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June 8, 2019

सभी स्वास्थ्य केन्द्रों में जीवन रक्षक दवाओं की उपलब्धता करें सुनिश्चित: डीएम

दरभंगा कार्यालय: जिला पदाधिकारी, दरभंगा डॉ  त्यागराजन ने कहा कि दरभंगा जिला बाढ़ प्रभावित क्षेत्र है इसलिए आगे के दो-तीन महीनों में सभी स्वास्थ्य केन्द्रों पर विशेष सतर्कता बरते जाने की जरूरत है। सभी स्वास्थ्य केन्द्रों पर जरूरी जीवन रक्षक दवाएँ, एंटी रेविज/एंटी भेनम आदि दवाएँ पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध रहनी चाहिए। उन्होंने कहा कि सभी चिकित्सक एवं कर्मी अपने कर्त्तव्य स्थल पर अनिवार्य रूप से मौजुद रहेंगे। बाढ़/आपदा के समय में स्वास्थ्य केन्द्रों पर चिकित्सकों एवं कर्मियों की उपस्थिति अत्यंत महत्वपूर्ण है। इनके वहाँ पर मौजूद रहने पर ही बाढ़ पीड़ित/बीमार एवं घायल व्यक्तियों की चिकित्सा संभव हो सकेगी।

उन्होंने कहा कि बाढ़ के दौरान चिकित्सीय लापरवाही या कमी के चलते अगर किसी व्यक्ति की मृत्यु होती है तो संबंधित चिकित्सक/कर्मी के विरूद्ध आपदा नियम के तहत कठोर कानूनी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने सिविल सर्जन को जिले के सभी स्वास्थ्य केन्द्रों में नियुक्त चिकित्सकों एवं कर्मियों की शत्-प्रतिशत् उपस्थिति सुनिश्चित कराने का निदेश दिया है। जिलाधिकारी ने क्षेत्र स्तर पर चिकित्सकीय सेवा का अनुश्रवण करने हेतु जिला स्तरीय टीम गठित करने को भी कहा। ये टीम नियमित रूप से स्वास्थ्य केन्द्रों का भ्रमण कर स्थिति पर नजर रखेंगे। वे समाहरणालय सभाकक्ष में आयोजित जिला स्वास्थ्य समिति की बैठक में चिकित्सा पदाधिकारियों को सम्बोधित कर रहे थे।
इस बैठक में वीडियो प्रोजेक्टर पर पावर प्वांइट प्रेजेटेशन के माध्यम से स्वास्थ्य विभाग द्वारा संचालित विभिन्न कार्यक्रमों के अद्यतन प्रगति प्रतिवेदन को दिखाया गया। जिसमें नियमित टीकाकरण, संस्थागत प्रसव, परिवार नियोजन, ए.एन.सी., पी.एम.एस.एम.ए., आयुष्मान भारत योजना, वी.एच.एस.एन.डी. आदि की प्रगति की समीक्षा शामिल है। समीक्षा में आयुष्मान भारत योजना की प्रगति संतोषजनक नहीं पायी गई। वहीं नियमित टीकाकरण, आई.यू.सी.डी., छाया, पी.पी.आई.यू.सी.डी. इनसर्सन आदि स्वास्थ्य कार्यक्रमों में कुशेश्वरस्थान, किरतपुर, जाले, सदर दरभंगा, हायाघाट, घनश्यामपुर, हनुमाननगर, सिंहवाड़ा, बहेड़ी आदि प्रखण्डों की प्रगति अत्यंत निराशाजनक पायी गई। इन प्रखण्डों में अपेक्षाकृत कार्य नही होने के चलते जिला का औसत प्रतिशत काफी कम रहा। आई.यू.सी.डी. में जिला का प्रतिशत नीचे 25 तक चला गया। जिलाधिकारी ने इसे अत्यंत गंभीरता से लेते हुए सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले प्रखण्डों के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारियों से स्पष्टीकरण पूछने एवं उनके वेतन भुगतान पर रोक लगाने का आदेश सिविल सर्जन को दिया है।
जिले के अस्पतालों में प्रसव के दौरान जच्चा-बच्चा की मृत्यु का दर अधिक होने पर जिलाधिकारी द्वारा गंभीर चिंता व्यक्त किया गया। उन्होंने कहा कि प्रसव के दौरान महिला की मृत्यु हो जाना निश्चित रूप से चिकित्सकीय लापरवाही का नतीजा है। उन्होंने सिविल सर्जन को डिफोल्टर चिकित्सकों एवं कर्मियों पर जिम्मेवारी तय कर उनके विरूद्ध कार्रवाई करने को कहा है।
जिले में कालाजार की रोगियों की बढ़ती संख्या पर भी चिंता व्यक्त किया गया। जिला में कालाजार के 41 मरीज होने की बात बतायी गई। कालाजार के कतिपय मरीजों को सरकार द्वारा प्रदत्त लाभ नहीं मिल पाने के लिए दोषी लेखापाल से स्पष्टीकरण पूछने एवं उनके वेतन पर रोक लगाने का निदेश दिया गया। इसमें जाले एवं कुशेश्वरस्थान के लेखापाल के नाम शामिल है।
इस बैठक में डी.एम.,सी.एस., एस.सी.एम.ओ., डी.आई.ओ., सभी एम.ओ.आई.सी., डी.सी.एम., डी.एच.एम., बी.एच.एम., लेखापाल आदि सम्मलित हुए।

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