Home Featured प्लास्टिक की खोज से ही पर्यावरण का नुकसान: डॉ एमबी वर्मा।
June 5, 2019

प्लास्टिक की खोज से ही पर्यावरण का नुकसान: डॉ एमबी वर्मा।

दरभंगा कार्यालय: मानव अपने कार्यो से प्रकृति के क्रियाकलापों में अवरोध उत्पन्न करने लगा है। अज्ञानता एवं लोभवश ऐसे कार्य लोग कर रहे है जिसका कुप्रभाव आनेवाली पीढ़ी झेलेंगी। कई वैज्ञानिक खोज ऐसे है जिनसे हमें क्षणिक फायदा तो मिल रहा है पर उससे पर्यावरण की बड़ी हानि हो रही है। जैसे प्लास्टिक की खोज ने पर्यावरण को सर्वाधिक क्षति पहुंचाई है। धरती के हर हिस्से में प्लास्टिक कचरा मौजूद है। जो जल संकट की समस्या को भी बढ़ा रहा है। उक्त बातें पद्मश्री वैज्ञानिक डाॅ मानस बिहारी वर्मा ने ‘‘पर्यावरण और जलसंकट’’ विषयक संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कही। श्री वर्मा ने बताया कि धरती पर फैले प्रदूषण का जिम्मेवार मानवों का क्रियाकलाप है। आज विकसित देश दूसरे ग्रह पर जाने की तैयारी कर रहे है पर अगर मनुष्यों की प्रवृति नहीं बदली तो नया ग्रह भी प्रदूषण का शिकर बन जाएगा। प्रदूषण के कारण ही धरती का क्लाईमेंट चेंज हो रहा है जिसके कारण जगह-जगह पानी की किल्लत उत्पन्न हो गई है। आनेवाले दिनों में इसका निदान वैज्ञानिक ढ़ूंढ लेंगे पर अगर हम अपनी लालची प्रवृत्ति पर रोक नहीं लगाते है तो दूसरी समस्या उत्पन्न होगी।

विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर स्वयंसेवी संस्था डाॅ प्रभात दास फाउण्डेशन एवं नागेन्द्र झा महिला महाविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में वृक्षारोपण सह संगोष्ठी का आयोजन किया गया था। इस संबोधित करते हुए पर्यावरण विशेषज्ञ एवं एलएलएसएम काॅलेज के प्रधानाचार्य डाॅ विद्यानाथ झा ने कहा कि पहला विश्व पर्यावरण दिवस 5 जून 1974 को मनाया गया। यह पश्चात्य सभ्यता की देन है। हमारे यहां तो प्रकृति संरक्षण सदियों से आस्था से जुड़ा रहा है। वट-सावित्री, रवि-शन व्रत, जूड़शीतल, तुलसी पूजन आदि पर्वो के जरिए हम प्रकृति में आस्था प्रगट करते है और पीपल, नीम, बरगद, तुलसी आदि वृक्षों ही नहीं कतरा घास की भी पूजा करते आए है। नदी में स्नान से ही हम मुक्ति पाते रहे हैं। इसलिए भारतीयों ने सदैव प्रकृति का संरक्षण किया है। पर पश्चिमी सभ्यता के समर्थकों ने इसे जबरदस्त क्षति पहुंचाई है। जिसका परिणाम पूरा विश्व झेल रहा है। डाॅ झा ने बताया कि पहले मनुष्य पृथ्वी पर घटक के रूप में मौजूद था पर अब संचालक बन गया है। जिसके कारण दिन-ब-दिन प्रदूषण की मात्रा वायुमंडल में बढ़ती जा रही है। अंदरग्राउंड वाटर रिचार्ज की व्यवस्था ध्वस्त हो चुकी है। नदियों पर पुल बने है और नदी में पानी नहीं है। पोखरों में बच्चें जाठ को विकेट बनाकर क्रिकेट खेल रहे है। यह स्थिति सिर्फ मनुष्यों के कारण उत्पन्न हुई है। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए महाविद्यालय के प्रचार्य डाॅ ऋषि कुमार राय ने बताया कि पर्यावरण संरक्षण के लिए लोगों को एकला चलों की नीति अपनाकर पहल करनी होगी। क्योंकि इस युग में किसी के पास भी दूसरे के लिए समय नहीं है। धन्यवाद ज्ञापन महाविद्यालय की अध्यापिका डाॅ धर्मशीला गुप्ता ने की। कार्यक्रम का प्रारंभ महाविद्यालय परिसर में आम का वृक्ष लगाकर अतिथियों ने किया। कार्यक्रम में डाॅ संजीव कुमार झा, डाॅ अशोक कुमार मिश्रा, डाॅ महेश मोहन, डाॅ अरूण कुमार मिश्रा, वंदना कुमारी, फाउण्डेशन के राजकुमार गणेशन, अनिल कुमार सिंह, मनीष आनंद आदि मौजूद थे।

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