आगे बैठे या कैमरा लगाये देख लेते हैं तो उन्हें बड़े चैनल या अखबार से होने का अहंकार मुखबिंद को बंद नही रख पाता। मुखबिंद यदि सामने बन्द भी रख लिए तो वेब मीडिया के प्रतिनिधि के निकलते ही भड़ास निकाल लेते हैं। खबर में क्या गड़बड़ी है, ये वे नही बता सकते। बस इतना ही कहेंगे कि आजकल वेब पोर्टल खोल कर कोई भी अन्ना गन्ना पत्रकार बन जाता है। जबकि वे भूल जाते हैं वेब मीडिया को ऑपरेट करने केलिए कम से कम कुछ पढ़े लिखे और तकनीकी ज्ञान वाले व्यक्ति ही चला सकते हैं। जबकि कथित बड़े चैनल और अखबार वाले अनपढ़ गवार को भी कैमरा थमा देते हैं।
दरभंगा के पूर्व डीएम डॉ0 चन्द्रशेखर सिंह ने प्रेस दिवस पर खुल कर डिजिटल मीडिया की तारीफ की थी और स्पष्ट कहा था कि डिजिटल मीडिया के कारण खबरों के सम्प्रेषण में तेजी आयी है। डिजिटल मीडिया के कारण खबरों को दबाना या मैनेज करना नही हो पाता है।
ऐसे में वेब मीडिया से मीडिया के पुराने ठेकेदारों की तकलीफों का कारण जनमानस द्वारा भी आसानी से समझा जा सकता है। और निष्कर्ष के रूप में यही कहा जा सकता है कि वेब मीडिया नए जमाने का मीडिया माध्यम है जिससे खबरों में पारदर्शिता और स्पष्टवादिता अपेक्षाकृत अधिक दिख रहा है। परंतु जिन पुराने ठेकेदारों को खबरों को खुद के और आकाओं के हिसाब से परोसने का एकाधिकार प्राप्त था, उन्हें खुजली होने स्वाभाविक है। यही कारण है कि अक्सर कोई बड़ी खबर वेब मीडिया के माध्यम से पहले प्रसारित हो जाने से ठेकेदारों के माथे का पसीना न जाने कहाँ कहाँ से निकलने लगता है। कुछ न कर पाने की स्थिति में अंत मे दो चार ठेकेदार मिलकर किसी कार्यक्रम के आयोजकों को धौंस देते है कि वेबपोर्टल वालो को बुलाइएगा तो हम लोग नही आएंगे। और इसतरह वे खुद को अपग्रेड करने के बजाय वेब मीडिया को कोसने लग जाते हैं।

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