लम्बे समय के बाद विश्विद्यालय के कार्यक्रम में राजस्थानी साफा की जगह नजर आया मिथिला का पाग।
दरभंगा: ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोहों या अन्य बड़े कार्यक्रमों में परिधान में मिथिला के पाग की उपेक्षा का मामला लगातार सामने आ रहा था। प्रभावी सिंडिकेट सदस्य एवं जनप्रतिनिधि के दवाब में मिथिला के पाग की जगह एक प्रतिनिधि विशेष के दवाब में उनके के पसन्द से राजस्थानी साफा उपयोग करने की चर्चा आम थी। इसको लेकर लगातार विरोध प्रदर्शन एवं आंदोलन आदि भी हुए थे। परंतु शनिवार को शिक्षा शास्त्र विभाग द्वारा आयोजित एक राष्ट्रीय सेमिनार के उद्घाटन दिन लम्बे समय बाद परिधान में मिथिला के पाग ने जगह पायी। कार्यक्रम से अधिक लोगों में इस बात को लेकर चर्चा एवं हर्ष का माहौल देखा गया। लगा जैसे मिथिला की संस्कृति पर लगातार हमला के बाद पुनः एकबार मिथिला की सांस्कृतिक पहचान को उचित स्थान मिला है। विश्वविद्यालय सूत्रों की माने तो विभागाध्यक्ष प्रो0 विनय कुमार चौधरी ने पहले ही निश्चय कर लिया था कि वे अपने अध्यक्षता में आयोजित कार्यक्रम में हर हाल में पाग को परिधान में शामिल करेंगे। सूत्रों के अनुसार इसपर पुनः प्रतिनिधि विशेष को आपत्ति थी और वे अपने पसंदीदा राजस्थानी साफा को ही ड्रेस कोड बनवाना चाह रहे थे। परंतु सूत्र बताते हैं कि पाग को परिधान में शामिल करने केलिए प्रो0 चौधरी अड़ गए। इस प्रकार एक लंबे समय के बाद विश्वविद्यालय के किसी कार्यक्रम के ड्रेस कोड में मिथिला के पाग को स्थान मिला।
अब देखने वाली बात होगी कि आगे दीक्षांत समारोहों में भी पाग के सम्मान को बरकरार रखते हुए परिधान में पाग को शामिल किया जाता है या पुनः राजस्थानी साफा को ही स्थान दिया जाता है।
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