Home Featured सेवा भावना एवं संस्कार से हमारे व्यक्तित्व में निखार आता है: राजेश कुमार।
July 20, 2019

सेवा भावना एवं संस्कार से हमारे व्यक्तित्व में निखार आता है: राजेश कुमार।

दरभंगा कार्यालय:मिथिला प्राचीन काल से ही सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक क्षेत्र रहा है।यह ज्ञान,विज्ञान, कला,साहित्य,धर्म तथा संस्कृति में सर्वश्रेष्ठ है,जहां की सामाजिकता,पर्व-त्यौहार एवं सभ्यता व संस्कृति उच्च कोटि की रही है। इसके कारण देश-विदेश में इसकी महत्ता रही है।आज समाज में मानवीय मूल्यों एवं रिश्ते- नातों में तेजी से ह्रास हमारे लिए चिंतनीय है।हमें अपनी धर्म-संस्कृति तथा सामाजिक सौहार्द को किसी भी कीमत पर बचाने की सख्त जरूरत है।इसके लिए युवाओं को आगे आना ही एकमात्र विकल्प है।यदि आज के युवा सामाजिक भाव से मेहनत करें,अपनी संस्कृति से लगाव बढ़ाते हुए बुजुर्गों से उचित मार्गदर्शन प्राप्त कर नई तकनीक की मदद से आगे बढ़े तो निश्चय ही समाज का कल्याण होगा तथा राष्ट्र की भी प्रगति होगी। उक्त बातें मिथिला विश्वविद्यालय के संगीत एवं नाट्य विभाग की पूर्व अध्यक्षा प्रो पुष्पम नारायण ने भारत विकास परिषद् , विद्यापति शाखा,दरभंगा के तत्त्वावधान में दिग्घी पश्चिम,दरभंगा में आयोजित परिषद् के स्थापना दिवस समारोह का दीप प्रज्वलित कर उद्घाटन करते हुए कहा। उन्होंने कहा कि परिषद् अपने पांच सूत्रों- संपर्क,सहयोग,सेवा,संस्कार एवं समर्पण के बल पर युवाओं के सहयोग से सामाजिक परिवर्तन लाने में सफल हो रहा है।हमें युवाओं की सहायता से विवेकानंद के आदर्शों को अपनाते हुए विकास और खुशहाली के लिए काम करना चाहिए।सेवा भावना एवं संस्कार से हमारे व्यक्तित्व में निखार आता है। मुख्य अतिथि के रूप में परिषद् के प्रांतीय महासचिव राजेश कुमार ने कहा कि हर व्यक्ति के जीवन का एक बड़ा सपना होता है,जिसकी पूर्ति हेतु उचित और कठिन परिश्रम आवश्यक है।उत्कृष्ट व्यक्तित्व एवं सामाजिक सेवा की भावना से हम लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं।हमारा हर कार्य समाज के लाभ के लिए होना चाहिए।पर्यावरण के साथ छेड़छाड़,अनैतिक व विरोधी कार्यों को रोककर हम अपना जीवन सफल बना सकते हैं।परिषद् का हर संदेश राष्ट्रहित तथा जनहित में उपयोगी है।उन्होंने अपील की कि हर व्यक्ति यदि प्रति वर्ष कम से कम एक पेड़ लगाएं तो हम पर्यावरण प्रदूषण से खतरनाक समस्याओं से बच सकते हैं। विषय प्रवेश कराते हुए परिषद् के सचिव डा आर एन चौरसिया ने कहा कि स्वामी विवेकानंद के आदर्शों से प्रेरित होकर डा सूरज प्रकाश के नेतृत्व में विवेकानंद की जन्मशताब्दी वर्ष में *स्वस्थ, समर्थ व संस्कारित भारत* के लक्ष्य के साथ दिल्ली में परिषद् की स्थापना 1963 में की थी।यह एक राष्ट्रीय,गैर राजनीतिक,निःस्वार्थ समाजसेवी एवं सांस्कृतिक संगठन है। इसका उद्देश्य भारतीय समाज का सर्वांगीण विकास करना है,जिसमें सामाजिक,सांस्कृतिक, नैतिक एवं आध्यात्मिक सभी प्रकार के विकास समाहित हैं।
मुख्य वक्ता के रूप में योग- विशेषज्ञ अनिल कुमार ने कहा कि वर्तमान में परिषद् की लगभग 1500 शाखाएं देश-विदेश में कार्यरत हैं। इसके 65000 परिवार के 125000 से अधिक सदस्य हैं जो निःस्वार्थ भाव से सामाजिक एवं राष्ट्रीय सेवा कार्यों में संलग्न हैं।हमें अपनी धर्म- संस्कृति तथा सामाजिक सौहार्द को किसी भी कीमत पर बचाने की आज जरुरत है।इसके लिए युवाओं को आगे आना ही एक मात्र विकल्प है।
सम्मानित अतिथि के रूप में डॉ भक्तिनाथ झा ने कहा कि मानव जीवन काफी महत्वपूर्ण एवं उद्देश्यपूर्ण है। युवा राष्ट्र के भविष्य हैं।वे अपनी मेहनत,पक्का इरादा एवं उचित मार्गदर्शन से हर सकारात्मक कार्य करने में समर्थ हैं।परिषद् सेवा, सहयोग के मार्फत लोगों को जोड़कर उन्नत समाज निर्माण हेतु प्रयासरत है।
अध्यक्षीय संबोधन में विश्वविद्यालय अर्थशास्त्र विभागाध्यक्ष प्रोफेसर हिमांशु शेखर ने कहा है कि परिषद् सत्य,निष्ठा और इमानदारी से कार्य करता है।शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यावरण- जागरूकता,कार्यकुशलता को अपनाकर परिषद् समाज कल्याण और राष्ट्र उत्थान में लगा है।सेवा के द्वारा किए गए छोटे-छोटे कार्य भी हमारे जीवन में प्रभावकारी परिवर्तन लाते हैं।यह अपने कार्यक्रमों के माध्यम से लोगों के जीवन में बदलाव ला रहा है।उन्होंने परिषद् द्वारा संचालित अस्पताल,ब्लड बैंक,शिक्षण संस्थान,प्रशिक्षण केंद्रों आदि की विस्तार से चर्चा करते हुए उनके सामाजिक लाभों से लोगों को अवगत कराया।
इस अवसर पर सदस्यों द्वारा दोनार इंडस्ट्रियल एरिया में गुलमोहर,अर्जुन,कदम, कचनार तथा सीरीस आदि के 2 दर्जन से अधिक पौधे लगाए।कार्यक्रम में डॉ शंकर झा,डा अवधेश प्रसाद यादव,अरुण कुमार दास, मथुरा प्रसाद अग्रवाल आदि ने अपने विचार व्यक्त किए।इस अवसर पर छात्रों के बीच वृक्षारोपण के महत्व पर भाषण प्रतियोगिता का आयोजन किया गया, जिसमें सफल सभी छात्र-छात्राओं को पुरस्कार प्रदान कर हौसलाअफजाई किया गया। कार्यक्रम का प्रारंभ परिषद् के संस्थापक डॉ सूरज प्रकाश के चित्र पर सदस्यों के पुष्पांजलि से हुआ,जबकि अंत राष्ट्रीय गान ..जन गण मन के सामूहिक गायन से हुआ। आगत अतिथियों का स्वागत डॉ के के चौधरी, संचालन छोटू चौधरी तथा धन्यवाद ज्ञापन कोषाध्यक्ष आनंद भूषण ने किया।

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