Home Featured लोकसभा चुनाव में नीतीश के विकास कार्यों पर भारी पड़ा मोदी का नाम: गामी।
May 13, 2019

लोकसभा चुनाव में नीतीश के विकास कार्यों पर भारी पड़ा मोदी का नाम: गामी।

देखिये बयान का वीडियो भी।

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दरभंगा: राजनीति में अब विचारधारा की जगह मौका मायने रखता है। पद केलिए नेताओं का दल बदलना या सत्ता केलिए पार्टियों का गठबन्धन बदलना अब राजनीति में आम बात हो गयी है। और बदलाव केलिए समान विचारधारा या विपरीत विचारधारा भी नही देखा जाता, केवल नफा नुकसान का आकलन किया जाता है।
ऐसे में जदूय विधायक अमरनाथ गामी विधानसभा चुनाव को लेकर सोमवार को जो भविष्यवाणी की है, उससे स्पष्ट हो रहा है कि वे जल्द ही जदयू को अलविदा कह भाजपा का दामन थाम सकते हैं। वैसे श्री गामी कहते हैं कि वे जदयू में ही रहेंगे। पर जिस तरह से जदयू विधायक का वक्तव्य आया है उसके बाद तो स्थिति समझने में संदेह नहीं नजर आ रहा है।
विधायक श्री गामी ने यहां बयान दिया है कि बिहार में 2020 का विधानसभा चुनाव बिना नरेन्द्र मोदी के काम नहीं चलेगा। लगे हाथ उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर भी निशाना साधते हुए कहा कि नीतीश कुमार के 12 सालों के विकास के काम पर मोदी का नाम भारी पड़ा है। वे इतना पर ही नहीं रूके और कहा कि सभी दलों दर्जनों विधायक उनके सम्पर्क में हैं और इनके लिए वे भाजपा में संभावना तलाश रहे हैं। वैसे इससे पहले भी गामी ने हायाघाट विधानसभा क्षेत्र को लेकर बड़ी बात कह दी थी। उन्होंने कहा था कि यह क्षेत्र लोजपा के हाथ गिरवी रख दिया गया है और गिरवी को स्थाई बनाने के लिए उन्होंने इस्तिफे की पेशकस की है। राजनीतिक पंडितों की माने, तो गामी इस बात को लेकर चिंतित हैं कि कही गठबंधन में हायाघाट का सीट लोजपा को न चला जाय। यहां से भाजपा के टिकट पर वे विधायक बने थे और विधायक रहते ही वे जदयू में चले गये थे। जहां वे जदयू और राजद गठबंधन में विधायक बने थे। राजनीतिक टीकाकारों का मानना है कि गामी दरभंगा शहर से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ना चाहते हैं। पर मुश्किल है कि यहां से भाजपा नेता चार बार से विधायक हैं। इन दोनों नेताओं के बीच छत्तीस का संबंध बताया जाता है। साथ ही संजय सरावगी को सुशील मोदी का वरदहस्त प्राप्त माना जाता है।ऐसे में सुशील मोदी के पावर में रहते ऐसा होना मुश्किल है।बहरहाल लोकसभा चुनाव परिणाम आने के बाद नई राजनीतिक समीकरण बन सकता है, जैसा की संकेत मिल रहा है। इन नए संकेतो गठबन्धन टूटने पर सुशील मोदी की शक्ति में कमी आ सकती है। सुशील मोदी खेमा कमजोर होने पर श्री गामी केलिए विकल्प खुलने की संभावना भी बन सकती है।

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