Home Featured 11 वर्षो से बांग्लादेश के जेल में बन्द सतीश के घर लौटने की बाट जोहते पत्नी बच्चे व परिवार।
May 9, 2019

11 वर्षो से बांग्लादेश के जेल में बन्द सतीश के घर लौटने की बाट जोहते पत्नी बच्चे व परिवार।

मोहन चंद्रवंशी की विशेष रिपोर्ट।

दरभंगा:- पिछले 11 साल से लापता दरभंगा हायाघाट प्रखंड के मनोरथा गांव निवासी सतीश चौधरी बांग्लादेश के लक्ष्मीपुर डिस्ट्रिक्ट जेल में बंद है।सतीश कैसे बांग्लादेश देश पहुँचा यह रहस्य बना हुआ है। मानसिक रोगी सतीश चौधरी 12 अप्रैल 2008 को अपने छोटे भाई मुकेश चौधरी के साथ गांव से पटना रोजी रोटी के साथ साथ इलाज के लिए गया था। ठीक 3 दिन बाद 15 अप्रैल 2008 को गांधी मैदान स्थित कृष्ण मेमोरियल हॉल के पास से अचानक गायब हो गया। सतीश को उसके परिजनों ने काफी खोजबीन किया एवं थक हारकर 8 मई 2008 को गांधी मैदान थाना में उसके गुमशुदगी का रिपोर्ट दर्ज कराया। लंबे दिनों तक लापता सतीश चौधरी का जब कहीं अता पता नहीं चला तो घरवाले घर बैठ गए।गुमशुदगी की घटना के लगभग 4 वर्षों बाद सतीश के परिजनों को जान में जान तब आया जब उन्हें बांग्लादेश रेड क्रॉस सोसायटी का एक पत्र इंडियन रेड क्रॉस सोसाइटी के माध्यम से प्राप्त हुआ। बांग्लादेश रेड क्रॉस सोसायटी,ट्रेनिंग डिपार्टमेंट,बारा माघ बाजार,ढाका के मैसेज फॉर्म में सतीश चौधरी का परिवार के नाम संवाद था।वह संबाद अपने स्वर्गीय पिता रामविलास चौधरी को लिखा था।सबसे पहले मेरा प्रणाम स्वीकार करें। उम्मीद है कि परिवार के सभी लोग बेहतर होंगे। मैं आप सभी लोगों के लिए ईश्वर से प्रार्थना करता हूं। अंत में उसने लिखा था पिताजी मैं लक्ष्मीपुर डिस्ट्रिक्ट जेल बांग्लादेश में बंद हूं। यह संवाद मिलते ही सतीश के परिजन स्थानीय जिला प्रशासन दरभंगा,पटना के जिला प्रशासन के साथ-साथ 2 जुलाई 2012 को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के जनता दरबार में भी अपने दुख को बताया था। प्रधान सचिव विदेश मंत्रालय को भी पत्र लिखा।परंतु इसके बाद भी सरकारी स्तर पर सतीश को भारत लाने का किसी भी प्रकार का प्रयास नहीं किया गया। सतीश के छोटे भाई मुकेश चौधरी वर्षों तक विभिन्न कार्यालयों में दिए गए आवेदन पत्र के सबूत लेकर जगह-जगह भटकते रहे। सभी से न्याय की गुहार लगाते हुए।अपने मानसिक विक्षिप्त भाई को भारत वापस लाने की विनती करते रहा। मगर लंबे दिनों बाद भी मुकेश का प्रयास आज तक असफल ही रहा और सतीश चौधरी पटना से कैसे बांग्लादेश पहुंचा,फिर जेल में बंद हो गया यह रहस्य बना रहा।इधर हाल के दिनों में पुनः मीडिया में छपी खबर बांग्लादेश के जेल में बंद है उत्तर बिहार के चार युवक में से एक दरभंगा जिले के हायाघाट प्रखंड के जोजल गांव निवासी राम विकास चौधरी के पुत्र जोतिश चौधरी के सजा पूरा होने के बावजूद भी पता सत्यापन नहीं होने से वे जेल से नहीं छूट पा रहे हैं।यहां एक बात ध्यान देने योग्य है सतीश के पिता रामबिलास चौधरी का पैतृक घर बहेड़ी प्रखंड के जोरजा है। वे शादी के बाद हायाघाट प्रखंड के मनोरथा में बस गए।इस संबंध में बांग्लादेश स्थित भारतीय हाई कमिशन पते की सत्यापन के लिए संबंधित राज्य सरकार के अलावे जिला अधिकारी को पत्र लिखा है। मगर अभी तक प्रशासन के द्वारा पते का सत्यापन नहीं किया गया है।परिजनों एबं रेड क्रॉस सोसायटी के साक्ष्य के आधार पर बांग्लादेश के जेल में 11 वर्षों से बंद जोतिस चौधरी दरभंगा जिला के हायाघाट प्रखंड अंतर्गत एपीएम थाना क्षेत्र के मनोरथा निवासी सतीश चौधरी ही है। हां यह हो सकता है कि मानसिक बीमारी एवं भाषाई तालमेल के कारण अपना पता ठीक ठीक नहीं बता पा रहा हो।

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