संस्कृत की बहुमूल्य पांडुलिपियों का संरक्षण एवं डिजिटलाइजेशन नितांत आवश्यक: कुलाधिपति।
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दरभंगा: संस्कृत की बहुमूल्य पांडुलिपियों के संरक्षण व उनके डिजिटलाइजेशन की नितांत आवश्यकता है। तकनीकी विकास का लाभ उठाकर हमें संस्कृत की प्राचीन गौरवशाली और दुर्लभ कृतियों को सुरक्षित कर लेना चाहिए। आज भारत की सांस्कृतिक और राष्ट्रीय एकता को सशक्त करने के लिए यह जरूरी है कि पूरे राष्ट्र को एकता के सूत्र में पिरोनेवाली संस्कृत भाषा की समग्र प्रगति के लिए सार्थक प्रयास किए जाएं। कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के सातवें दीक्षा समारोह की अध्यक्षता करते हुए बिहार के राज्यपाल सह कुलाधिपति फागू चौहान ने उपरोक्त बातें कहीं।
उन्होंने कहा कि भारत की एकता व अखंडता को कायम रखने वाले सदविचार इस भाषा व साहित्य में सर्वत्र विद्यमान हैं। इनका स्मरण व मनन कर हम पूरे विश्व में शांतिदूत के रूप में पुन: अपनी प्रतिष्ठा अर्जित कर सकते हैं। राज्यपाल ने कहा कि हमारा संस्कृत वांग्मय चारित्रिक शिक्षा, शांति, सद्भाव विश्वबंधुत्व का पाठ समस्त विश्व को पढ़ाता रहा है। वेदों, उपनिषदों, दर्शनों, पुराणों व धर्मशास्त्रों ने जीवनयापन का एक ऐसा आदर्श मार्ग स्थापित किया, जो दूसरों के जीवनयापन में सहभागी होकर स्वयं व समाज की प्रगति में पूरी सहायता करने में सक्षम है। भारत की विश्व प्रसिद्ध सभ्यता, संस्कृति, आदर्श व जीवन मूल्य मूलत: संस्कृत-भाषा साहित्य में समाहित हैं। अत: इसका अध्ययन नितांत आवश्यक है।
दुनिया के अनेक भाषा वैज्ञानिकों का स्पष्ट मानना है कि संस्कृत आज के तकनीकी विकास के युग में पूरे विश्व में कंप्यूटर के दृष्टिकोण से भी सर्वाधिक उपयुक्त भाषा है। वर्तमान में विश्व में कई नकारात्मक विचारों के कारण राष्ट्रवादी ताकतों को चुनौतियां मिलने लगी हैं। ऐसे में पूरे राष्ट्र को एकता के सूत्र में बांधने वाली संस्कृत भाषा की समग्र उन्नति के लिए सार्थक प्रयास की जरूरत है।
राज्यपाल ने कहा कि पिछले दिनों संस्कृत शिक्षा के विकास में राजभवन ने भी पहल की थी। संस्कृत विश्वविद्यालय के संयोजन में राजभवन में शास्त्रार्थ सभा का भव्य आयोजन किया गया था। शैक्षणिक सत्र के समय पर संचालन, दीक्षा समारोह के ससमय आयोजन एवं आधारभूत संरचना के विकास आदि में विश्वविद्यालय की तत्परता को प्रशंसनीय बताते हुए राज्यपाल ने कहा कि छात्र संघ चुनाव, कक्षाओं में नियमित उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए बायोमीट्रिक उपकरणों के संस्थापन एवं कुशलतापूर्वक संचालन आदि बातों पर भी सख्ती से अमल होना चाहिए।
परीक्षाओं के कदाचारमुक्त व पारदर्शी आयोजन एवं समय पर परीक्षाफल का प्रकाशन होना भी नितांत आवश्यक है। दीक्षा समारोह में उपाधियां प्राप्त करने वाले छात्र-छात्राओं से राज्यपाल ने संस्कृत की रक्षा व विकास के लिए आगे आने की अपील की। समारोह में राजभवन के अपर मुख्य सचिव ब्रजेश मेहरोत्रा व एडीसी हिमांशु तिवारी भी मौजूद रहे। दीक्षा भाषण राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान, नई दिल्ली के कुलपति प्रो. परमेश्वर नारायण शास्त्री ने दिया। समारोह में आठ गोल्ड मेडल के साथ ही कुल 133 डिग्रियों का वितरण किया गया।
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