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May 14, 2019

अनौपचारिक संस्कृत पाठ्यक्रम के पहले सत्र का हुआ समापन

दरभंगा कार्यालय:संस्कृत एक ऐसी भाषा है, जिसके पढ़ने से गणित और विज्ञान की शिक्षा में आसानी होती है क्योंकि इसके पढ़ने से मन में एकाग्रता आती है। उक्त बातें राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान, नई दिल्ली द्वारा सी एम साइंस कॉलेज दरभंगा में संचालित अनौपचारिक संस्कृत शिक्षण केंद्र के पहले सत्र के समापन समारोह की अध्यक्षता करते हुए महाविद्यालय के प्रधानाचार्य डॉ प्रेम कुमार प्रसाद ने कही। उन्होंने कहा कि संस्कृत के उच्चारण से गले का स्वर स्पष्ट होता है और इससे रचनात्मक और कल्पना शक्ति में बढ़ोतरी होती है जबकि स्मरणशक्ति के लिए भी संस्कृत भाषा काफी कारगर है। अपने संबोधन में उन्होंने बताया कि आज कॉल सेंटर में काम करने वाले युवक-युवती भी संस्कृत का उच्चारण कर अपनी वाणी को शुद्ध कर रहे हैं । जबकि न्यूज़ रीडर, फिल्म व थिएटर के आर्टिस्ट के लिए स्पीच थेरेपी के रूप में संस्कृत के शब्दों का उच्चारण बेहतर उपचार साबित हो रहा है।

इससे पहले कार्यक्रम का विधिवत शुभारंभ पाठ्यक्रम के छात्र मनीष कुमार झा एवं गंधर्व कुमार झा द्वारा वेद ध्वनि की प्रस्तुति के साथ हुआ। जबकि पाठ्यक्रम प्रशिक्षिका अंशु कुमारी ने राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान का कुल गीत प्रस्तुत किया। कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के सिंडिकेट सदस्य डॉ अमर कुमार अमर ने देव भाषा संस्कृत के वैज्ञानिक पहलुओं की विस्तार से चर्चा करते हुए इसके अधिकाधिक प्रयोग के महत्व पर प्रकाश डाला। सारस्वत अतिथि के रूप में जे एन कॉलेज, मधुबनी के दर्शन शास्त्र विषय के वरीय शिक्षक डॉ हेम चन्द्र कुमार ने अपने संबोधन में वेदों की उत्पत्ति सहित वेद उपनिषद एवं वेदांत दर्शन के मुख्य तत्वों को सोदाहरण उपस्थापित किया। रसायन विज्ञान विभाग के अध्यक्ष डॉ योगेंद्र झा ने संस्कृत को दैवत्व शक्ति की प्रमाणिक भाषा बताते हुए इसे सिर्फ पूजा पाठ तक सीमित रखने की वजह जनसाधारण की भाषा बनाए जाने को समय की मांग बताया।
पाठ्यक्रम प्रशिक्षण अंशु कुमारी द्वारा संस्कृत भाषा में संचालित कार्यक्रम में अतिथियों का स्वागत एवं धन्यवाद ज्ञापन पाठ्यक्रम संयोजक एवं रसायन विज्ञान के वरीय शिक्षक डॉ अशोक कुमार झा ने किया। अपने संबोधन में उन्होंने उपस्थित जनों से संस्कृत भाषा को जनमानस की भाषा बनाने के लिए इस पाठ्यक्रम में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने हेतु आम लोगों को जागरूक करने की अपील की। ताकि हमारी संस्कृति सुरक्षित रहने के साथ-साथ आने वाली पीढ़ियों को इसका लाभ मिल सके और हमारे धर्म ग्रंथ भी सुरक्षित रह सकें। कार्यक्रम में महाविद्यालय के आइक्यूएसी सहायक प्रवीण कुमार झा एवं प्रधान सहायक कृष्ण कुमार चौधरी की उल्लेखनीय उपस्थिति रही।
पाठ्यक्रम संयोजक डॉ अशोक कुमार झा एवं प्रशिक्षिका अंशु कुमारी के कुशल संचालन में महाविद्यालय में चल रहे इस पाठ्यक्रम में कुल 99 छात्र छात्राओं ने दाखिला लिया था। इनमें से परीक्षा में शामिल कुल 78 छात्र-छात्राओं में से कुल 77 ने अच्छे अंकों के साद उत्तीर्णता हासिल की है। कार्यक्रम के अंत में संस्कृत भाषा के संरक्षण, संवर्धन व विस्तार के लिए सभी को लोगों को पाठ्यक्रम प्रशिक्षिका अंशु कुमारी ने एकता शपथ दिलाई।

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