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September 25, 2019

दरभंगा शहर में विकास के सभी विकल्प उपलब्ध, बस सिस्टम इम्प्रूव करने की जरूरत: अभिषेक।

वॉयस ऑफ दरभंगा के संपादक अभिषेक कुमार का विशेष आलेख:
पिछले पाँच साल के सफर में आपलोगों का असीम प्यार मिला। अपने दरभंगा केलिए कुछ करने की आस को लेकर सबकुछ छोड़कर दरभंगा में रम गया। अपना सारा कार्य क्षेत्र दरभंगा को बना लिया। न कार्यक्षेत्र दरभंगा से बाहर और न ही खुद दरभंगा से बाहर। क्योंकि सोच यही थी कि दरभंगा को समझना है तो केवल दरभंगा पर केंद्रित रहना होगा। कई साथी महानगरों में जाकर बस गए तो कुछ आते जाते भी रहते हैं। पर मैं, मैं कहीं न गया न ही जाते आते रहता हूँ। केवल और केवल दरभंगा को को ही पकड़े रहा। यहां की मिट्टी से लगाव ही कुछ ऐसा हो गया। मैं महानगर क्यों जाऊं, क्यों न अपने शहर को ही महानगर बनाऊं, यही सोच मन मे रखा है। शहर की समस्याएं दूर हो और शहर सुंदर हो, इसके लिए जनप्रतिनिधियों को पहले निवेदन पूर्वक कहा। पर सुनवाई नही हुई तो जो समझ मे आया, कड़े लहजे में सवाल उठाया। शहर में ऐतिहासिक किले और स्थलों और धरोहर घोषित कर सरकार पर्यटन के रूप में विकसित करे, तीनो प्रमुख तालाबो को जोड़कर और सौंदर्यीकरण करके नौका विहार शुरू करवाये, शहर में रेलवे ओवरब्रिजों और फ्लाईओवरों का निर्माण करके जाम की समस्या से निजात दिलाये, सरकारी अस्पताल डीएमसीएच में डॉक्टरों और इलाज की समुचित सुविधा उपलब्ध करवाना सुनिश्चित करवाये तो क्या हमारा शहर किसी महानगर से कम होगा? हमारे शहर की भौगौलिक बनावट केलिए हम प्रकृति का धन्यवाद करते हैं कि शहर के तीन तरफ से नदी बहती है। और जिस शहर के तीन तरफ नदी बहती हो, उस शहर में एक बूंद भी जलजमाव रहे तो इसे शहर की बदकिस्मती ही मानी जायेगी। केवल नालों का प्रबंधन सही होना चाहिए। जलजमाव नामक चीज नही रहेगा।
शहर में जाम और जलजमाव से मुक्ति केलिए उपरोक्त उपाय करके राजकिले को धरोहर घोषित करके पर्यटन के रूप में विकसित किया जाय और तीनों प्रमुख तालाबों को जोड़ कर सौंदर्यीकरण करके नौका विहार शुरू होने से विदेशी पर्यटकों का आना भी शुरू होगा। इससे विदेशी मुद्रा का भंडार भी बढ़ेगा। पर्यटकों के आने से कई प्रकार के रोजगारों का भी सृजन दरभंगा में होगा। विदेशी निवेश का भी रास्ता खुलेगा।
उपरोक्त तमाम कार्य मे कोई भी ऐसा कार्य नही है, जो कोई यह कह दे के यह नही हो सकता है। और अगर यह हो सकता है तो फिर हुआ क्यों नही या हो क्यों नही रहा। हमने विधायक को घेरा, मेयर को बदला, सांसद स्थानीय बनाया, पर फिर भी जिसे हमने दरभंगा केलिए चुना, वे दरभंगा पर केंद्रित कार्य करने की इच्छाशक्ति ईमानदारी से दिखाएं तो निश्चित ही कायाकल्प हो सकता है। मैंने पिछले पाँच सालो में मुद्दों को उठाया, लड़ाई भी ठानी, संज्ञान भी दिलाया। कुछ धरोहर बचा सका तो बचाया। पर अफसोस, केवल मुद्दों को उठाने और जनता को जागृत करने का ही अधिकार क्षेत्र था। अगर मेरे वश में होता तो कार्य खुद करके दिखा देता।
क्या हमारे शहर में ऐसी व्यवस्था सम्भव नही जिसमे हमारे प्रतिनिधि शहर के विकास केलिए अपने योजनाओं में पूरी पारदर्शिता आमजन के सामने रखकर कार्य करें! शहर के जो मूलभूत मुद्दे हैं, उसपर उनकी क्या कार्ययोजना है और कार्ययोजना की प्रगति की स्थिति और उनके प्रयास को साक्ष्य सहित पारदर्शी तरीके से रखने का एक प्लेटफार्म बनाये और यदि कोई इस मुद्दे या उनके रखे गए प्रतिवेदन पर सुझाव रखना चाहे तो क्या ऐसा एक सिस्टम विकसित नही हो सकता? शहर के कौन से दस प्रमुख कार्य पहले जरुरी है, इसे जनता की सहमति से निर्धारित कर केवल पहले उसी को पूरा करने का प्रयास किया जाय और हर स्टेप में पारदर्शिता रखी जाय, क्या ऐसा सिस्टम विकसित करना सही नही होगा?
मेरी नजर में ये सब सम्भव है और इसलिए मैं पाँच सालो से सबकुछ छोड़कर दरभंगा में हूँ। और लगातार मुद्दों को उठाता रहा हूँ। परंतु अब लगता है मुद्दे को उठाने और आंदोलनों से आगे बढ़कर इनके समाधान की तरफ कुछ और भी कदम उठाना होगा। और यदि जरूरत पड़ी तो आगे भी कदम उठाऊंगा। पर मेरा जो भी कदम होगा, पूरा पारदर्शी सिस्टम और जनता द्वारा संचालित सिस्टम विकसित करने केलिए होगा। एक ऐसा सिस्टम जिसमे जनता को अपनी प्रतिक्रिया केलिए पांच साल इंतजार नही करना पड़े। जब चाहे अपनी प्रतिक्रिया को रखकर अपने प्रतिनिधि से सवाल का पारदर्शिता के साथ साक्ष्य जनित जवाब पाने का अधिकार होगा। एक ऐसा सिस्टम जहाँ मुद्दे जनता तय करेगी और उसे करवाना प्रतिनिधि का काम होगा। यदि कार्य करवाने में कोई अड़चन आयी, उसे उसी समय जनता के सामने साक्ष्य सहित रखना होगा।
पिछले पाँच सालो में जो प्यार और सहयोग हर किसी का मुझे मिला है, अगर वह यूँ ही बना रहा तो निश्चय ही यह सब साकार होकर रहेगा। तो आईये एक पूर्णाहुति यज्ञ का निश्चय लें और दिल से आवाज लगाएं:

नै जायब आब हम कोनो दोसर नगर,

अपने शहर क बनायब सुखी-सम्पन्न महानगर।

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