नीतीश के शराबबंदी के बाद गुटखा बन्दी पर जदयू विधायक ने ही उठाया बड़ा सवाल।
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दरभंगा: अपने बयानो को लेकर अक्सर सुर्खियों में रहने वाले जेडीयू विधायक अमरनाथ गामी ने एक बार फिर अपनी ही सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया है। शराबबन्दी के बाद अब गुटखा एवं पान मसाला बन्द करने दरभंगा जिले के हायाघाट विधानसभा क्षेत्र से जेडीयू विधायक अमरनाथ गामी ने अपने ही सरकार की मंशा पर बड़ा सवाल उठाया है।
इसके साथ ही उन्होंने शराबबंदी को लेकर नीतीश सरकार को पुनर्विचार करने की सलाह दे डाली।
इतना ही नहीं जेडीयू विधायक ने बिहार में एक साल के लिए पान-मसालों पर लगे बैन पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि गुटखा को बैन करने से पहले इससे जुड़े लोगों के लिए सरकार को रोजगार का सृजन करना चाहिए। अगर सरकार रोजगार नहीं दे सकती तो रोजगार को छिनने का भी अधिकार नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि बिहार की जनता अब कटोरा लेकर दिल्ली में भीख मांगेगी।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर निशाना साधते हुए अमरनाथ गामी ने कहा कि वे सिर्फ अपना चेहरा चमकाने के लिए ऐसे फैसले ले रहे हैं। उन्होंने कहा कि गुटखा बंदी का हाल भी शराबबंदी की तरह होगी। इससे न सिर्फ कालाबाजारी बढ़ेगी बल्कि उसकी गुणवत्ता में भी कमी आएगी। उन्होंने कानून व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए कहा कि चोर को पकड़ने के लिए बिहार में पुलिस की कमी पहले ही है। शराब, शराबी और गुटखा बेचने वाले को बिहार पुलिस कैसे पकड़ेगी। लोग गुटखा बैन के खिलाफ आवाज बुलंद करें नहीं तो व्यापारी और दुकानदार रेलवे स्टेशन पर कटोरा लेकर भीख मांगेंगे।।
जेडीयू विधायक ने पूछा कि शराब को बंद करने से क्या मिला? उन्होंने दावा किया कि बिहार में युवा पीढ़ी खासकर बेरोजगार और स्कूली छात्र बड़े पैमाने पर नशे के रूप में अंग्रेजी दवा और कफ सीरफ के साथ अन्य चीजों का सेवन कर रहे हैं. उसे रोकने की जरुरत है. लोग 400 रुपये की शराब 1200रु-1500रु में खरीदकर पी रहे हैं. ये गरीब तबके के लोग नहीं हैं। उन्होंने मांग की कि बिहार में अवैध शराब की बिक्री पर रोक लगे और शराब पीने वाले लोगों को लीगली शराब पीने की वैधता मिले। इससे राजस्व का भी लाभ होगा। फिलहाल ब्लैक में बिक्री से सरकार को कोई लाभ नही होता।
अमरनाथ गामी ने कहा, ”वैसे लोग जो मानसिक काम करते हैं…जैसे नेता, पत्रकार, कवि, प्रशासनिक पदाधिकारी और वो जो 10 लाख से ऊपर कमाते हैं उन्हें शराब पीने के लाभ हानि का पता है। अगर एक लाख की शराब पी लेते हैं तो क्या गलत है!”
उन्होंने ऐसे लोगो केलिए शराब की बिक्री सशर्त लीगली शुरू करने पर पुनर्विचार की माँग की है। हालांकि श्री गामी ने गरीब मजदूर तबकों को शराबबन्दी से फायदा होने की बात भी कही। पर उपरोक्त श्रेणी के लोगों बढ़ी हुई कीमत में ही सशर्त शराब उपलब्ध करवाने केलिए पुनर्विचार की माँग की है।
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