Home Featured 11 साल बाद कलेजे के टुकड़े को देख फफक पड़ी माँ, पूरे गांव में ढोल नगाड़े संग मन जश्न।
September 14, 2019

11 साल बाद कलेजे के टुकड़े को देख फफक पड़ी माँ, पूरे गांव में ढोल नगाड़े संग मन जश्न।

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दरभंगा: उस पल का अंदाजा लगाना बहुत ही कठिन होगा जब एक माँ का लाल बांग्लादेश की जेल से 11 साल के बाद रिहा होकर उसके सामने खड़ा हुआ हो। सतीश के लापता होने पर थक हार कर सबने आस छोड़ ही थी मिलने की। पर माँ की आंखे अपने लाल को देखने की आस में आज भी अपने दरवाजे पर टिकी रहती थी। उसके मन मे विश्वास प्रबल था कि उसका लाल उसकी आँखों के सामने आएगा। और शनिवार को वह पल भी आ गया जब सतीश हायाघाट प्रखंड स्थित अपने गांव मनोरथा पहुंचा। उसके गांव पहुंचते ही लोग खुशी से झूम उठे। सतीश की मां ने अपने कलेजे के टुकड़े को गले से लगा लिया और फफक-फफक कर रो पड़ी। उसके मन का प्रबल विश्वास जो साक्षात हो चुका था। सतीश की गाड़ी गांव पहुंचते ही गांव में पटाखे छूटने शुरू हो गए।ग्रामीणों ने ढोल नगाड़े के साथ सतीश का जोरदार स्वागत किया।
वहीं सतीश के जन्म मरण का रिश्ता जोड़कर आयी उसकी पत्नी अमोला और दोनों पुत्र आशिक और भोला की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। अमोल केलिए तो जैसे सारे मन्नतों और पूजा पाठ का फल इसी जन्म में साक्षात भगवान ने वरदान के रूप में दे दिया था। असल में सतीश जब गायब हुआ था तब उसके दूसरे पुत्र भोला का जन्म भी नहीं हुआ था और पहला पुत्र आशिक इतना छोटा था कि उसे अपने पिता याद भी नहीं थे। शनिवार को जैसे ही उन दोनों ने अपने पिता को देखा तो तुरंत उसे गले से लगा लिया। वहीं, सतीश के घर वापसी की खुशी में परिजनों ने पूरे गांव में मिठाईंयां बांटी।
सतीश की बहन आरती की थाल लिए अपने छोटे भाई के इंतजार में सारी तैयारियां करके खड़ी थी। भाई के आते उसने भाई के माथे पर टीका लगाया और आरती उतारी।
उसके आने की खुशी में तरह-तरह के पकवान के साथ घर के बाहर टेंट और डीजे की भी व्यवस्था की गई। सतीश के आगमन को लेकर उसके दोस्तों और गांव वालों का उसके घर पर सुबह से ही तांता लगा हुआ था।
बताते चलें कि दरभंगा जिले के मनोरथा गांव निवासी स्व0 रामविलास चौधरी का पुत्र सतीश चौधरी 2008 से ही लापता था। उसके परिवार वालों को 2012 में बांग्लादेश में उनके होने की खबर मिली। उसके भाई मुकेश ने बताया कि अपने भाई को वापस इंडिया लाने में न सरकार और न ही प्रशासन ने उसकी मदद की। अंत ने मानवाधिकार कार्यकर्ता की पहल पर काफी मशक्कत के बाद सतीश को गुरुवार को दर्शना गेड़े बॉर्डर पर बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश ने इंडियन बीएसएफ को सुपुर्द किया था। बांग्लादेशी कपड़ों में ही उसे शुक्रवार की रात पटना-हावड़ा जनशताब्दी एक्सप्रेस से पटना जंक्शन लाया गया। इस दौरान सतीश चौधरी का छोटा भाई मुकेश चौधरी भी उनके साथ था।
ज्ञात हो कि मनोरथा गांव के रहने वाले सतीश चौधरी का मानसिक संतुलन ठीक नहीं रहता था। वह इलाज के लिए दरभंगा से पटना आया था। इसी दौरान भटककर बांग्लादेश पहुंच गया। उसके छोटे भाई मुकेश चौधरी ने उसे खोजने का काफी प्रयास किया। लेकिन नहीं मिलने के बाद वह निराश हो गया।
वर्ष 2012 में उसे जानकारी मिली की उसका भाई बांग्लादेश की जेल में बंद है। इसके बाद वह उसे वापस लाने का प्रयास करने लगा। उसने सरकार और प्रशासन से मदद की गुहार लगाई लेकिन कोई मदद नहीं मिली। तब मानवाधिकार कार्यकर्ता विशाल रंजन ने उसकी मदद की, जिसके बाद उसे शुक्रवार की देर रात सकुशल हंसते मुस्कुराते पटना जंक्शन लाया जा सका, और शनिवार की दोपहर अपने पैतृक गांव पहुँचा।

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