Home Featured तो क्या स्थानीय मीडिया में प्रभुत्व खत्म होते देख फिर लॉबिंग शुरू की जाति विशेष के पत्रकारो ने!
May 31, 2019

तो क्या स्थानीय मीडिया में प्रभुत्व खत्म होते देख फिर लॉबिंग शुरू की जाति विशेष के पत्रकारो ने!

दरभंगा: लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ कहा गया है मीडिया को। परंतु राजनीतिक दलों की तरह यदि जातिवाद की भावना से प्रेरित होकर पत्रकार, पत्रकार की जगह पक्षकार बन जाये तो यह निश्चित रूप से पत्रकारिता केलिये शर्मनाक अध्याय होगा।
कुछ ऐसा ही दिख रहा है लगातार कुछ वर्षों से दरभंगा में। स्थानीय समाचार माध्यमों में जाति विशेष का अधिपत्य कई वर्षो से रहा। परंतु बदले परिदृश्य के साथ उनकी जातीय एकता के कारण भयादोहन का खेल कमजोर हुआ और उनका बुना पुराना जाल टूटता गया। अधिपत्य समाप्त होने से बौखलाये जातिवाद की भावना से ओत प्रोत ऐसे कथित मीडिया कर्मी अपने पुराने अधिपत्य के वापसी का मौका हमेशा ढूंढते रहे। कई बार अलग अलग मामलों में जातीय लॉबिंग भी विभिन्न तरीकों से की गयी। एक पत्रकार संगठन भी बनाया तो सात सदस्यीय मुख्य कमिटी में 6 एक ही जाति के बनाये। हालांकि यहां भी कुछ दिनों बाद लॉबिंग ध्वस्त हो गयी। एक जातीय भवन टूटने की बात आयी तो फिर उसे बचाने केलिए जातीय लॉबिंग की गयी इन जाति विशेष के पत्रकारो के द्वारा। पुनः किसी न किसी अवसरों पर जातीय एकता बनाये रखने के साथ बढ़ रहे दूसरे जाति के प्रभाव को कम करने का प्रयास इन जाति विशेष के पत्रकारो द्वारा लगातार जारी रहा। ये हर मौका खोजते रहे जब दूसरे जाति का प्रभाव मीडिया में बढ़े तो कैसे अपनी जाति की लॉबिंग करके उसे तोड़ा जाय और उनकी जाति के अलावा स्थानीय मीडिया में किसी का वर्चस्व न बन सके।
कुछ वर्ष पूर्व दरभंगा के एक बड़े प्रतिष्ठान में भी बच्चा बदलने को लेकर लापरवाही में एक पत्रकार के खबर के कारण इनके जाति के डॉक्टर फंस रहे थे तो इनलोगों ने डॉक्टर के पक्ष में लॉबिंग करके खबर को उजागर करने वाले पत्रकार को ही फसाने की पूरी कोशिश की गयी। परंतु सबूतों के कारण इस जातीय गोलबंदी से उक्त पत्रकार फंस नही पाये।
इस विशेष जाति के पत्रकारो द्वारा दूसरे जाति के किसी पत्रकार के बढ़ते प्रभाव को खत्म करने केलिए एकजुट होकर जातीय गोलबंदी के माध्यम से पुलिस प्रशासन आदि में पकड़ का उपयोग और मीडिया में बदनाम करने का प्रयास करते रहने का इतिहास नया नही है। परंतु स्थानीय मीडिया और प्रशासन में अभी भी इस जाति का प्रभाव रहने के कारण इनकी सजिशों को जनता के सामने लाना मुश्किल हो जाता है। इसलिए इनके सामने यदि कोई दूसरे जाति के पत्रकार आगे बढ़ते दिखे तो आज भी किसी न किसी रूप में उसे दबाने केलिए मौके खोज कर बड़े से बड़ा साजिश करने से नही चूकते।
आये दिन पत्रकारो पर विभिन्न प्रकार के राजनीति से प्रेरित या अन्य कारणों से प्रेरित होने का आरोप लगता रहता है। ख़बरों की विश्वसनीयता निश्चित रूप से गिरती जा रही है। ऐसे में भी यदि जातीय भावना से प्रेरित भी पत्रकार रहते हैं, तो यह निश्चित रूप से घिनौना रूप ही कहा जायेगा। ऐसे में इन तथ्यों को आमजनों तक पहुंचना भी जरूरी है। वॉयस ऑफ दरभंगा इन कलंक कथाओं को एक एक कर आमजन तक पहुंचाने की श्रृंखला शुरू कर रहा है, जिसमे इसतरह की कलंक कथाओं का वर्णन किया जाएगा।
क्रमशः जारी….

Share

Check Also

पुलिस की दबिश बढ़ता देख गैंग रेप के आरोपी ने न्यायालय में किया आत्मसमर्पण।

दरभंगा: जिले के बड़गांव थाना क्षेत्र के एक गांव की 13 साल की नाबालिग के साथ नशीली पदार्थ प…