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July 28, 2019

शिक्षाशास्त्र विभाग की ओर से आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का समापन।

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दरभंगा: ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के जुबली हॉल में शिक्षाशास्त्र विभाग की ओर से आयोजित वैश्वीकरण के संदर्भ में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा एक चुनौती विषयक दो दिवसीय सेमिनार का समापन रविवार को हुआ। इस अवसर बतौर मुख्य अतिथि अपने संबोधन में बिहार के सूचना एवं जनसंपर्क मंत्री नीरज कुमार ने कहा कि भारत के संविधान में शिक्षा को मौलिक अधिकार माना गया है। अनुच्छेद 21 (ए) के तहत 6 से 14 आयु वर्ग के बच्चों को अनिवार्य शिक्षा का अधिकार दिया गया। लेकिन, उसके बाद की शिक्षा का क्या होगा, इस पर विमर्श की जरूरत है। यदि कोई बच्चा 14 वर्ष की आयु के बाद भी शिक्षा पाना चाहे, उसे इसका अधिकार होना चाहिए। एक कल्याणकारी राज्य का यह दायित्व है कि वह अपने नागरिकों को शिक्षा उपलब्ध कराए।
श्री कुमार ने कहा कि शिक्षा को लेकर वैश्विक समझौता का प्रतिकूल असर भारत जैसे विकासशील देशों पर पड़ रहा है। शिक्षा का बाजारीकरण व निजीकरण हो रहा है। केवल भारत ही नहीं, कई अन्य राष्ट्र भी इसे झेल रहे हैं। वैश्वीकरण से विकसित व विकासशील देशों के बीच खाई बढ़ी है। इस दौर में संस्कृति व परंपराओं की रक्षा करना चुनौती बन गई है। बिहार की चर्चा करते हुए सूचना मंत्री ने कहा कि यहां जीडीपी का 26 फीसद शिक्षा में खर्च किया जा रहा। बिहार में 82 फीसद प्राथमिक विद्यालय सरकारी हैं। उच्च शिक्षा में छात्रों की कमी के पीछे सबसे बड़ा कारण आर्थिक है। बिहार देश का पहला राज्य बना जिसने स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड की शुरुआत की, ताकि हमारे गरीब बच्चे आर्थिक कारणों से उच्च शिक्षा से दूर ना रहें। राज्य सरकार वैश्वीकरण के दौर में शिक्षा में पब्लिक सेक्टर की भूमिका बढ़ाने का प्रयास कर रही है। इसके लिए नए विश्वविद्यालय व तकनीकी संस्थान स्थापित किए जा रहे हैं।
दो दिवसीय सेमिनार में कुल 19 तकनीकी सत्रों का आयोजन विभिन्न सभागारों में किया गया। इन सत्रों में करीब 20 से अधिक विषय विशेषज्ञों ने अपने विचार प्रस्तुत किए। जबकि, करीब पांच सौ से अधिक प्रतिभागियों ने अपने आलेख प्रस्तुत किए। शिक्षाविद डॉ. प्रभाकर पाठक की अध्यक्षता में आयोजित संपूर्णता सत्र में वक्ताओं ने सेमिनार में प्राप्त सुझावों को एकीकृत कर यूजीसी को भेजने की बात कही। लनामिविवि के प्रोवीसी प्रो. जय गोपाल, संस्कृत विवि के प्रोवीसी प्रो. चंद्रेश्वर प्रसाद सिंह, लनामिविवि के कुलसचिव कर्नल निशीथ कुमार राय समेत कई विश्वविद्यालयों के शिक्षाविद व प्रतिभागी सत्र में मौजूद रहे। इससे पूर्व संगठन सचिव प्रो. विनय कुमार चौधरी ने सूचना मंत्री का पारंपरिक स्वागत किया। अन्य अतिथियों को भी स्मृति चिह्न भेंट किए गए। संचालन प्रो. अमलेंदु शेखर पाठक ने किया।

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